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This Article is From Jun 12, 2022

वायुसेना के मिशन आत्मनिर्भर को बड़ी कामयाबी, देश में बनेंगे 96 लड़ाकू विमान

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने 144 में 96 लड़ाकू विमानों (Fighter planes) को भारत में बनाने का फैसला किया है.पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन पर श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए वायुसेना इन्हीं विमानों पर निर्भर रहती है.

वायुसेना के मिशन आत्मनिर्भर को बड़ी कामयाबी, देश में बनेंगे 96 लड़ाकू विमान
भारतीय वायुसेना देश में 96 लड़ाकू विमान बनाएगी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) बड़ा कदम उठाने जा रही है. वायुसेना ने 144 में 96 लड़ाकू विमानों (Fighter planes) को भारत में बनाने का फैसला किया है. इसके अलावा शेष 18 विमान ही विदेशों से आयात किए जाएंगे. वायु सेना को पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन पर श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए इन्हीं 114 लड़ाकू विमानों पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है. इन विमानों की संख्या कम है इसलिए वायुसेना अपनी मांग के अनुरूप विमानों का निर्माण करेगी.

वायु सेना ने 'बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया' योजना के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्राप्त करने की योजना तैयार की है, जिसके तहत भारतीय कंपनियों को विदेशी विक्रेता के साथ साझेदारी करने की अनुमति होगी. सरकारी सूत्रों के अनुसार इसके लिए भारतीय वायु सेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ बैठक कर उनसे मेक इन इंडिया परियोजना को आगे बढ़ाने के तरीके के बारे में पूछा है. सूत्रों ने बताया कि योजना के मुताबिक शुरुआती 18 विमानों के आयात के बाद अगले 36 विमानों का निर्माण देश के भीतर किया जाएगा. 

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भारतीय मुद्रा में किया जाएगा भुगतान
सूत्रों ने कहा कि अंतिम 60 विमान भारतीय साझेदार की मुख्य जिम्मेदारी होगी और सरकार केवल भारतीय मुद्रा में भुगतान करेगी. भारतीय मुद्रा में भुगतान से विक्रेताओं को परियोजना में 60 प्रतिशत से अधिक 'मेक-इन-इंडिया' सामग्री हासिल करने में मदद मिलेगी. बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, साब, मिग, इरकुत कॉर्पोरेशन और डसॉल्ट एविएशन सहित वैश्विक विमान निर्माताओं के निविदा में भाग लेने की उम्मीद है.

36 राफेल विमान भारत में कम हैं
आपातकालीन आदेशों के तहत खरीदे गए 36 राफेल विमानों ने 2020 में शुरू हुए लद्दाख संकट के दौरान चीनियों पर बढ़त बनाए रखने में काफी मदद की, लेकिन संख्या पर्याप्त नहीं है और इसके लिए ऐसी अधिक क्षमता की आवश्यकता होगी. देश में पांचवीं पीढ़ी की उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान परियोजना संतोषजनक गति से आगे बढ़ रही है लेकिन इसे परिचालन भूमिका में शामिल होने में काफी समय लगेगा.
 

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