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This Article is From Apr 12, 2020

Coronavirus: डॉक्टर ने ड्यूटी के लिए रिश्ते को छोड़ा पीछे, पिता को मुखाग्नि देने के बजाय मरीजों का करते रहे इलाज

जिला अस्पताल कम डॉक्टर की वजह से डॉक्टर महापात्र ने गांव नहीं जाने का फैसला लिया और कोरोना के मरीजों का इलाज करते रहे.

Coronavirus: डॉक्टर ने ड्यूटी के लिए रिश्ते को छोड़ा पीछे, पिता को मुखाग्नि देने के बजाय मरीजों का करते रहे इलाज
अपने पिता की मौत के बाद डॉक्टर शशि भूषण महापात्र अपने पिता को मुखाअग्नि देने नहीं गए
नई दिल्ली:

पूरी दुनिया कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रही है. इस महामारी की वजह से एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बड़े-बड़े देश इस महामारी के सामने घुटने टेकते हुए नज़र आ रहे हैं. अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, इटली जैसे शक्तिशाली देश इस महामारी को नियंत्रण करने में कामयाब नहीं हो पाए. सिर्फ आम आदमी ही नहीं बड़ी संख्या में डॉक्टर भी इस महामारी का शिकार हो रहे हैं. इस वायरस ने दुनिया भर के कई डॉक्टरों की जिंदगी लील ली. स्पेन में जितने भी लोग संक्रमित हुए हैं उनमें  से 14 प्रतिशत मेडिकल विभाग के लोग हैं. भारत में भी कई डॉक्टर इस महामारी से संक्रमित हुए हैं. अपनी जान को खतरे में डालकर स्वास्थ्य कर्मी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कई डॉक्टर महीनों से घर भी नहीं गए हैं. दिन-रात कोरोना मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. 

ओडिशा के मलकानगिरी के एक डॉक्टर ने अपनी ड्यूटी के लिए अपने रिश्ते को पीछे छोड़ दिया.अपने पिता की मौत के बाद डॉक्टर शशि भूषण महापात्र अपने पिता को मुखाअग्नि देने नहीं गए बल्कि ज़िला अस्पताल में कोरोना मरीजों की इलाज करते हुए नज़र आए. शुक्रवार को डॉक्टर शशि भूषण महापात्र के पिता दुर्योधन महापात्र की मौत हो गई. मौत की खबर डॉक्टर महापात्र को फ़ोन के जरिए दिया गया. घर के बड़े बेटे होने के नाते डॉक्टर महापात्र को मुखाअग्नि देने के लिए गांव पहुंचना था लेकिन जिला अस्पताल कम डॉक्टर की वजह से डॉक्टर महापात्र ने गांव नहीं जाने का फैसला लिया और कोरोना के मरीजों का इलाज करते रहे. डॉक्टर महापात्र ने अपने छोटे भाई को समझा-बुझाकर मुखाअग्नि देने के लिए राजी करवाया. 

मलकानगिरी जिले से डॉक्टर महापात्र का गांव करीब 700 किलोमीटर दूर है. गांव पहुंचकर जल्दी मरीजों की इलाज के लिए वापस ड्यूटी पर पहुंचना डॉक्टर महापात्र के लिए संभव नहीं था. ऐसे में वो गांव नहीं गए बल्कि मरीजों की इलाज करते रहे. डॉक्टर महापात्र मलकानगिरी जिले अस्पताल के कोरोना सेल के नोडल अफसर हैं. इसके साथ-साथ उन्हें परिवार कल्याण, रोग नियंत्रण और टीवी विभाग के कई जिम्मेदारियां भी दी गई है. डॉक्टर महापात्र के इस फैसले के लिए उन्हें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से लेकर ज़िला अधिकारी तक तारीफ कर रहे हैं. 

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के आफिस ने एक ट्वीट के जरिए डॉक्टर महापात्र की तारीफ करते हुए लिखा है कि" अभी के इस संकट के स्थिति में अपने कर्तब्य के सामने रिश्ते को पीछे छोड़कर मलकानगिरी के ADMO डॉक्टर शशि भूषण महापात्र ने अनेकों के लिए एक उदाहरण पेश किए हैं और प्रेरणा साबित हुए हैं. 

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