नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को देशभर की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया।
साथ ही पुलिस थानों में भी सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए, जो हिरासत में कैदियों की मौत सहित कई अन्य वारदातों के लिए अक्सर विवादों में रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति आर. बानुमति की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे एक साल के भीतर लगाए जाएं।
कोर्ट ने कहा कि हर पुलिस थाने में भी कम से कम दो महिला कांस्टेबल होने चाहिए।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि सभी राज्य सरकारें राज्य मानवाधिकार आयोग से संबंधित रिक्तियों को तीन माह के भीतर भर लें।
न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेशों को भी राज्य मानवाधिकार के गठन का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि दिल्ली सहित सभी केंद्र शासित प्रदेशों के पास अपना मानवाधिकार आयोग नहीं है।
न्यायालय ने यह आदेश दिलीप के. बासु की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें जेलों में सुधार और राज्य मानवाधिकार आयोग में रिक्तियों को भरने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया था।
साथ ही पुलिस थानों में भी सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए, जो हिरासत में कैदियों की मौत सहित कई अन्य वारदातों के लिए अक्सर विवादों में रहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति आर. बानुमति की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे एक साल के भीतर लगाए जाएं।
कोर्ट ने कहा कि हर पुलिस थाने में भी कम से कम दो महिला कांस्टेबल होने चाहिए।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि सभी राज्य सरकारें राज्य मानवाधिकार आयोग से संबंधित रिक्तियों को तीन माह के भीतर भर लें।
न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेशों को भी राज्य मानवाधिकार के गठन का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि दिल्ली सहित सभी केंद्र शासित प्रदेशों के पास अपना मानवाधिकार आयोग नहीं है।
न्यायालय ने यह आदेश दिलीप के. बासु की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें जेलों में सुधार और राज्य मानवाधिकार आयोग में रिक्तियों को भरने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया था।
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