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साल 2025 तक हम देश में सभी के लिए 24X7 बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर पहुंच जाएंगे: बिजली राज्यमंत्री

बिजली मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर 2031-32 तक लगभग 80 गीगावाट की योजना बनाई है. इसके अलावा, लगभग 14 गीगावाट की पनबिजली परियोजनाएं और 6,050 मेगावाट की पंप भंडारण परियोजनाएं (पीएसपी) निर्माणाधीन हैं. लगभग 24.22 गीगावाट की पनबिजली परियोजनाएं और 50.76 गीगावाट की पीएसपी योजना के विभिन्न चरणों में हैं और इन्हें 2031-32 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

साल 2025 तक हम देश में सभी के लिए 24X7 बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर पहुंच जाएंगे: बिजली राज्यमंत्री
बिजली मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर 2031-32 तक लगभग 80 गीगावाट की योजना बनाई है.

भारत 2025 में सभी को चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक कोयला आधारित और पनबिजली संयंत्र स्थापित करेगा तथा पारेषण ढांचे को मजबूत करेगा. बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि और पारेषण बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए एक बड़ी योजना तैयार की है. बिजली राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रालय के सभी प्रयासों से भारत निश्चित रूप से सभी के लिए चौबीसों घंटे सातों दिन बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल कर सकता है.

24X7 बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य

नाइक ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम यह कर सकते हैं. साल 2025 तक हम देश में सभी के लिए 24X7 बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर पहुंच जाएंगे.” उन्होंने कहा कि सरकार बढ़ती मांग को देखते हुए बिजली क्षेत्र की विस्तार योजना का समर्थन करने के लिए तैयार है.

सरकारी अनुमानों के अनुसार, 2025 में गर्मियों के मौसम में बिजली की अधिकतम मांग 270 गीगावाट तक पहुंचने की संभावना है, जो मई, 2024 में 250 गीगावाट और सितंबर, 2023 के 243 गीगावाट के रिकॉर्ड उच्च स्तर से अधिक है. साल 2035 तक बिजली की अधिकतम मांग 446 गीगावाट के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है.

बिजली मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर 2031-32 तक लगभग 80 गीगावाट की योजना बनाई है. इसके अलावा, लगभग 14 गीगावाट की पनबिजली परियोजनाएं और 6,050 मेगावाट की पंप भंडारण परियोजनाएं (पीएसपी) निर्माणाधीन हैं. लगभग 24.22 गीगावाट की पनबिजली परियोजनाएं और 50.76 गीगावाट की पीएसपी योजना के विभिन्न चरणों में हैं और इन्हें 2031-32 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

लगभग 7,300 मेगावाट परमाणु क्षमता निर्माणाधीन है और 7,000 मेगावाट योजना और अनुमोदन के विभिन्न चरणों में है. इसके अलावा, सरकार 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन के लिए लगभग 300 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता भी जोड़ेगी.

अतिरिक्त विद्युत उत्पादन क्षमता से बिजली निकालने के उद्देश्य से सरकार ने 2032 तक बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पारेषण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने हेतु 9.16 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय बिजली समिति के चेयरमैन और अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक अनिल सरदाना ने कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, ग्रिड आधुनिकीकरण और कार्बन कटौती के प्रति अटूट प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, इस क्षेत्र ने घरेलू और वैश्विक ऊर्जा मांग को पूरा करने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है.”

उन्होंने कहा, “जैसा कि हम 2025 की ओर देखते हैं, भारत का अपने पारेषण बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म क्षमता और लगभग 800 गीगावाट की कुल आपूर्ति क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य एक महत्वपूर्ण चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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