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This Article is From Jun 12, 2021

भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन को पुलित्जर पुरस्कार, दुनिया के सामने खोली थी चीन के झूठ की पोल

भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन (Megha Rajagopalan) को पुलित्जर पुरस्कार (Pulitzer Prize) से नवाजा गया है.

भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन को पुलित्जर पुरस्कार, दुनिया के सामने खोली थी चीन के झूठ की पोल
भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन.
न्यूयॉर्क:

भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन (Megha Rajagopalan) को पुलित्जर पुरस्कार (Pulitzer Prize) से नवाजा गया है. उन्होंने अशांत शिंजियांग प्रांत में लाखों मुसलमानों को हिरासत में रखने के लक्ष्य से चीन द्वारा गोपनीय तरीके से बनाए गए जेल और अन्य भवनों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की थी. इंटरनेशनल रिपोर्टिंग कैटेगरी में शिंजियांग प्रांत की सीरीज के लिए राजगोपालन को इस पुरस्कार से नवाजा गया है. 'बजफीड न्यूज' की राजगोपालन समेत दो अन्य पत्रकारों को इनोवेटिव इंवेस्टिगेटिव पत्रकारिता के लिए पुलित्जर पुरस्कार दिया गया है. यह पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाने वाला अमेरिका का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है.

तंपा बे टाइम्स की नील बेदी को लोकल रिपोर्टिंग के लिए पुलित्जर पुरस्कार दिया गया है. वह एक खोजी रिपोर्टर हैं. बेदी के साथ-साथ कैथलीन मैकग्रॉरी को भी इस सम्मान से नवाजा गया है. मैकग्रॉरी को शेरिफ ऑफिस की एक पहल को उजागर करने वाली सीरीज के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो भविष्य में अपराध के संदिग्ध लोगों की पहचान करने के लिए कंप्यूटर मॉडलिंग का उपयोग करती है. इस कार्यक्रम के तहत बच्चों सहित करीब 1,000 लोगों पर नजर रखी गई.

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साल 2017 में चीन ने शिंजियांग प्रांत में लाखों मुस्लिमों को हिरासत में लिया था, तब राजगोपालन पहली थीं जिन्होंने इंटरनेशनल कैंप का दौरा किया था. उस समय चीन ने ऐसी कोई जगह होने से इंकार किया था. 'बजफीड न्यूज' ने पुलित्जर पुरस्कार के लिए एंट्री पर लिखा था, 'इस खबर के जवाब में, चीनी सरकार ने उसे चुप कराने की कोशिश की, उसका वीजा रद्द कर दिया और उसे देश से निकाल दिया.'

लंदन में रहकर पत्रकारिता कर रहीं मेघा राजगोपालन ने तब चुप रहने से इंकार कर दिया था और अपने दो सहयोगियों के साथ मिलकर चीन के झूठ को बेनकाब किया था. 'बजफीड न्यूज' के एडिटर इन चीफ मार्क शॉफ ने कहा कि शिंजियांग प्रांत की कहानियों ने बताया था कि यह हमारे समय का सबसे खराब मानवाधिकारों का हनन था.

मेघा राजगोपालन के पुलित्जर जीतने के बाद उन्होंने 'बजफीड न्यूज' को बताया कि वह इसका लाइव नहीं देख रही थीं क्योंकि उन्हें पुरस्कार जीतने की उम्मीद नहीं थी. मेघा को इस बारे में तब पता चला, जब मार्क शॉफ ने उन्हें बधाई देने के लिए फोन किया. राजगोपालन ने कहा, 'मुझे शॉक लगा था. मैंने इसकी जरा भी उम्मीद नहीं की थी.' उन्होंने संस्थान, अपनी टीम व साथियों का शुक्रिया अदा किया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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