ईरानी बंदरगाह के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य की ओर से संचालित शिपिंग कंपनी ने इस्लामिक गणराज्य को पार करने वाले एक नए ट्रेड कॉरिडॉर का इस्तेमाल करके भारत में रूस निर्मित माल के पहले कंसाइमेंट को भेजने का काम शुरू किया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध का व्यापार पर और विपरीत असर ना पड़े इस बाबत नए ट्रेड कॉरिडोर का परीक्षण किया गया है. बता दें कि रूसी कार्गो में लकड़ी के लेमिनेट शीट से बने दो 40-फुट (12.192 मीटर) कंटेनर हैं, जिनका वजन 41 टन है.
ये कार्गो सेंट पीटर्सबर्ग से कैस्पियन सागर बंदरगाह (सिटी ऑफ अस्त्रखान) के लिए रवाना हुए हैं. अस्त्रखान में संयुक्त स्वामित्व वाले ईरानी-रूसी टर्मिनल के निदेशक दारीश जमाली का हवाला देते हुए शनिवार को ये जानकारी ईरान द्वारा संचालित इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी ने दी.
हालांकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि कॉरिडोर का परीक्षण करने के लिए कार्गो, जिसे उसने प्रारंभिक "पायलट" स्थानांतरण के रूप में वर्णित किया है, को कब रवाना किया गया या शिपमेंट में किस तरह के माल हैं. IRNA ने कहा, " अस्त्रखान से, कार्गो कैस्पियन की लंबाई को उत्तरी ईरानी बंदरगाह अंजाली पार करेगा और पर्शियन गल्फ पर बंदर अब्बास के दक्षिणी बंदरगाह तक सड़क मार्ग से भेजा जाएगा. वहां से इसे एक जहाज पर लाद दिया जाएगा और न्हावा शेवा के भारतीय बंदरगाह पर भेजा जाएगा.
दारीश जमाली ने कहा कि इंपोर्ट का समन्वय और प्रबंधन राज्य द्वारा संचालित इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान शिपिंग लाइन्स ग्रुप और रूस व भारत में इसके क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा किया जा रहा है और इसमें 25 दिन लगने की उम्मीद है.
चूंकि, यूक्रन से युद्ध के कारण रूस पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. ऐसे समय में ईरानी अधिकारी तथाकथित उत्तर-दक्षिण ट्रांजिट कॉरिडोर को विकसित करने के लिए एक रुकी हुई परियोजना को फिर से शुरू करने के इच्छुक हैं, जो रूस को एशियाई निर्यात बाजारों से जोड़ने के लिए ईरान का उपयोग करता है. इस योजना में अंततः एक रेलरोड लाइन का निर्माण शामिल है जो ईरानी कैस्पियन सागर बंदरगाहों पर पहुंचने वाले सामान को चाबहार के दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह तक पहुंचा सकती है.
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