भारत ने आज कहा कि वह अपने हितों से समझौता किए बिना वैश्विक व्यापार समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है और एक महीने बाद सितंबर में जब बातचीत शुरू होगी तो सदस्यों के साथ फिर से वार्ता को तैयार होगा। वहीं विकसित देशों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा पर भारत के अपने रुख पर कायम रहने से जिनेवा में डब्ल्यूटीओ वार्ता तार्किक परिणति तक नहीं पहुंच सकी।
सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, 'डब्ल्यूटीओ वार्ता सितंबर में शुरू होगी। हम खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में अपने स्पष्ट रुख तथा व्यापार सरलीकरण समझौते को लेकर प्रतिबद्धता की साफ समझ के साथ पहले दिन से बातचीत में शामिल होने को तैयार हैं।' सूत्रों ने कहा कि भारत चाहता है कि व्यापार सरलीकरण समझौता (टीएफए) तथा खाद्य सुरक्षा साथ में पारित हो और हम इसके लिए काम करेंगे। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) एक सितंबर से बातचीत शुरू करेगा।
सूत्र ने कहा, 'हम डब्ल्यूटीओ में अपने सदस्य मित्रों से समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं और फिर से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेंगे।' उसने यह भी कहा कि विकसित देशों द्वारा बाली प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार के कारण जिनेवा में कल आम परिषद की बैठक में वार्ता विफल रही।
भारत को बातचीत विफल करने के लिए जिम्मेदार ठहराये जाने के आरोपों खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि पिछले साल बाली में मंत्री स्तरीय बैठक में जो निर्णय हुआ, आम परिषद उससे इतर नहीं जा सकती। सूत्र ने कहा, 'एक अरब से अधिक किसानों के हितों के साथ समयसीमा (31 जुलाई) के लिए समझौता नहीं किया जा सकता। पहले भी हमारा यही रुख था और आज भी है। हम अभी भी टीएफए के प्रति प्रतिबद्ध हैं।'
वहीं वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में एक महीने के लिए छुट्टी होगी और इस दौरान भारत आगे की कार्रवाई पर ध्यान देगी। खेर ने कहा 'आगे की कार्रवाई के बारे में सोचने के लिए पर्याप्त समय है। निश्चित तौर पर हमारा प्रस्ताव सबके सामने है और हम अपने प्रस्ताव का आगे बढ़ाएंगे।'
गौरतलब है कि भारत ने खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए विशेष सत्रों की स्थापना का सुझाव दिया है और इसके लिए 31 दिसंबर की समयसीमा का प्रस्ताव किया है।
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