भारत अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने जा रहा है. आज दोनों के बीच 31 प्रीडेटर ड्रोन के लिए समझौते ( India-US Predator Drone Deal) पर हस्ताक्षर हुए. इससे तीनों सेनाओं की निगरानी क्षमता और भी बढ़ जाएगी. भारत इस डील पर 32 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. पिछले हफ्ते सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 31 प्रिडेटर ड्रोन खरीद को मंजूरी दी थी.
भारत ने अमेरिका के साथ 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए डील साइन की है. भारतीय नौसेना को 15 ड्रोन मिलने की संभावना है, जो 'सी गार्जियन' होंगे, जबकि सेना और वायु सेना को आठ-आठ 'स्काई गार्जियन' प्रीडेटर ड्रोन मिल सकते हैं. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि डील की कुल लागत 3.5 अरब डॉलर के करीब होगी.
अमेरिका के साथ भारत की डील
भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच विदेशी सैन्य बिक्री समझौते के तहत अमेरिकी निर्माता जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स (जीए-एएसआई) से ड्रोन के लिए डील हुई है. इसके लिए इस महीने की शुरुआत में कैबिनेट समिति ने मंजूरी दे दी थी.
प्रीडेटर ड्रोन से कैसे बढ़ेगी सेना की ताकत
खास बात यह है कि यही वो ड्रोन है, जिसकी मदद से अमेरिका ने मशहूर आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को ढूढ निकाला था और अल जबाहिरी को मार गिराया था. अब यही ड्रोन भारतीय सेना के बेड़े में भी शामिल होने जा रहे है, तो सेना की ताकत तो जािर तौर पर बढ़ेगी. अमेरिका से हुए समझौते के तहत भारतीय नौसेना को 15 ‘सी गार्डियन ड्रोन' और भारतीय वायु सेना और सेना को आठ-आठ ‘स्काई गार्डियन ड्रोन' मिलेंगे.
ड्रोन के साथ और क्या-क्या मिलेगा?
अधिकारियों ने बताया सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट समिति (CCS) ने भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा करने के मकसद से अमेरिका से 31 'प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस' ड्रोन की खरीद और परमाणु ऊर्जा से संचालित दो पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण संबंधी सौदे को मंजूरी दी थी. अधिकारियों के मुताबिक, एमक्यू-9बी 'हंटर किलर' ड्रोन विदेशी सैन्य बिक्री माध्यम के तहत अमेरिकी की जनरल एटॉमिक्स से लगभग 3.1 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से खरीदे जा रहे हैं.
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