इस्राइल के राष्ट्रपति र्यूवेन रिवलिन भारत की छह दिन की यात्रा पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे.
नई दिल्ली:
इस्राइल के राष्ट्रपति र्यूवेन रिवलिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है. साथ ही उन्होंने कहा है कि भारत एवं इस्राइल की मित्रता लम्बे समय से सतत रूप से चल रही है तथा यह ऐसा सम्बन्ध नहीं है जिसे हमें छिपाने की जरूरत पड़े.
रिवलिन आठ दिनों की भारत यात्रा पर आज यहां पहुंचे. पिछले करीब 20 साल में किसी इस्राइली राष्ट्रपति की यह पहली भारत यात्रा है.
इस्राइली राष्ट्रपति ने पीटीआई ‘भाषा’ को दिए साक्षात्कार में विभिन्न मुद्दों पर बोलते हुए स्वीकार किया कि फलस्तीन मुद्दे पर भारत के साथ मतभेद हैं. किन्तु उन्होंने भारत इस्राइल के बढ़ते संबंधों के बारे में गर्मजोशी से बोला क्योंकि दोनों देश अगले वर्ष उनके राजनयिक संबंध कायम होने के 25 वर्ष मनाने की तैयारी कर रहे हैं.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताते हुए रिवलिन ने कहा कि उनके देशों को लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा में भारत के साथ खड़ा होने पर गर्व है.
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद आतंकवाद होता है, भले ही इसे कोई भी अंजाम दे या कोई भी इसका पीड़ित बने. इस भयानक बुराई के खिलाफ अपने वचनों से इसकी भर्त्सना करना और अपने कमों से इसके विरुद्ध लड़ना, हम सबका दायित्व है.’’ भारत में रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले सबसे बड़े देशों में इस्राइल शामिल है तथा आतंकवाद से निबटने में वह व्यापक स्तर पर भारत का सहयोग कर रहा है.
उनसे यह सवाल किया गया कि क्या इस्राइल में यह बात दबे छिपे स्वरों में कही जाती है कि भारत अरब के साथ अपने करीबी संबंधों एवं घरेलू राजनीतिक सरोकारों के कारण उसके साथ अपने संबंधों की अधिक चर्चा करना पसंद नहीं करता. इस पर रिवलिन ने कहा, ‘‘इस्राइल को भारत के साथ उसकी मित्रता पर गर्व है तथा मेरा मानना है कि भारत को भी इस्राइल के साथ उसकी मित्रता पर गर्व है.’’
रिवलिन ने कहा कि इसके अलावा यह केवल नेताओं एवं सरकारों की मित्रता नहीं है. यह समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच मित्रता है. यह ऐसी मित्रता नहीं है कि जिसे हमें छिपाना चाहिए. यह ऐसी मित्रता है जो हमें सतत रूप से दिखाई पड़ती है. यह किसी इमारत के उस प्रवेश स्थल की तरह है जिसमें इस्राइलियों, भारतीयों एवं सभी लोगों के लिए बेहतर विश्व हो. स्वतंत्र फलस्तीन और पूर्वी यरूशल में उसकी राजधानी को भारत का समर्थन जारी रहने के बारे में पूछे गये प्रश्न पर इस्राइली राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह जरूरी नहीं है कि मित्र हर बात में आंख से आंख मिलाकर देखें. मित्रों के रूप में हम सम्मान एवं समझ के साथ असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस्राइल समझता है और भारत की इस इच्छा को साझा करता है कि हमारे एवं फलस्तीन के बीच न्यायोचित एवं स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए. किन्तु ऐसे किसी समाधान के सफल होने की गुंजाइश नहीं है जब तक कि हम लोगों के बीच अभी से विश्वास बहाली के लिए काम नही करें.’’ उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस्राइल एवं फलस्तीन को प्रत्यक्ष बातचीत करने के लिए काम करना चाहिए.
रिवलीन के साथ व्यवसायियों का एक बड़ा शिष्टमंडल भी आया है. इस्राइली राष्ट्रपति कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे.
भारत एवं इस्राइल के बीच बहुत से लम्बित मुक्त व्यापार समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से भारी प्रभाव पड़ेगा और भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष बढ़ती हुई भागीदारी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं, इस बात को लेकर जरूरत है कि आकषर्क माहौल में साथ मिलकर काम करने के लिए व्यापार क्षेत्र की मदद की जाए.
