होवित्जर तोप
नई दिल्ली:
भारत और अमेरिका ने गुरुवार को विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के दायरे में आने वाली परियोजनाओं के समूचे खाके की समीक्षा की क्योंकि दोनों पक्ष एम 777 होवित्जर तोपों की खरीद सहित महत्वपूर्ण परियोजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रहे हैं. एम 777 होवित्जर तोपों का सौदा 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाला सामने आने के बाद से पहला तोप सौदा है.
रक्षा सूत्रों ने बताया कि करीब 5,000 करोड़ रुपये की कीमत वाली 145 अमेरिकी अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों के लिए सौदे को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) ने हाल में मंजूरी दे दी है. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी के निदेशक वाइस एडमिरल जोसेफ रिक्सी ने यहां रक्षा मंत्रालय में अपने समकक्ष से मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि 22 प्रीडेटर गार्डियन ड्रोन सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर चर्चा की गई. इसके अतिरिक्त, कई अन्य परियोजनाओं पर पहले ही दस्तखत किए जा चुके हैं.
यह यात्रा अगले महीने होने वाली अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर की यात्रा से पहले हुई है. हालांकि, सूत्रों ने संकेत दिया कि अमेरिका के चुनाव परिणामों को देखते हुए उनकी यात्रा एक कठिन यात्रा साबित हो सकती है . रिक्सी की यात्रा रक्षा खरीद और रक्षा व्यापार मामलों की समीक्षा के वास्ते वाषिर्क बैठक के लिए हुई है. एम 777 के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा कि भारत ने तोप खरीदने में रचि दिखाते हुए अमेरिका सरकार को आग्रह पत्र भेजा था .
इन तोपों को चीन सीमा से लगते अरणाचल प्रदेश और लद्दाख में उंची चोटियों पर तैनात किया जाएगा. अमेरिका ने स्वीकृति पत्र (एलओए) के साथ जवाब दिया था और रक्षा मंत्रालय ने जून में नियम-शर्तों को देखा तथा इसे स्वीकृति दे दी. ऑफसेट नियम का अनुसरण स्वतंत्र रूप से किया जाएगा, जिसके तहत तोप विनिर्माता कंपनी बीएई सिस्टम्स करीब 20 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी. भारत में 25 तोप जहां बिल्कुल तैयार स्थिति में आएंगी, वहीं शेष के पुजरें को भारत में महिंद्रा के साथ भागीदारी में हथियार प्रणाली के लिए प्रस्तावित 'असेंबली इंटीग्रेशन एंड टेस्ट' प्रतिष्ठान में तैयार किया जाएगा.
समझौते पर हस्ताक्षर के छह महीने के भीतर पहली दो होवित्जर तोप आ जाएंगी. इसके बाद हर महीने दो-दो तोप मिलेंगी. होवित्जर तोपों को हेलीकॉप्टर के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है. पहली बार इन्हें करीब 10 साल पहले बीएई से खरीदने का प्रस्ताव किया गया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रक्षा सूत्रों ने बताया कि करीब 5,000 करोड़ रुपये की कीमत वाली 145 अमेरिकी अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों के लिए सौदे को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) ने हाल में मंजूरी दे दी है. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी के निदेशक वाइस एडमिरल जोसेफ रिक्सी ने यहां रक्षा मंत्रालय में अपने समकक्ष से मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि 22 प्रीडेटर गार्डियन ड्रोन सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर चर्चा की गई. इसके अतिरिक्त, कई अन्य परियोजनाओं पर पहले ही दस्तखत किए जा चुके हैं.
यह यात्रा अगले महीने होने वाली अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर की यात्रा से पहले हुई है. हालांकि, सूत्रों ने संकेत दिया कि अमेरिका के चुनाव परिणामों को देखते हुए उनकी यात्रा एक कठिन यात्रा साबित हो सकती है . रिक्सी की यात्रा रक्षा खरीद और रक्षा व्यापार मामलों की समीक्षा के वास्ते वाषिर्क बैठक के लिए हुई है. एम 777 के मुद्दे पर सूत्रों ने कहा कि भारत ने तोप खरीदने में रचि दिखाते हुए अमेरिका सरकार को आग्रह पत्र भेजा था .
इन तोपों को चीन सीमा से लगते अरणाचल प्रदेश और लद्दाख में उंची चोटियों पर तैनात किया जाएगा. अमेरिका ने स्वीकृति पत्र (एलओए) के साथ जवाब दिया था और रक्षा मंत्रालय ने जून में नियम-शर्तों को देखा तथा इसे स्वीकृति दे दी. ऑफसेट नियम का अनुसरण स्वतंत्र रूप से किया जाएगा, जिसके तहत तोप विनिर्माता कंपनी बीएई सिस्टम्स करीब 20 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी. भारत में 25 तोप जहां बिल्कुल तैयार स्थिति में आएंगी, वहीं शेष के पुजरें को भारत में महिंद्रा के साथ भागीदारी में हथियार प्रणाली के लिए प्रस्तावित 'असेंबली इंटीग्रेशन एंड टेस्ट' प्रतिष्ठान में तैयार किया जाएगा.
समझौते पर हस्ताक्षर के छह महीने के भीतर पहली दो होवित्जर तोप आ जाएंगी. इसके बाद हर महीने दो-दो तोप मिलेंगी. होवित्जर तोपों को हेलीकॉप्टर के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है. पहली बार इन्हें करीब 10 साल पहले बीएई से खरीदने का प्रस्ताव किया गया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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