हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर आज सदन में जोरदार हंगामा हुआ. विपक्ष नियम 67 के तहत चर्चा की मांगी थी. प्रस्ताव स्वीकार न होने पर सदन से वॉकआउट किया. नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में वित्तीय संकट नहीं है तो, कर्मचारियों को सैलरी क्यों नहीं मिली. विपक्ष ने सदन में काफी देर तक नारेबाजी की और सदन से वॉकआउट कर दिया.
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा है कि आज 2 तारीख होने के बावजूद कर्मचारियों के खाते में सैलरी और पेंशनरों को पेंशन नहीं आई है, जबकि मुख्यमंत्री कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट नहीं है. अगर आर्थिक संकट नहीं है तो कर्मचारियों को सैलरी क्यों नहीं आई. विपक्ष ने इसी को लेकर सदन में चर्चा मांगी थी. लेकिन सरकार गंभीर नहीं है और विधान सभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट पैदा हो गया है और विपक्ष इसको लेकर गंभीर है.
वहीं, हिमाचल में वितीय संकट को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु अब कह रहे है विपक्ष सिर्फ़ स्थगन प्रस्ताव देता है. चर्चा नही करता. विपक्ष बंटा हुआ है. उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश में हम वितीय संकट से उभर रहे हैं. पिछले साल हमने 2200 करोड़ का राजस्व कमाया हैं और लगातार वितीय संकट में सुधार हो रहे है थोड़ा सा फिजिकल डीसीप्लेन, और आर्थिक सुधार पर जोर दिया है.
मुख्यमंत्री का कहना था कि हम हर महीने कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर 25 000 हजार करोड़ खर्च कर रहे हैं. महीने सैलरी और पेंशन पर 2000 हजार करोड़ खर्च होता है. हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही हैं. गौरतलब है कि हिमाचल में वितीय संकट को लेकर उपजे विवाद में एक तरफ जहां हिमाचल में इस बार 2 सितंबर तक 5 लाख के करीब कर्मचारियों व पेंशनरो को सैलरी और पेंशन नही मिली हैं. प्रदेश में वितीय संकट पर जमकर राजनीति भी हो रही हैं.
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