बाढ़ से तबाह जम्मू-कश्मीर में राहत और बचाव कार्य जोरों पर है, लेकिन अब भी तस्वीर भयावह बनी हुई है। राज्य में हर तरफ बरबादी का मंजर है। लोग राहत के लिए सेना के हेलीकॉप्टर का इंतजार करते हुए देखे जा सकते हैं।
राज्य में आई इस विपदा से निपटने के लिए सेना और वायुसेना के जवान दिन-रात एक किए हुए हैं, लेकिन बावजूद लोगों को इस बात की चिंता है कि पानी घटने के बाद वे अपने बिखरे हुए घर को कैसे संभालेंगे।
बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित कश्मीर घाटी में पानी कम होने से प्रशासन और सेना के लिए फंसे लोगों तक पहुंचना थोड़ा आसान हुआ है, लेकिन अब भी बड़ी तादाद में लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं। यहां पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। बेशक राज्य के कई हिस्सों में पानी कम हुआ है, लेकिन घुटने या कमर तक पानी ज्यादातर जगहों पर बना हुआ है। कुछेक ऐसी जगहें भी हैं, जहां 20 फुट से ज्यादा पानी बताया जा रहा है।
वहीं टेलीकॉम सेवाएं आंशिक तौर पर शुरू हो गई हैं। श्रीनगर एयरपोर्ट पर बीएसएनएल ने दो मुफ्त पीसीओ लगाए हैं, जहां से लोग अपने परिजनों से संपर्क कर सकते हैं। श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पहले ही खुल चुका है और उम्मीद है कि जल्द ही जम्मू-श्रीनगर हाइवे भी खुल जाएगा। इससे घाटी में फंसे लोगों की घर वापसी आसान हो जाएगी। राज्य सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए तीन महीने तक मुफ्त राशन का ऐलान किया है।
कभी घाटी में लोगों का विरोध झेलने वाली सेना आज लोगों के लिए देवदूत बन चुकी है। बाढ़ से आई तबाही में सेना ने जिस तरह से जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने का अभियान छेड़ रखा है, उससे लोग सेना के मुरीद हो गए हैं।
जहां सेना के प्रति लोगों के दिल में आदर और सम्मान बढ़ा है, वहीं लोग विपदा की इस घड़ी में राज्य सरकार को नाकाम बता रहे हैं। उमर सरकार के रवैये से लोगों में काफी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि राज्य सरकार की तरफ से बचाव और राहत के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जो कुछ भी हो रहा है, वह सेना की बदौलत हो रहा है।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उच्च-स्तरीय आपातकालीन बैठक बुलाकर जम्मू-कश्मीर में चल रहे राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया। पीएम ने खासकर श्रीनगर और कश्मीर घाटी के हालात के बारे में विस्तार से जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द से भोजन और पानी जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दिया। राहत कार्यों के लिए दिल्ली से वरिष्ठ अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर भेजने के लिए भी उन्होंने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया।
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