हिमस्खलन में फंंसे जवानों की तलाशी में सेना ने सघन तलाशी अभियान चलाया।
नई दिल्ली:
सियाचिन में करीब 25 फुट बर्फ के नीचे करीब माइनस 30 डिग्री तापमान में दबे रहने के छह दिन बाद चमत्कारिक रूप से जीवित निकाले गए लांस नायक हनुमंतप्पा नहीं रहे। दिल्ली की आर्मी अस्पताल में गुरुवार की सुबह 11.45 पर निधन हो गया। इतनी विपरीत परिस्थितियों में छह दिन तक बर्फ के पहाड़ में दबे रहने के बावजूद जीवित रहना हनुमंतप्पा की जिजीविषा और दृढ़ इच्छाशक्ति को ही व्यक्त करता है।
सेना के राहत-बचाव दल ने खोजी कुत्तों की मदद से जबर्दस्त अभियान छेड़ते हुए हनुमंतप्पा को ढूंढ़ निकाला था। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा देश उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआ कर रहा था। कई सेलिब्रिटीज ने हनुमंतप्पा की जीवट वाला जवान करार देते हुए उनके जल्द ठीक होने की कामना की थी। हनुमंतप्पा सहित उनके साथी जवानों की टुकड़ी के हिमस्खलन में फंसने, ताबड़तोड़ चलाए गए राहत कार्य और उन्हें सुरक्षित निकाले जाने तक के घटनाक्रम इस तरह रहा ....
बर्फीले तूफान के कारण 25 फुट नीचे दब गए थे
3 फरवरी के भारी हिमस्खलन के बीच सेना के 10 जवान फंस गए थे। सिचाचिन में परिस्थितियां इतनी दुरूह थीं कि इस घटना के 48 घंटे बाद इन सभी जवानों को लगभग मृत मान लिया गया था। सेना ने अपने फंसे जवानों को खोजने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। बाकी सभी नौ जवानों के शव हनमनथप्पा के करीब ही पाए गए हैं। ये सभी कर्नाटक के रहने वाले थे। सभी जवान करीब 25 फुट बर्फ की चादर के नीचे दब गए थे। ये सभी विशेष रूप से तैयार किए गए फाइबर के टेंट में थे। बर्फीले तूफान में इनका टेंट धराशायी हो गया था।
यूं चला राहत और बचाव अभियान
अपने जवानों के हिमस्खलन की चपेट में आते ही युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य छेड़ा गया। दुनिया की बेहतरीन टीम बचाव कार्य में लगाई गई है। एक टीम के थक जाने के बाद दूसरी टीम अपना काम शुरू कर रही थी। अभियान में खोजी कुत्तों की भी मदद ली गई। आखिरकार खोजी कुत्तों की ओर से स्थान की पहचान के बाद मद्रास रेजिमेंट के हनुमंतप्प्पा को खोज निकाला गया। बचाव दल ने बर्फ की चादर के नीचे दबे इस जवान को जब पहली बार देखा तब वह बेहोशी की हालत में थे। उनकी पल्स लगभग नहीं के बराबर रही थी। सेना के डॉक्टरों की टीम ने तुरंत मेहनत करते हुए जवान को जीवित करने की दिशा में प्रयास किया। इसके उनके बचाए जाने की कुछ उम्मीद बंध गई थी।
सबसे ऊंचे हैलीपैड से नीचे लाया गया
उसके बाद इस जवान को तुरंत मौके पर तैनात एक चॉपर में ले जाया गया। यह हैलीपैड दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित माना जाता है। सियाचिन के पश्चिमी किनारों के सलतोरो रिज पर स्थित इस स्थान पर उड़ान भरना खतरे से खाली नहीं समझा जाता। सेना के इस जवान को दिल्ली स्थित सेना के आर एंड आर अस्पताल में लाया गया जहां डॉक्टरों के दल ने उन्हें बचाने की पुरजोर कोशिश की। पूरा देश इस जवान के स्वास्थ्य की जानकारी देने वाले मेडिकल बुलेटिन का सांस थामकर इंतजार करता था। उम्मीद बस यही थी कि किसी तरह हनुमंतप्पा की जान बच जाए। लेकिन तमाम कोशिशें नाकाम रहीं और गुरुवार को इस जवान ने देश के लिए अपना कर्तव्य निभाते हुए जान न्यौछावर कर दी।
सेना के राहत-बचाव दल ने खोजी कुत्तों की मदद से जबर्दस्त अभियान छेड़ते हुए हनुमंतप्पा को ढूंढ़ निकाला था। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा देश उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआ कर रहा था। कई सेलिब्रिटीज ने हनुमंतप्पा की जीवट वाला जवान करार देते हुए उनके जल्द ठीक होने की कामना की थी। हनुमंतप्पा सहित उनके साथी जवानों की टुकड़ी के हिमस्खलन में फंसने, ताबड़तोड़ चलाए गए राहत कार्य और उन्हें सुरक्षित निकाले जाने तक के घटनाक्रम इस तरह रहा ....
