झारखंड : राज्य में जारी सियासी संकट के बीच सोरेन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को दिया बड़ा तोहफा

सीएम सोरेन ने राज्य सरकार के इस फैसले की जानकारी खुद ट्वीट करके दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि एक और वादा हुआ पूरा.

झारखंड : राज्य में जारी सियासी संकट के बीच सोरेन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को दिया बड़ा तोहफा

झारखंड की सोरेन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए लिया बड़ा फैसला

नई दिल्ली:

झारखंड में चल रहे सियासी संकट के बीच सोरेन सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. अपने नए फैसले के तहत राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन को दोबारा से लागू करने का ऐलान किया है. सीएम सोरेन ने राज्य सरकार के इस फैसले की जानकारी खुद ट्वीट करके दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि एक और वादा हुआ पूरा. झारखंड राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन हुई लागू. जोहार. वहीं सीएम ऑफिस की तरफ से किए गए एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के प्रस्‍ताव को कैबिनेट की बैठक में स्‍वीकृति दे दी गई. पुरानी पेंशन योजना लागू होने की सूचना पाते ही प्रोजेक्ट भवन परिसर में सरकारी कर्मी खुशी से झूम उठे. सरकारी कर्मियों ने सीएम @HemantSorenJMM के प्रति आभार व्यक्त किया.

बता दें कि बीते कुछ दिनों से झारखंड की सियासत में घमासान मचा हुआ है. सियासी उथल-पुथल के बीच राज्य में सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) तथा कांग्रेस का गठबंधन गुरुवार शाम को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. महामहिम राज्यपाल से मुलाकात के बाद जेएमएम के महासचिव  सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि एक से दो दिन में राज्यपाल स्थिति को साफ करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदय ने साफ किया है कि हमे चुनाव आयोग से एक पत्र मिला है. जिसपर कानूनी राय लेने के बाद स्थिति को साफ कर दिया जाएगा. हमने उनसे कहा कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता है, जिस तरह से साशन-प्रशासन यहां पर काम कर रहा है उससे ये तो साफ है कि राज्य में हॉर्श ट्रेडिंग का माहौल बनाया जा रहा है. ऐसे में राज्यपाल को चाहिए कि वो जल्द से जल्द स्थिति को साफ करें. 

उधर, इस मुलाकात के बाद राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि मुझे चुनाव आयोग की तरफ से एक पत्र मिला है. राजभवन दो तीन बिंदुओं पर स्टडी कर रहा है. जल्द ही स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी.

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खास बात ये है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ के पद मामले में हाल ही में चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी थी. इसमें सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सलाह दी गई थी, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है.