नई दिल्ली:
भारतीय नौसेना में करीब तीन दशक तक सेवा के बाद विमानवाहक पोत आईएनएस विराट मुंबई से कोच्चि के आखिरी सफर के लिये निकल पड़ा है। ये अंतिम बार होगा कि वो अपने बलबूते समंदर से कहीं जा रहा है। उम्मीद है ये पोत बुधवार तक कोच्चि पहुंच जाएगा।
कोच्ची बंदरगाह में इसके इंजन, रडार, बड़ी और छोटी बंदूकें और अन्य हथियारों और अन्य संवेदनशील उपकरणों को निकाल लिया जाएगा। इसके बाद इसे दूसरे युद्धपोतों की मदद से वापस खींचकर मुंबई लाया जाएगा। इसके बाद इस साल के अंत तक नौसेना से रिटायर कर दिया जाएगा। इस पोत में करीब 1500 नौसेनिक रहते थे और एक बार जब समंदर में निकलता था तो साथ में तीन महीने का राशन लेकर निकलता था।
बिल्कुल अपने नाम के मुताबिक ये करीब 24 हजार टन वजनी है। ये 743 फुट लंबा है, चौड़ाई 160 फुट है। इसकी स्पीड करीब 28 knots यानी 52 किलोमीटर प्रतिघंटा है। नौसेना में इसे 12 मई 1987 को शामिल किया गया था। इस पोत पर सी हैरियर लड़ाकू विमान तैनात थे। साथ में इस पर सी-किंग हेलीकॉप्टर भी मौजूद थे। इन दोनों के रहने से करीब दो सौ किलोमीटर के इलाके में इसकी तूती बोलती थी। हालांकि नौसेना ने ना तो करगिल की जंग और ना ही श्रीलंका में ऑपरेशन विजय में सीधे तौर पर हिस्सा लिया था लेकिन इसके बावजूद विराट ने इस दौरान अहम भूमिका निभाई थी।
इस विमानवाहक पोत को दिसंबर 2008 से अगस्त 2010 तक कमांड करने वाले वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि विराट का नाम आते ही मेरे मन में आता है मजबूत, भरोसेमंद और वफादार। ये बहुत ही दुर्लभ है। ये जंग से निकला हुआ ऐसा विमानवाहक पोत है जिसने दो देशों की सेवा की है। जिसने भी एक बार इस पर सफर किया है वो उस सफऱ को कभी भूल नहीं सकता है। एक बार चल निकले तो रुकता नहीं है। अब जबकि ये नौसेना से विदा होने जा रहा है, हम इसको बहुत मिस करेंगे। ये दुनिया की रीत है कि हर किसी को एक दिन जाना होता है। उन्मीद करते हैं कि जो नया विमान वाहक पोत इसकी जगह पर आयेगा उसमें हम विराट की छवि देख सकेंगे।'
दुनिया के सबसे पुराने विमान वाहक पोत विराट ने विशाखापत्तनम में फरवरी में हुए अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लिया था। ये उसकी अंतिम ऑपरेशनल तैनाती थी। वहां पर ये सबके आकर्षण का केन्द्र था। इसके अलावा विमानवाहक पोत ने अमेरिकी नौसेना के साथ मालाबार अभ्यास, फ्रांसिसी नौसेना के साथ वरुण, ओमान नौसेना के साथ नसीम अल बहार जैसे कई अतंरराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया।
इस विमानवाहक पोत ने ब्रिटेन की रॉयल नेवी में 29 और भारतीय नौसेना में 27 साल बिताए हैं। सबसे ज्यादा समय तक सेवा में रहने की वजह से इसका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी दर्ज हो चुका है। विराट के डेक से लड़ाकू विमानों ने करीब 22,034 उड़ानें भरी हैं। इसने करीब 2,250 दिन और करीब 10,94,215 किलोमीटर का सफर समुद्र में तय किया है। इसका मतलब ये है कि विराट ने समुद्र में छह साल से ज्यादा समय गुजारा जिसमें करीब दुनिया का 27 दफा चक्कर लगाया जा सकता है।
कोच्ची बंदरगाह में इसके इंजन, रडार, बड़ी और छोटी बंदूकें और अन्य हथियारों और अन्य संवेदनशील उपकरणों को निकाल लिया जाएगा। इसके बाद इसे दूसरे युद्धपोतों की मदद से वापस खींचकर मुंबई लाया जाएगा। इसके बाद इस साल के अंत तक नौसेना से रिटायर कर दिया जाएगा। इस पोत में करीब 1500 नौसेनिक रहते थे और एक बार जब समंदर में निकलता था तो साथ में तीन महीने का राशन लेकर निकलता था।
बिल्कुल अपने नाम के मुताबिक ये करीब 24 हजार टन वजनी है। ये 743 फुट लंबा है, चौड़ाई 160 फुट है। इसकी स्पीड करीब 28 knots यानी 52 किलोमीटर प्रतिघंटा है। नौसेना में इसे 12 मई 1987 को शामिल किया गया था। इस पोत पर सी हैरियर लड़ाकू विमान तैनात थे। साथ में इस पर सी-किंग हेलीकॉप्टर भी मौजूद थे। इन दोनों के रहने से करीब दो सौ किलोमीटर के इलाके में इसकी तूती बोलती थी। हालांकि नौसेना ने ना तो करगिल की जंग और ना ही श्रीलंका में ऑपरेशन विजय में सीधे तौर पर हिस्सा लिया था लेकिन इसके बावजूद विराट ने इस दौरान अहम भूमिका निभाई थी।
इस विमानवाहक पोत को दिसंबर 2008 से अगस्त 2010 तक कमांड करने वाले वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि विराट का नाम आते ही मेरे मन में आता है मजबूत, भरोसेमंद और वफादार। ये बहुत ही दुर्लभ है। ये जंग से निकला हुआ ऐसा विमानवाहक पोत है जिसने दो देशों की सेवा की है। जिसने भी एक बार इस पर सफर किया है वो उस सफऱ को कभी भूल नहीं सकता है। एक बार चल निकले तो रुकता नहीं है। अब जबकि ये नौसेना से विदा होने जा रहा है, हम इसको बहुत मिस करेंगे। ये दुनिया की रीत है कि हर किसी को एक दिन जाना होता है। उन्मीद करते हैं कि जो नया विमान वाहक पोत इसकी जगह पर आयेगा उसमें हम विराट की छवि देख सकेंगे।'
दुनिया के सबसे पुराने विमान वाहक पोत विराट ने विशाखापत्तनम में फरवरी में हुए अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लिया था। ये उसकी अंतिम ऑपरेशनल तैनाती थी। वहां पर ये सबके आकर्षण का केन्द्र था। इसके अलावा विमानवाहक पोत ने अमेरिकी नौसेना के साथ मालाबार अभ्यास, फ्रांसिसी नौसेना के साथ वरुण, ओमान नौसेना के साथ नसीम अल बहार जैसे कई अतंरराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया।
इस विमानवाहक पोत ने ब्रिटेन की रॉयल नेवी में 29 और भारतीय नौसेना में 27 साल बिताए हैं। सबसे ज्यादा समय तक सेवा में रहने की वजह से इसका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी दर्ज हो चुका है। विराट के डेक से लड़ाकू विमानों ने करीब 22,034 उड़ानें भरी हैं। इसने करीब 2,250 दिन और करीब 10,94,215 किलोमीटर का सफर समुद्र में तय किया है। इसका मतलब ये है कि विराट ने समुद्र में छह साल से ज्यादा समय गुजारा जिसमें करीब दुनिया का 27 दफा चक्कर लगाया जा सकता है।
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