बर्फीले तूफान के कारण 25 फुट नीचे दब गए थे
3 फरवरी के भारी हिमस्खलन के बीच सेना के 10 जवान फंस गए थे। सिचाचिन में परिस्थितियां इतनी दुरूह थीं कि इस घटना के 48 घंटे बाद इन सभी जवानों को लगभग मृत मान लिया गया था। सेना ने अपने फंसे जवानों को खोजने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। बाकी सभी नौ जवानों के शव हनमनथप्पा के करीब ही पाए गए हैं। ये सभी कर्नाटक के रहने वाले थे। सभी जवान करीब 25 फुट बर्फ की चादर के नीचे दब गए थे। ये सभी विशेष रूप से तैयार किए गए फाइबर के टेंट में थे। बर्फीले तूफान में इनका टेंट धराशायी हो गया था।
यूं चला राहत और बचाव अभियान
अपने जवानों के हिमस्खलन की चपेट में आते ही युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य छेड़ा गया। दुनिया की बेहतरीन टीम बचाव कार्य में लगाई गई है। एक टीम के थक जाने के बाद दूसरी टीम अपना काम शुरू कर रही थी। अभियान में खोजी कुत्तों की भी मदद ली गई। आखिरकार खोजी कुत्तों की ओर से स्थान की पहचान के बाद मद्रास रेजिमेंट के हनुमंतप्प्पा को खोज निकाला गया। बचाव दल ने बर्फ की चादर के नीचे दबे इस जवान को जब पहली बार देखा तब वह बेहोशी की हालत में थे। उनकी पल्स लगभग नहीं के बराबर रही थी। सेना के डॉक्टरों की टीम ने तुरंत मेहनत करते हुए जवान को जीवित करने की दिशा में प्रयास किया। इसके उनके बचाए जाने की कुछ उम्मीद बंध गई थी।
सबसे ऊंचे हैलीपैड से नीचे लाया गया
उसके बाद इस जवान को तुरंत मौके पर तैनात एक चॉपर में ले जाया गया। यह हैलीपैड दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित माना जाता है। सियाचिन के पश्चिमी किनारों के सलतोरो रिज पर स्थित इस स्थान पर उड़ान भरना खतरे से खाली नहीं समझा जाता। सेना के इस जवान को दिल्ली स्थित सेना के आर एंड आर अस्पताल में लाया गया जहां डॉक्टरों के दल ने उन्हें बचाने की पुरजोर कोशिश की। पूरा देश इस जवान के स्वास्थ्य की जानकारी देने वाले मेडिकल बुलेटिन का सांस थामकर इंतजार करता था। उम्मीद बस यही थी कि किसी तरह हनुमंतप्पा की जान बच जाए। लेकिन तमाम कोशिशें नाकाम रहीं और गुरुवार को इस जवान ने देश के लिए अपना कर्तव्य निभाते हुए जान न्यौछावर कर दी।
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