नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में शब्बीर अहमद मीर की मौत के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्तों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है.
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कब्र से शव निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया. अभी हैदराबाद लैब से बैलेस्टिक रिपोर्ट और राज्य से फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है इसलिए चार हफ्तों का वक्त दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन हफ्तों में सुनवाई करेंगे. जम्मू-कश्मीर में शब्बीर अहमद मीर की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त शव को कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच करने के आदेश दिए थे. श्रीनगर में जिले के प्रमुख जज की देखरेख में कार्रवाई करने और प्रमुख जज के सुझाव पर डॉक्टरों के पैनल को पोस्टमार्टम करने को कहा था. इसके बाद तीन हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट देने को कहते हुए नसीहत दी थी कि प्यार और दुलार से सब संभव है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अफसरों के खिलाफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश पर FIR दर्ज करने, सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाई थी और गिरफ्तारी ना करने के आदेश दिए थे. सरकार को शुक्रवार को जांच की सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों में मानवता का भी ख्याल रखा जाना चाहिए.
दरअसल जम्मू-कश्मीर सरकार ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है जिसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले युवक की मौत के मामले में हत्या की FIR दर्ज करने को कहा गया है. इसमें DSP यासिर कादरी और अन्य पुलिस वालों को आरोपी बनाया गया है. आदेश पर कार्रवाई ना करने पर मजिस्ट्रेट ने अदालत की अवमानना का मामला भी शुरू किया है.
निचली अदालत ने ये भी कहा था कि मामले की जांच DSP स्तर के अफसर से कराई जाए. दरअसल, युवक शब्बीर अहमद मीर के पिता ने शिकायत दी थी कि 10 जुलाई को DSP यासिर कादरी और अन्य पुलिस वाले उसके घर पहुंचे. पहले शब्बीर की मां से मारपीट की और फिर शब्बीर की दो गोलियां मारकर हत्या कर दी.
इस शिकायत के आधार पर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 18 जुलाई को SSP को हत्या की FIR दर्ज कर DSP स्तर के अफसर से जांच कराने के आदेश जारी किए. पुलिस ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कुछ गलत नहीं है.
इसके बाद राज्य सरकार ने अब इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि मजिस्ट्रेट ने इस मामले में जरूरत से ज्यादा जल्दबाजी दिखाई. जिस दिन शिकायत मिली, उसी दिन FIR दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए गए.
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कब्र से शव निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया. अभी हैदराबाद लैब से बैलेस्टिक रिपोर्ट और राज्य से फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है इसलिए चार हफ्तों का वक्त दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन हफ्तों में सुनवाई करेंगे. जम्मू-कश्मीर में शब्बीर अहमद मीर की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त शव को कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच करने के आदेश दिए थे. श्रीनगर में जिले के प्रमुख जज की देखरेख में कार्रवाई करने और प्रमुख जज के सुझाव पर डॉक्टरों के पैनल को पोस्टमार्टम करने को कहा था. इसके बाद तीन हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट देने को कहते हुए नसीहत दी थी कि प्यार और दुलार से सब संभव है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अफसरों के खिलाफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश पर FIR दर्ज करने, सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई पर रोक लगाई थी और गिरफ्तारी ना करने के आदेश दिए थे. सरकार को शुक्रवार को जांच की सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों में मानवता का भी ख्याल रखा जाना चाहिए.
दरअसल जम्मू-कश्मीर सरकार ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है जिसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले युवक की मौत के मामले में हत्या की FIR दर्ज करने को कहा गया है. इसमें DSP यासिर कादरी और अन्य पुलिस वालों को आरोपी बनाया गया है. आदेश पर कार्रवाई ना करने पर मजिस्ट्रेट ने अदालत की अवमानना का मामला भी शुरू किया है.
निचली अदालत ने ये भी कहा था कि मामले की जांच DSP स्तर के अफसर से कराई जाए. दरअसल, युवक शब्बीर अहमद मीर के पिता ने शिकायत दी थी कि 10 जुलाई को DSP यासिर कादरी और अन्य पुलिस वाले उसके घर पहुंचे. पहले शब्बीर की मां से मारपीट की और फिर शब्बीर की दो गोलियां मारकर हत्या कर दी.
इस शिकायत के आधार पर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 18 जुलाई को SSP को हत्या की FIR दर्ज कर DSP स्तर के अफसर से जांच कराने के आदेश जारी किए. पुलिस ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कुछ गलत नहीं है.
इसके बाद राज्य सरकार ने अब इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि मजिस्ट्रेट ने इस मामले में जरूरत से ज्यादा जल्दबाजी दिखाई. जिस दिन शिकायत मिली, उसी दिन FIR दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए गए.
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