जिया खान खुदकुशी (jiah khan suicide) मामले में सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने सूरज पंचोली को बरी कर दिया. विशेष सीबीआई जज ए. ए.स सैय्यद ने 53 पेज के आदेश में जिया खान की मां राबिया खान को ही कटघरे में खड़ा किया. कोर्ट (Court) ने पाया कि शिकायतकर्ता राबिया खान ने विरोधाभासी साक्ष्य देकर अभियोजन पक्ष के पूरे मामले को ही नेस्तनाबूद कर दिया. शिकायतकर्ता ने खुद के अलावा सभी को संदेह घेरे में रखा. कोर्ट ने जिया खान को अपनी भावनाओं का शिकार बताते हुए कहा है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मृतक नफीसा खान जिया खान में आत्मघाती प्रवृत्ति थी.
अदालत ने अपने आदेश में कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले हैं. सरकारी गवाह 21 के बयान के मुताबिक जब उसने जांच के 6 पन्नों का नोट शिकायतकर्ता से मांगा तो उन्होंने उसे सौंपने से इनकार कर दिया और पहले उसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जारी किया. शिकायतकर्ता के अनुसार नोटरीकरण के बाद ही दिया गया था, लेकिन उक्त पत्र नोटरीकृत नहीं पाया गया जैसा कि शिकायतकर्ता ने कहा है. उपर्युक्त परिस्थितियां उक्त पत्र के वास्तविक लेखक के संबंध में गंभीर संदेह पैदा करती हैं.
यह भी सवाल है कि पहले 6 दिनों में शिकायतकर्ता ने विशिष्ट व्यक्ति के खिलाफ सीधे प्राथमिकी दर्ज क्यों कराई. उसने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए 6 दिन तक इंतजार किया. शिकायतकर्ता की तरफ से इसका कोई समाधान कारक जवाब नहीं मिला. यह देरी शिकायतकर्ता के कथन की विश्वसनीयता के बारे में संदेह पैदा करता है. परिणामस्वरूप अभियोजन पक्ष का मामला संदेह के घेरे में आ जाता है.
अदालत के मुताबिक शिकायतकर्ता ने अपने साक्ष्यों के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की कि मृतका ने कभी आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई थी. हालांकि अभियोजन पक्ष का केस अलग है. शिकायतकर्ता अभियोजन पक्ष की मुख्य और महत्वपूर्ण गवाह थी, उसकी शिकायत के आधार पर, कानून को गति दी गई थी. शिकायतकर्ता ने खुले तौर पर अभियोजन पक्ष पर अविश्वास दिखाया. जब अभियोजन का मामला आत्महत्या का था तो शिकायतकर्ता ने कहा कि यह हत्या का मामला है. हालांकि इस मामले में हत्या का आरोप नहीं है. कोर्ट ने इस तरह के और भी कई सवाल जिया खान की मां पर उठाए हैं.
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