मौजूदा लोकसभा चुनावों में जमीनी मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दे काफी हावी दिखे. खासकर राष्ट्रवाद का मामला चुनावी हवा में खूब उछला. चुनाव के इसी बदलाव पर चर्चा के लिए रवीश कुमार के कार्यक्रम प्राइम टाइम में मशहूर गीतकार जावेद अख्तर पहुंचे. चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि राष्ट्रवाद की परिभाषा क्या है. जो भी अपने राष्ट्र में रहता है, वह निश्चित तौर पर अपने देश से प्यार करता है. देश की हर जीत से वो गौरान्वित महसूस करता है. ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि राष्ट्रवाद की परिभाषा क्या है. लोग पार्टियों को राष्ट्र मानने लगते हैं, पार्टियां आती जाती रहेंगी, इन दोनों को अलग-अलग रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों की बात करना, बेरोजगारी की चिंता करना, लोगों के स्वास्थ्य की चिंता होना ही राष्ट्रवाद है. राष्ट्र में रहकर, राष्ट्र में रहने वाले लोगों से प्यार करना ही सच्चा राष्ट्रवाद है.
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सेक्युलरिज्म पर चर्चा करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि सेक्युलरिज्म का मतलब, हर धर्म की इज्जत करना होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. जिसका खामियाजा सेक्युलरवादी पार्टियां भुगत भी रहीं हैं. जावेद अख्तर ने कहा कि तथाकथित सेक्युलरवादी पार्टियों ने इसकी चिंता करने के बजाय इसका बेजा इस्तेमाल किया. शाही इमाम के किस्से का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर ने बताया कि शाही इमाम इमरजेंसी के बाद पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ दिल्ली आए थे, इससे पहले उनका नाम नहीं सुना था लेकिन उनके आते ही दूसरी पार्टियों ने भी इस मुद्दे को लपक लिया. सेक्युलर पार्टियों ने यही गलत किया.
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जावेद अख्तर ने कहा कि चीजें पर्सनलाइज हो रही हैं जोकि नुकसानदायक है. बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था और अब खुद बीजेपी की बात नहीं होती है. अब सिर्फ मोदी और मोदी सरकार की बात होती है. ये हमारे और जनता के लिए काफी खराब है. जावेद अख्तर ने प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी का सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हमने कभी सोचा था कि प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी से चुनाव लड़वाया जाएगा. अगर बीजेपी का मानना है कि प्रज्ञा ठाकुर ने कुछ नहीं किया तो यह बता दिया जाए कि किस आधार पर उन्हें चुनाव लड़वाया जा रहा है. क्या वह जेल में रहकर आई हैं इस आधार पर चुनाव लड़वाया जा रहा है. ऐसे तो बहुत से निर्दोष मुस्लिम लड़के जेल में कई साल रहकर आते हैं, उन्हें क्यों नहीं चुनाव में खड़ा किया गया.
देश में फैले डर पर बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि देश में हर वो शख्स डरा हुआ है जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह से सहमत नहीं होता है. भले ही वो बीजेपी पार्टी का कार्यकर्ता क्यों न हो. उन्होंने इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि उस जमाने में कुछ ऐसे लोग हुआ करते थे जो इमरजेंसी की भी तारीफ किया करते थे लेकिन उसके दिल में क्या है, वो उसने बूथ में जाहिर कर दिया.
पीएम मोदी के गैर राजनीतिक इंटरव्यू पर चर्चा करते हुए उन्होंने बीजेपी की चुटकी ली तो साथ ही तारीफ भी की. जावेद अख्तर ने कहा कि सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के बाद पार्टी के लोगों को लगा होगा कि हमारी छवि माचो मैन की बन गई है. महिलाएं डर गई होंगी इसलिए ऐसा इंटरव्यू किया जहां ऐसी बातें हुई जो आम आदमी से सीधे तौर पर जुड़ी होती हैं, जैसे कि पैर में दर्द होने पर पीएम क्या करते थे, आम कैसे खाते थे वगैरह-वगैरह. उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टियां ऐसा नहीं सोच पाती हैं. इसके लिए बीजेपी की तारीफ की जानी चाहिए.
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चर्चा के दौरान जावेद अख्तर ने कहा कि आज ऐसा माना जाता है कि जो हमारी विचारधारा से मेल नहीं खाते हैं वो देशद्रोही हैं जबकि अटल बिहारी बाजपेयी के जमाने में ऐसा नहीं था. वो हमें अपने घर बुलाते थे, उनके साथ दोस्ताना व्यवहार थे. उन्होंने कहा कि हर पार्टी में अच्छे लोग होते हैं. बीजेपी में भी अच्छे लोग हैं लेकिन हम उनसे मेल नहीं खाते इसलिए हमें बुलाया नहीं जाता है.
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