पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के अगले महीने भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने की खबरों के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि बैठक में हिस्सा लेने के लिए सभी सदस्य देशों को न्यौता भेजा गया है और किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उतना उचित नहीं होगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बताया कि गोवा में 4-5 मई, 2023 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री परिषद (सीएफएम) की बैठक आयोजित की जा रही है. उन्होंने बताया कि इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए सभी सदस्य देशों को न्यौता भेजा गया था.
द्विपक्षीय बैठकों पर नहीं मिला जवाब
पाकिस्तान का नाम लिये बिना बागची ने कहा, ‘‘ हम इस बैठक के काफी सफल होने की अपेक्षा करते हैं, लेकिन किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उतना उचित नहीं होगा.'' एससीओ बैठक से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर की द्विपक्षीय बैठकों के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि इस बारे में कुछ कहना अभी समय से पूर्व की बात होगी. उन्होंने कहा कि आमतौर पर विदेश मंत्री इस तरह की शिखर बैठकों से इतर बैठकें करते हैं, लेकिन जब तक कुछ तय नहीं होता, तब तक टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.
आज ही पाकिस्तान ने की घोषणा
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अगले महीने भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जेहरा बलूच ने यहां साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की. बलूच ने कहा, “बिलावल भुट्टो जरदारी भारत के गोवा में 4-5 मई, 2023 को होने वाली एससीओ विदेश मंत्री परिषद (सीएफएम) की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.” इसके साथ ही हफ्तों से चली आ रही इन अटकलों पर विराम लग गया कि भुट्टो व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं.
कड़वाहट कम होने की उम्मीद
यह हाल के वर्षों में किसी भी पाकिस्तानी नेता का भारत का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा. इससे दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट के कम होने की उम्मीद है. फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे. अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में और कड़वाहट पैदा हो गई. एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुए रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों के शिखर सम्मेलन में की गई थी. बाद के वर्षों में यह सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठनों में से एक बनकर उभरा. भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे.
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