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This Article is From Mar 04, 2024

400 टन वज़न, 4 मॉड्यूल : बेहद खास होगा ISRO का पहला 'स्‍पेस स्टेशन', जानें खासियतें

भारत को उम्मीद है कि वह खगोल विज्ञान प्रयोगों सहित अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी इस्‍तेमाल करेगा और चंद्रमा की सतह पर जीवन की संभावना का पता लगाने के लिए इस स्‍पेस स्‍टेशन का उपयोग करेगा.

400 टन वज़न, 4 मॉड्यूल : बेहद खास होगा ISRO का पहला 'स्‍पेस स्टेशन', जानें खासियतें
नई दिल्‍ली:

भारत ने अंतरिक्ष में एक और ऊंची छलांग लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. अंतरिक्ष में भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जल्द से जल्द देश का पहला स्‍पेस स्टेशन (Indian Space Station) स्थापित करने पर काम शुरू कर दिया है. इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ (ISRO chief S Somanath) का कहना है कि अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल अगले कुछ वर्षों में लॉन्च किया जा सकता है.

भारत अपना अंतरिक्ष स्‍टेशन बनाने वाला चौथा देश 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है (भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन), जिसे 2035 तक पूरा किया जाएगा. इसरो ने अंतरिक्ष स्टेशन के लिए टेक्‍नोलॉजी डेवलेप करना शुरू कर दिया है. अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. भारतीय स्‍पेस स्टेशन में दो से चार अंतरिक्ष यात्री रह सकेंगे. बता दें कि सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ने ही स्‍पेस स्टेशन अंतरिक्ष में भेजे हैं. भारत अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला चौथा देश बनने जा रहा है. 

ISRO का 'बाहुबली' निभाएगा खास भूमिका 

एनडीटीवी को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में प्रदर्शित अंतरिक्ष स्टेशन के एक आर्टिस्‍ट के इम्प्रेशन तक पहुंचने की विशेष अनुमति मिली. तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक डॉ. उन्नीकृष्णन नायर का कहना है कि काम पूरे जोरों पर है और कंपोनेंट्स को पृथ्वी से लगभग 400 किमी ऊपर कक्षा में स्थापित करने के लिए भारत के सबसे शाक्तिशाली रॉकेट, बाहुबली या लॉन्च व्‍हीकल मार्क 3 का इस्‍तेमाल करने की प्‍लानिंग है.

400 टन का होगा भारत का स्‍पेस स्‍टेशन 

भारत को उम्मीद है कि वह खगोल विज्ञान प्रयोगों सहित अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी इस्‍तेमाल करेगा और चंद्रमा की सतह पर जीवन की संभावना का पता लगाने के लिए इस स्‍पेस स्‍टेशन का उपयोग करेगा. इसरो के शुरुआती अनुमान के मुताबिक, अंतरिक्ष स्टेशन का वजन लगभग 20 टन हो सकता है. यह ठोस संरचनाओं से बना होगा, लेकिन इसमें इन्फ्लेटेबल मॉड्यूल भी जोड़े जा सकते हैं. पूरा तैयार होने के बाद स्‍पेस स्‍टेशन का कुल वजन लगभग 400 टन तक जा सकता है.

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कुछ ऐसा होगा भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन 

अंतरिक्ष स्टेशन का एक छोर क्रू मॉड्यूल और रॉकेट के लिए डॉकिंग पोर्ट होगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा. भारत इसके लिए 21वीं सदी का एक विशेष डॉकिंग पोर्ट विकसित कर रहा है और यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के डॉकिंग पोर्ट के समान हो सकता है. एक बार पूरा होने पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में चार अलग-अलग मॉड्यूल और कम से कम चार जोड़े सौर पैनल हो सकते हैं. आपात्कालीन स्थिति में उपयोग के लिए इसमें स्थायी रूप से डॉक किया गया सुरक्षा क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम भी होगा. अंतरिक्ष स्‍टेशन का मुख्य मॉड्यूल भारत निर्मित पर्यावरणीय जीवन समर्थन और नियंत्रण प्रणाली से सुसज्जित होगा. यह ऑक्सीजन उत्पन्न करने और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने और उपयुक्‍त आर्द्रता को आर्दश स्तर पर रखने में मदद करेगा.

भारतीय अंतरिक्ष स्‍टेशन के मौजूदा चित्र के अनुसार, पहले चरण में दो बड़े सौर पैनल होंगे, जो स्‍पेस स्टेशन को चलाने के लिए आवश्यक बिजली उत्पन्न करेंगे. अंतरिक्ष विजन 2047 के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने निर्देश दिया है कि भारत को अब महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिसमें अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है.

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