जम्मू-कश्मीर में एग्जिट पोल से उलट कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस की जोड़ी बंपर बहुमत से सत्ता में आती नजर आ रही है. रुझानों में कांग्रेस-नैशनल कॉन्फ्रेंस 50 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि बीजेपी 26 सीटों पर आगे चल रही है. अन्य 13 सीटों पर आगे चल रहे हैं. बड़ी बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती बिजबेहरा सीट से हार तय हो गई है. उन्होंने ट्विटर पर अपनी हार भी स्वीकार कर ली है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुलला गांदरबल और बड़गाम से आगे चल रहे हैं. जानिए जम्मू-कश्मीर में कौन बड़े नेता आगे और पीछे चल रहे हैं...
सज्जाद गनी लोन
जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन जम्मू कश्मीर की हंदवाड़ा सीट से उम्मीदवार हैं. पिछले चुनाव में उन्होंने गौहर आजाद को हराया था. 2014 के चुनाव में सज्जाद गनी लोन जो की जेपीसी के उम्मीदवार थे उन्हें 29355 वोट मिले थे वहीं जेकेएन के उम्मीदवार चौधरी मोहम्मद रमज़ान को 23932 वोट मिले. 5423 मतों से सज्जाद गनी लोन को जीत मिली थी.सज्जाद लोन अलगाववाद छोड़कर संसदीय राजनीति में शामिल हुए हैं.सज्जाद के पिता अब्दुल गनी लोन ने पीपुल्स कॉन्फ्रेंस की स्थापना की थी. वो कश्मीर की स्वायत्ता के समर्थक थे. उनकी 21 मई 2002 दो को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पिता की हत्या के बाद 2004 में सज्जाद लोन ने पीपुल्स कॉन्फ्रेंस की कमान संभाली थी. वो पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को राजनीति की मुख्यधारा में ले आए.
मोहम्मद युसूफ तारिगामी
मोहम्मद यूसुफ तारिगामी माक्सर्वादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेता हैं. वो कुलगाम सीट पर साल 1996 से माकपा के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे थे.इसे लाल झंडे का गढ़ माना जाता है. तारिगामी इस सीट से 1996 से विधायक चुने जा रहे हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में कुलगाम सीट पर मोहम्मद यूसुफ तारिगामी को 20574 वोट मिले थे वहीं उनके सामने नजीर अहमद थे उन्हें 20240 वोट मिले थे. 20574 जेकेपीडीपी के प्रत्याशी थे.
तारिगामी ने अपने छात्र जीवन में राजनीति में कदम रखा था. उन्होंने कॉलेज में सीटों की बढ़ोतरी की मांग को लेकर 18 साल की आयु में आंदोलन किया था. उस समय वो वामपंथी छात्र संगठन रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट एंड यूथ फेडरेशन से जुड़े थे. इसके बाद वो किसानों के मुद्दों पर भी आंदोलन करते रहे. इस दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा.आतंकवादियों ने 2005 में श्रीनगर में उनके घर पर हमला किया था.जम्मू कश्मीर से अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने जिन लोगों को हिरासत में लिया था, उनमें तारिगामी भी शामिल थे.
उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के राजनेता हैं.उनके पिता फारूक अब्दुल्ला और दादा शेख अब्दुल्ला भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी की स्थापना शेख अब्दुल्ला ने की थी.
उमर को सबसे बड़ा झटका इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान लगा. जब बारामूला लोकसभा सीट पर रशीद इंजिनियर ने हरा दिया था.रशीद ने यह चुनाव जेल में रहते हुए जीता था. उमर की यह हार भी छोटी नहीं थी, रशीद ने उन्हें दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. उमर 2009 से 2015 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. वो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश राज्यमंत्री भी रहे.इस बार वो बडगाम और गंदरबल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
इल्तिजा मुफ्ती
इल्तिजा मुफ्ती पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं. बिजबेहरा सीट पर उनका मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के वशीर अहमद के साथ है. इस सीट पर 2014 के चुनाव में अब्दुल रहमान भट्ट का मुकाबला बशीर अहमद शाह के साथ हुआ था. अब्दुल रहमान भट्ट को पिछले चुनाव में जीत मिली थी. उन्हें 23581 वोट मिले थे. वहीं बशीर अहमद शाह को 20713 वोट मिले थे. बिजबेहरा पीडीपी की परंपरागत सीट रही है.
रविंद्र रैना
राजौरी जिले की नौशेरा सीट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना चुनाव मैदान में हैं. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी.पिछले विधानसभा चुनाव में रविंदर रैना को चुनाव में 37,374 वोट मिले थे, जबकि सुरिंदर चौधरी के खाते में 27,871 वोट आए थे. कांग्रेस के उम्मीदवार को महज 5,342 वोट मिले थे. साल 1962 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए थे. इस सीट को लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा था.इस बार चुनाव में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना के सामने सुरेंद्र कुमार चौधरी को बीजेपी ने उतारा है. पिछले चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था.
खुर्शीद अहमद शेख
खुर्शीद अहमद शेख अवामी इत्तेहाल पार्टी के प्रमुख इंजीनियर रशीद के छोटे भाई है. वो अध्यापक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं.पार्टी ने उन्हें कुपवाड़ा की लंगेट सीट से मैदान में उतारा है. यह जिला मुख्यालय कुपवाड़ा से 16 किमी दक्षिण और राज्य की राजधानी श्रीनगर से 70 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अब्दुल रशीद शेख ने 18172 वोटों से जीत हासिल की थी.लंगेट विधानसभा सीट पर 1 अक्तूबर को वोट डाले गए थे. इस सीट पर पूरे देश की नजर है.इंजीनियर राशिद लोकसभा चुनाव में बारामूला से सांसद चुने गए थे. उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला को हराया था. खुर्शीद अहमद शेख से पहले इसी सीट पर साल 2008 और 2014 के विधानसभा चुनावों में उनके भाई इंजीनियर राशिद चुनाव जीत चुके हैं. इस सीट को कभी नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ माना जाता था. 1977 से 1996 तक लगातार चार बार इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को जीत मिली थी.
सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी
अपनी पार्टी के प्रमुख सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी चनापोरा विधानसभा सीट से मैदान में हैं. बुखारी के पिता मोहम्मद इकबाल बुखारी कद्दावर नेता माने जाते थे.वो पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) के संस्थापक सदस्य थे. उन्होंने 1984 में फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.चनापोरा अपनी ऐतिहासिक मस्जिदों और तीर्थस्थलों के लिए जाना जाता है. प्रसिद्ध हजरतबल तीर्थस्थल भी इस क्षेत्र के करीब है. चनापोरा दूध गंगा के तट पर स्थित है.इस क्षेत्र में पर्यटन के लिए डल झील से हजरतबल तक नाव की सवारी बेहद प्रसिद्ध है.
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