
भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज़ अहमद चौधरी की दूसरी चिठ्ठी का जवाब दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक़, इस ख़त में बातचीत की वही शर्तें दोहराई गई हैं जो भारत ने पहले रखी थीं. इसमें कश्मीर की अशांति के लिए लिए ज़िम्मेदार आतंकवाद पर बातचीत की शर्त पहली है. साथ ही चिट्ठी में ये भी दोहराया गया है कि पाकिस्तान पीओके कब ख़ाली करेगा इस पर भी बातचीत हो.
ज्ञात हो कि चिट्ठियों का ये सिलसिला पाकिस्तानी विदेश सचिव की तरफ़ से अगस्त के दूसरे हफ़्ते में शुरू हुआ था. पाकिस्तान ने कश्मीर के हालात पर बातचीत के लिए भारतीय विदेश सचिव को इस्लामाबाद आने का न्योता दिया था. भारत ने न्योते को स्वीकारा तो था, लेकिन बातचीत का मुख्य मुद्दा सीमापार आतंकवाद को रखने की मांग की थी.
भारत के जवाब के बाद पाकिस्तान ने 19 अगस्त को फिर अपनी बात दोहराते हुए पेशकश की। भारत ने अब उसी का जवाब दिया है।
विदेश सचिव ने बीते 16 अगस्त की अपनी चिट्ठी में पाकिस्तान को आतंक और हिंसा का लंबा इतिहास याद दिलाते हुए कहा था कि 1948 से शुरुआत करके पाकिस्तान ने 1965 में और फिर उसके बाद 1998 में कारगिल समेत कई सालों से घुसपैठ कराई है. विदेश सचिव जयशंकर ने पाकिस्तान को दिए अपने पहले जवाब में कश्मीर के आतंकवाद में पाकिस्तान की सालों से रही भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह के पाकिस्तान अपने वादों से मुकरता रहा है.
विदेश सचिव ने बातचीत के लिए सहमति तो जताई है, लेकिन साफ किया कि आतंकवाद के मुद्दे पर बात होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि विदेश सचिव ने कई प्वाइंट्स रखे, जिसमें कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन बंद करने से लेकर आतंकवादी अड्डे बंद करने की मांग तक शामिल है.
इस जवाब से ज़ाहिर है कि बातचीत पर भारत का क्या रुख़ है.
इस्लामाबाद जाने को लेकर विदेश सचिव ने जो शर्तें पाकिस्तान के सामने रखी हैं, वे हैं...
1. सीमा पर आतंकवाद बंद करे पाकिस्तान
2. कश्मीर में आतंक और हिंसा ख़त्म करें
3. जिन्होंने कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया, उनके आकाओं के खिलाफ कार्रवाई हो
4. बहादुर अली जैसे आतंकियों के संगठन को नेस्तनाबूद करने पर बात हो
5. पाक बताए कि कितनी जल्दी POK को खाली करेगा
ज्ञात हो कि चिट्ठियों का ये सिलसिला पाकिस्तानी विदेश सचिव की तरफ़ से अगस्त के दूसरे हफ़्ते में शुरू हुआ था. पाकिस्तान ने कश्मीर के हालात पर बातचीत के लिए भारतीय विदेश सचिव को इस्लामाबाद आने का न्योता दिया था. भारत ने न्योते को स्वीकारा तो था, लेकिन बातचीत का मुख्य मुद्दा सीमापार आतंकवाद को रखने की मांग की थी.
भारत के जवाब के बाद पाकिस्तान ने 19 अगस्त को फिर अपनी बात दोहराते हुए पेशकश की। भारत ने अब उसी का जवाब दिया है।
विदेश सचिव ने बीते 16 अगस्त की अपनी चिट्ठी में पाकिस्तान को आतंक और हिंसा का लंबा इतिहास याद दिलाते हुए कहा था कि 1948 से शुरुआत करके पाकिस्तान ने 1965 में और फिर उसके बाद 1998 में कारगिल समेत कई सालों से घुसपैठ कराई है. विदेश सचिव जयशंकर ने पाकिस्तान को दिए अपने पहले जवाब में कश्मीर के आतंकवाद में पाकिस्तान की सालों से रही भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह के पाकिस्तान अपने वादों से मुकरता रहा है.
विदेश सचिव ने बातचीत के लिए सहमति तो जताई है, लेकिन साफ किया कि आतंकवाद के मुद्दे पर बात होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि विदेश सचिव ने कई प्वाइंट्स रखे, जिसमें कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन बंद करने से लेकर आतंकवादी अड्डे बंद करने की मांग तक शामिल है.
इस जवाब से ज़ाहिर है कि बातचीत पर भारत का क्या रुख़ है.
इस्लामाबाद जाने को लेकर विदेश सचिव ने जो शर्तें पाकिस्तान के सामने रखी हैं, वे हैं...
1. सीमा पर आतंकवाद बंद करे पाकिस्तान
2. कश्मीर में आतंक और हिंसा ख़त्म करें
3. जिन्होंने कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया, उनके आकाओं के खिलाफ कार्रवाई हो
4. बहादुर अली जैसे आतंकियों के संगठन को नेस्तनाबूद करने पर बात हो
5. पाक बताए कि कितनी जल्दी POK को खाली करेगा
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