अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर 18 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को तब जमानत दी, जब उन्होंने आश्वासन दिया कि वह हाईकोर्ट से कोई स्थगन नहीं मांगेंगी और दो महीने में अपनी अपील के सभी तथ्य एवं बहस से जुड़ी सामग्री (पेपरबुक) पेश करेंगी।
इसका मतलब है कि वह अब बेंगलुरु की जेल से रिहा हो जाएंगी। जयललिता आय से अधिक संपत्ति के मामले में चार साल की जेल की सजा काट रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को राज्य में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा नहीं करने का निर्देश देने को भी कहा।
वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन द्वारा मामले को इसी सप्ताह में 'समायोजित' किए जाने की अपील करने पर प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को आज सुनवाई के लिए निर्धारित किया था। दीवाली से पूर्व जेल से बाहर आने के लिए जयललिता के पास यह अंतिम अवसर था, क्योंकि शुक्रवार के बाद शीर्ष अदालत में एक सप्ताह का अवकाश रहेगा।
रिश्वत के मामले में दोषी ठहराए जाने और चार साल की सजा दिए जाने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने जयललिता को जमानत प्रदान करने से इनकार कर दिया था और उसके बाद उन्होंने 9 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की।
27 सितंबर के बाद से सलाखों के पीछे रह रही अन्नाद्रमुक प्रमुख ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनकी जमानत याचिका नामंजूर कर दी। जयललिता ने खुद के विभिन्न बीमारियों से जूझने और इस मामले में उन्हें केवल चार साल की जेल की सजा सुनाए जाने को तत्काल राहत दिए जाने का आधार बनाया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने जमानत के लिए वरिष्ठ नागरिक तथा महिला होने को भी आधार बनाया था।
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