इस्राइली राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें उन्हें ऐसे माध्यम देने होंगे जिनसे उनके रास्ते आसान हो सकें और उन्हें प्रोत्साहन मिल सके. एफटीए इसी प्रकार का माध्यम है जिसका बड़ा प्रभाव होगा और भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिवलिन आठ दिनों की भारत यात्रा पर आज यहां पहुंचे. पिछले करीब 20 साल में किसी इस्राइली राष्ट्रपति की यह पहली भारत यात्रा है.
इस्राइली राष्ट्रपति ने पीटीआई ‘भाषा’ को दिए साक्षात्कार में विभिन्न मुद्दों पर बोलते हुए स्वीकार किया कि फलस्तीन मुद्दे पर भारत के साथ मतभेद हैं. किन्तु उन्होंने भारत इस्राइल के बढ़ते संबंधों के बारे में गर्मजोशी से बोला क्योंकि दोनों देश अगले वर्ष उनके राजनयिक संबंध कायम होने के 25 वर्ष मनाने की तैयारी कर रहे हैं.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताते हुए रिवलिन ने कहा कि उनके देशों को लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा में भारत के साथ खड़ा होने पर गर्व है.
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद आतंकवाद होता है, भले ही इसे कोई भी अंजाम दे या कोई भी इसका पीड़ित बने. इस भयानक बुराई के खिलाफ अपने वचनों से इसकी भर्त्सना करना और अपने कमों से इसके विरुद्ध लड़ना, हम सबका दायित्व है.’’ भारत में रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले सबसे बड़े देशों में इस्राइल शामिल है तथा आतंकवाद से निबटने में वह व्यापक स्तर पर भारत का सहयोग कर रहा है.
उनसे यह सवाल किया गया कि क्या इस्राइल में यह बात दबे छिपे स्वरों में कही जाती है कि भारत अरब के साथ अपने करीबी संबंधों एवं घरेलू राजनीतिक सरोकारों के कारण उसके साथ अपने संबंधों की अधिक चर्चा करना पसंद नहीं करता. इस पर रिवलिन ने कहा, ‘‘इस्राइल को भारत के साथ उसकी मित्रता पर गर्व है तथा मेरा मानना है कि भारत को भी इस्राइल के साथ उसकी मित्रता पर गर्व है.’’
रिवलिन ने कहा कि इसके अलावा यह केवल नेताओं एवं सरकारों की मित्रता नहीं है. यह समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच मित्रता है. यह ऐसी मित्रता नहीं है कि जिसे हमें छिपाना चाहिए. यह ऐसी मित्रता है जो हमें सतत रूप से दिखाई पड़ती है. यह किसी इमारत के उस प्रवेश स्थल की तरह है जिसमें इस्राइलियों, भारतीयों एवं सभी लोगों के लिए बेहतर विश्व हो. स्वतंत्र फलस्तीन और पूर्वी यरूशल में उसकी राजधानी को भारत का समर्थन जारी रहने के बारे में पूछे गये प्रश्न पर इस्राइली राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह जरूरी नहीं है कि मित्र हर बात में आंख से आंख मिलाकर देखें. मित्रों के रूप में हम सम्मान एवं समझ के साथ असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस्राइल समझता है और भारत की इस इच्छा को साझा करता है कि हमारे एवं फलस्तीन के बीच न्यायोचित एवं स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए. किन्तु ऐसे किसी समाधान के सफल होने की गुंजाइश नहीं है जब तक कि हम लोगों के बीच अभी से विश्वास बहाली के लिए काम नही करें.’’ उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस्राइल एवं फलस्तीन को प्रत्यक्ष बातचीत करने के लिए काम करना चाहिए.
रिवलीन के साथ व्यवसायियों का एक बड़ा शिष्टमंडल भी आया है. इस्राइली राष्ट्रपति कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे.
भारत एवं इस्राइल के बीच बहुत से लम्बित मुक्त व्यापार समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से भारी प्रभाव पड़ेगा और भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष बढ़ती हुई भागीदारी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं, इस बात को लेकर जरूरत है कि आकषर्क माहौल में साथ मिलकर काम करने के लिए व्यापार क्षेत्र की मदद की जाए.
इस्राइली राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें उन्हें ऐसे माध्यम देने होंगे जिनसे उनके रास्ते आसान हो सकें और उन्हें प्रोत्साहन मिल सके. एफटीए इसी प्रकार का माध्यम है जिसका बड़ा प्रभाव होगा और भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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