
- तेजस मार्क 1ए के फायरिंग और मिसाइल परीक्षण सफल होने के बाद ही वायुसेना को विमान सौंपे जाएंगे.
- स्वदेशी निर्मित तेजस विमान में तकनीकी बदलाव स्वतंत्र रूप से किए जा सकेंगे जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी.
- तेजस मार्क 1ए चौथी पीढ़ी का हल्का मल्टी रोल लड़ाकू विमान है जो इलेक्ट्रॉनिक युद्धक क्षमता में सक्षम है.
भारतीय वायुसेना को आखिरकार हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड से अगले महीने अक्टूबर में दो तेजस मार्क 1ए मिल जाएंगे. यह दोनों विमान ताकतवर अमेरिकी एफ 404 -इन 20 इंजन से लैस हैं. हालांकि, वायुसेना को यह विमान दो साल पहले ही मिल जाने चाहिए थे, पर अमेरिकी इंजन समय पर ना मिलने की वजह से इनकी आपूर्ति में देरी हुई. इस देरी को लेकर वायुसेना प्रमुख सार्वजनिक तौर पर एचएएल की आलोचना भी कर चुके हैं. एचएएल की मानें तो दस तेजस मार्क 1 बनकर तैयार हैं, जैसे ही अमेरिका से इंजन की सप्लाई होगी वैसे ही विमान हैंडओवर कर दिए जाएंगे.
अगले साल तक कितने मिलेंगे

एचएएल सूत्रों ने बताया कि तेजस मार्क 1ए का फायरिंग परीक्षण भी होगा. तेजस से वीवीआर यानी बियॉन्ड विजुवल रेंज मिसाइल अस्त्र और शॉर्ट रेंज मिसाइल ASRAM और लेजर गाइडेड बॉम्ब के फायरिंग टेस्ट भी होंगे. ये टेस्ट सफल होने के बाद ही तेजस मार्क 1 ए विमान वायुसेना को दिया जाएगा. वैसे अब इंजन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से देसी लड़ाकू विमान तेजस मार्क 1 ए के लिए एफ 404 -इन 20 इंजन की डिलीवरी शुरू हो गई है. अब तक हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड को दो इंजन मिल चुके हैं. बाकी बचे हुए 10 इंजन भी 31मार्च 2026 तक मिल जायेंगे. इसका सीधा मतलब यह है कि भारतीय वायुसेना को अगले साल मार्च तक 12 तेजस मार्क 1 ए लड़ाकू विमान मिल जायेंगे. इस पूरे प्रोगाम में दो साल की देरी हुई है, लेकिन अब उम्मीद करनी चाहिए कि एचएएल को बाकी एफ404-आईएन 20 इंजन मिलने में सालों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. दरअसल, लड़ाकू विमान के एयर फ्रेम में इंजन लगाने का काम सबसे अंत में किया जाता है. विमान में इंजन लग जाने के बाद उसे कई तरह के ट्रायल से गुजरना पड़ता है. तब जाकर उसे वायुसेना में शामिल होने की फाइनल हरी झंडी मिलती है.
अब स्वदेशी हथियार ही चलेंगे

इस बारे में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के साथ अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ की लागत से 99 एफ404-आईएन 20 इंजन को लेकर समझौता हुआ था. पहला इंजन मार्च 2025 में और दूसरा इंजन जुलाई 2025 में एचएएल को सौपा गया है. अमेरिकी कंपनी के समय पर डिलीवरी नहीं किये जाने पर रक्षा मंत्रालय से लेकर वायुसेना भी नाराजगी जता चुकी है. अगले साल मार्च तक वायुसेना को 12 तेजस मार्क 1 ए मिलने की संभावना है. खास बात यह है कि देश में बने लड़ाकू विमान होने से कोई भी बदलाव अपने जरूरत के मुताबिक किया जा सकता है. इसके लिये किसी और से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती है. साथ ही स्वदेशी उद्योग को फायदा होता है सो अलग. हाल ही में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा था कि अगला युद्ध देश में बने हथियारों के दम पर ही जीता सकता है. यही वजह है अब सरकार की भरसक कोशिश है रक्षा क्षेत्र में देश की विदेशी हथियारों पर निर्भरता ना के बराबर हो.
तेजस मार्क 1ए की खूबियां

आपको बता दें कि तेजस मार्क 1 ए देश में बनाये गये लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट का एडवांस वर्जन है. यह एक चौथी पीढ़ी का मल्टी रोल लड़ाकू विमान है. यह काफी हल्का और ताकतवर कॉम्बेट विमान है. तेजस आठ से नौ टन भार के हथियार लेकर जा सकता है. एक साथ कई टारगेट को हिट कर सकता है. यह विमान इलेक्ट्रानिक राडार, दृश्य सीमा से परे यानी वियॉन्ड विज़ुअल रेंज मिसाइल, इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर सूट और हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमताओं से लैस है. इस वक्त एयरफोर्स के पास फाइटर एयरक्राफ्ट की 31 स्क्वॉड्रन हैं. मिग-21 की दो स्क्वॉड्रन 26 सितंबर को रिटायर हो रही हैं, जिसके बाद एयरफोर्स के पास फाइटर स्क्वॉड्रन की संख्या महज़ 29 रह जाएगी. पाकिस्तान और चीन के खिलाफ टू फ्रंट वॉर की संभावनाओं को देखते हुए वायुसेना को अपने फाइटर एयरक्राफ्ट में इज़ाफा करने की दरकार है. ऐसे में तेजस मार्क 1 ए का आना वायुसेना की क्षमता के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होगा.
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