भारत और चीन के बीच बॉर्डर (Indo China Border) पर करीब डेढ़ साल से तनाव बना हुआ है. बावजूद इसके, दोनों देशों के बीच व्यापार (Bilateral Trade) में तेजी देखने को मिली है. आकंड़ों को मुताबिक इस साल के पहले नौ महीनों में भारत चीन का व्यापार पिछले साल के मुकाबले 49% बढ़ा है. एक कार्यक्रम में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले साल द्विपक्षीय व्यापार 88 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था. इस बार पहले नौ महीनों में 90 बिलियन यूएस डॉलर है. लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा एक चिंता का विषय है. साल के पहले नौ महीनों में व्यापार घाटा, जो चीन के पक्ष में जाता है, वह 47 बिलियन यूएस डॉलर का है. ये अंतर बढ़ता जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि भारत के कृषि उत्पादों और प्रतिस्पर्धा वाले सेक्टर जैसे आईटी, आईटीईएस, फार्मा पर चीन ने कई गैर टैरिफ (वे सभी शुल्क जो कि आयात या निर्यात शुल्क नहीं है, गैर-टैरिफ की श्रेणी में आते हैं) रुकावटें खड़ी की हुई हैं. इस मुद्दे पर कई बार चर्चा हुई है. यहां तक कि 2019 में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चेन्नई इनफॉर्मल सम्मिट में भी इस पर बात हुई थी. लेकिन कोविड के कारण इस पर ज्यादा कुछ हो नहीं पाया. दूसरी तरफ पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जो कुछ हुआ, उसके कारण सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता में खलल पड़ा. इसके कारण दोनों देशों के रिश्ते पर असर पड़ा है. स्थिति को संतोषजनक तरीके से सुलझाने पर ही द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर हो पाएंगे.
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आधिकारी आंकड़ों के मुताबिक 2021 की पहली तीन तिमाहियों में चीन का कुल आयात और निर्यात क्रमश: 22.7 प्रतिशत बढ़कर 28,330 अरब युआन या 4,380 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. वहीं सीमा शुल्क सामान्य प्रशासन के मुताबिक यह आंकड़ा 2019 की कोरोना महामारी से पहले की समान अवधि से 23.4 प्रतिशत अधिक है. वहीं चीन का भारत को निर्यात 51.7 प्रतिशत से बढ़कर 68.46 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है।
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