भारतीय वायुसेना के प्रमुख अरूप राहा ने आज कहा कि भारत की कोई सीमाई महत्वकांक्षाएं नहीं हैं, सिवाय इसके कि वह पड़ोस के हाथों गई अपनी भूमि को वापस हासिल करे।
चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख राहा ने कहा, 'इस बात को लेकर संदेह हैं कि क्या चीन का उदय शांतिपूर्ण होगा या नहीं।' और 'हमारे पास निकट भविष्य में इस प्रकार की चुनौती के लिए तैयारी करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है।' उन्होंने कहा, '..भारत की कोई सीमाई महत्वाकांक्षा नहीं, सिवाय उस भूमि को फिर से हासिल करने के, जो हमने अपने पड़ोसियों के हाथ इतिहास में गंवायी है।'
वायुसेना प्रमुख ने एयर चीफ मार्शल एलएम काटरे स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा, 'हमारी अशांत सीमा है। हमारी ब्रिटिश शासन की विरासत है और विगत में संघर्ष हो चुके हैं। लिहाजा सुरक्षा की दृष्टि से हम संवेदनशील स्थिति में हैं।'
भारत के पास इस की क्षमता होनी चाहिए कि वह युद्ध नहीं छेड़े, क्योंकि उसका लक्ष्य संघर्ष को टालना है। साथ ही यह भी जरूरी है कि विरोधियों को हमारे विरुद्ध किसी अभियान या हमारे खिलाफ युद्ध को शुरू करने से रोकने के लिए प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें वायुसेना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
राहा ने कहा, 'लिहाजा प्रतिरोध कौन करेगा। हमें किस प्रकार की क्षमताओं की जरूरत है जो हमारे विरोधियों के खिलाफ हमें यह प्रतिरोधी ताकत दे सके।' उन्होंने कहा कि प्रहार की ऐसी क्षमता होनी चाहिए जो शत्रु के दबदबे वाले क्षेत्र में भीतर तक मार कर सके। उन्होंने कहा कि इसे देश की वायु सेना, वायु ताकत के जरिये हासिल किया जा सकता है। इसी प्रकार हम संवेदनशील और महत्वपूर्ण परिस्थिति का आकलन कर सकते हैं।
राहा ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि हमें ऐसी मारक क्षमता हासिल करना होगी जो विरोधियों को देश के खिलाफ किसी आक्रामकता को शुरू करने का प्रतिरोध कर सके।' उन्होंने कहा कि उनके विरोध से देश की वायु शक्ति के रूप में हम अपना सर्वोत्तम बचाव एवं प्रतिरोध कर सकते हैं।
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