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This Article is From Jun 02, 2024

NDA के सामने कोई नहीं है टक्कर में...आखिर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को क्या सीखना चाहिए?

देश की 543 लोकसभा सीटों (Loksabha Elections Exit Polls) पर हुए चुनावों के एग्जिट पोल के मुताबिक, INDIA गठबंधन वैसा प्रदर्शन नहीं कर सका, जैसे की उसने उम्मीद जताई थी. NDA को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों ने INDIA गठबंधन का सहारा लिया,लेकिन वो क्या वजहें रहीं जिनकी वजह से उसको मुंह की खानी पड़ी.

NDA के सामने कोई नहीं है टक्कर में...आखिर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को क्या सीखना चाहिए?
लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को क्यों हुआ नुकसान.
नई दिल्ली:

देश में लोकसभा चुनाव (LokSabha Elections 2024) खत्म हो चुका है. अब बारी है नतीजों की. 19 अप्रैल से शुरू हुआ लोकसभा चुनाव 1 जून को सातवें चरण के साथ समाप्त हो गया. वोटों की गिनती 4 जून को होगी. लेकिन वोटों की निगती से पहले ही तमाम न्यूज एजेंसियों के एग्जिट पोल (Exit Polls) सामने आ गए हैं. जिनमें अंदाजा लगाया जा रहा है कि देश में अब की बार किसकी सरकार बनेगी और किसको हार का कसैला स्वाद चखना पड़ेगा. तमाम एग्जिट पोल्स ने इस बार भी NDA की सरकार बनने का संकेत दिया है. चाहे NDTV का पोल ऑफ पोल्स हो या फिर न्यूज 24 का चाणक्य, सभी के मुताबित एक बार फिर से NDA सत्ता में वापसी करने जा रहा है.

NDA के लिए 290 से 360 सीटें मिलने का अनुमान है तो वहीं इंडिया गठबंधन (India Alliance) को महज 120 से 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. इस लोकसभा चुनाव में NDA का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दल 'इंडिया गठबंधन' के सहारे एकजुट हुए हैं, लेकिन फिर भी बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सके. सवाल ये है कि आखिर वो कौन सी वजह रहीं, जिसकी वजह से इंडिया गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा है. इंडिया गठबंधन को इससे आखिरकार क्या सीख लेनी चाहिए और कहां खुद को मजबूत करने की जरूरत है. 

देश में लोकसभा की 543 सीटें हैं. बहुमत के लिए किसी भी दल के पास 272 सीटें होनी जरूरी हैं. बात अगर NDTV पोल आफ पोल्स की करें तो इसके आकलन के मुताबिक एनडीए को 366 सीटें और इंडिया गठबंधन को 144 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. इसका मतलब साफ है कि इंडिया गठबंधन बहुमत के 272 के आंकड़े से कोसों दूर है. आखिर ऐसी क्या वजह रही कि विपक्ष की एकजुटता के बाद भी इंडिया गठबंधन वो कमाल नहीं दिखा पाया, जिसकी वह उम्मीद कर रहा था. या यूं कहें कि इससे कांग्रेस या इंडिया गठबंधन को क्या सबक लेना चाहिए.

दिल्ली में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

बात अगर दिल्ली की करें तो चाणक्य के एग्जिट पोल के मुताबिक यहां की 7 लोकसभा सीटों में से इंडिया गठबंधन के खाते में महज 1 सीट जाती दिख रही है. जब कि बाकी 6 सीटें बीजेपी के खाते में जा रही हैं. जब कि कांग्रेस से अपनी साथ बचाने के लिए इस बार AAP के साथ गठबंधन कर राजधानी में चुनाव लड़ा है. सवाल यह है कि फिर भी महज एक सीट मिलने के पीछे क्या वजह रही. तो आपको बताते हैं कि दिल्ली शराब घोटाला मामले को मुद्दा बनाने में कांग्रेस बीजेपी से आगे थी. लेकिन चुनाव के समय पर जबरदस्ती का गठबंधन कर लिया. लेकिन जनता वेबकूफ नहीं है, वह तो सब जानती और समझती है. शायद इंडिया गठबंधन के वोटर्स इस बात को पचा नहीं पाए.

INDIA गठबंधन के खराब प्रदर्शन की वजह

  • कांग्रेस+AAP का जबरदस्ती का गठबंधन, पहले दिल्ली शराब घोटाले को मुद्दा बनाया फिर गठबंधन कर लड़ा चुनाव.
  • कांग्रेस+AAP के नेताओं ने दिल्ली में गठबंधन होने के बाद भी एक साथ न के बारबर रैलियां कीं, ये भी नुकसान की वजह.
  • स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट की घटना का असर इंडिया गठबंधन के वोट पर भी पड़ा. शायद महिला वोटर्स का नजरिया बदल गया. 
     

उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 62 से 74 सीटें एनडीए, जबकि इंडिया गठबंधन को महज 9 से 13 सीटें मिलने का अनुमान एग्जिट पोल में जाताया जा रहा है. यूपी में इतनी कम सीटें इंडिया गठबंधन को मिलने की वजह योगी और मोदी फैक्टर को माना जा रहा है. साथ ही यहां पर कानून व्यवस्था, रोजगार, शिक्षा समेत तमाम जैसे मुद्दे हैं, जिन पर सपा-कांग्रेस गठबंधन जनता तो भरोसा दिलाने में नाकामयाब रहा है. बीजेपी की शानदार रणनीति का तोड़ विपक्ष नहीं निकाल सका. वहीं कमजोर होते विपक्ष पर जनता फिर से भरोसा नहीं कर पा रही है. 

  • राम मंदिर पर सरकार की अलोचना यूपी की जनता को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई. इसका खामियाजा विपक्ष को भुगतना पड़ा.
  • CAA के मुद्दे को भी सरकार ने खूब भुनाया. विपक्ष ने इसमें खामिया निकालकर अपने लिए ही नुकसान का सौदा कर लिया.
  • माफियाओं पर सरकार की सख्ती यूपी के लोगों को खूब पसंद आ रही है. वहीं विपक्ष को इसकी अलोचान का नुकसान उठाना पड़ा है.

बिहार में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में एनडीए के खाते में 29-33 सीटें जाने का अनुमान एग्जिट पोल में जताया गया है, जब कि महा गठबंधन को 7-11 सीटें ही मिलती दिख रही हैं. देश के दूसरे हिस्सों की तरह मोदी मैजिक बिहार में भी काम कर गया है, जिसका तोड़ इंडिया गठबंधन नहीं निकाल सका. राम मंदिर पर विपक्षी की बेरुखी का नुकसान उठे उठाना पड़ा है. वहीं एनडीए ने लालू के जंगलराज के मुद्दे को भी चुनाव में बखूबी निभाया, जिसका नुकसान इंडिया गठबंधन को उठाना पड़ा. वहीं सीटों पर आसानी से सहमति नहीं बन पाना भी सीटें कम होने की बड़ी वडह रही है.

पश्चिम बंगाल में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

एग्जिट पोल में 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी की आंधी दिखाई दे रही है. NDA को यहां26-31 सीटें का अनुमान है तो वहीं टीएमसी 11-14 सीटें मिल सकती हैं. दोनों दलों के बीच इंडिया गठबंधन कहीं दिखई ही नहीं दे रहा है. इंडिया गठबंधन के खाते में सिर्फ 1 सीट मिलती दिख रही है. बता दें कि बंगाल में टीएमसी से सीट शेयरिंग पर सहमति न बन पाना भी इंडिया गठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हुआ. साथ ही मोदी लहर और ममता के सख्त तेवरों के आगे कांग्रेस को किसी ने भाव ही नहीं दिया. साथ ही यहां के स्थनीय मुद्दों पर इंडिया गठबंधन जनता को बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं कर सकी.

झारखंड में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

झारखंड की अगर बात करें तो यहां की 14 सीटों में इंडिया गठबंधन को सिर्फ 2 सीटें मिलती दिथ रही हैं. वहीं 12 सीटें एनडीए के खाते में जा रही हैं. इंडिया गठबंधन को बीजेपी की बढ़िया पिचिंग और हेमंत सोरेन के जेल जाने की वजह से बड़ा नुकासन झेलना पड़ा है. राज्य की राजनीति में उतार-चढ़ाव की वजह से शायद जनता का मूड महा गठबंधन पर भरोसा करने का नहीं है. वहीं मोदी मैजिक के आगे विपक्ष नतमस्तक नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि विपक्षी गुट स्थानीय मुद्दों को भुनाने में नाकाम रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केंद्र की योजनाएं, 5 किलो फ्री राशन समेत अन्य जनता को खूब भा रही हैं. राम मंदिर जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की आलोचना से भी इंडिया गठबंधन को नुकसान झेलना पड़ा है.

छत्तीसगढ़ में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

एग्जिट पोल में छत्तीसगढ़ की 11 सीटों में कांग्रेस को एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही है. चाणक्य ने कांग्रेस को जीरो सीट मिलने का अनुमान जताया है. सभी 11 सीटें बीजेपी के खाते में जाती नजर आ रही हैं. पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी अपनी राजनांदगांव सीट हार रहे हैं. राज्य में मोदी फेक्टर का फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है. वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों पर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने में नाकामयाब रही है. बीजेपी की रणनीति के आगे कांग्रेस यहां टिक नहीं पाई. जब कि पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन यहां अच्छा रहा था. 

हरियाणा में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

हरियाणा की 10 सीटों में एग्जिट पोल में इंडिया गठबंधन को 4 सीटें मिलती दिख रही हैं, जब कि 6 सीटें बीजेपी के खाते में जा रही हैं. कांग्रेस ने राज्य में बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार और एंटी इनंकंबेंसी को भुनाने की पूरी कोशिश की, पार्टी ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दों और अग्निवीर योजना को लेकर मौजूदा सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की. लेकिन फिर भी बहुत ज्यादा सीटें उसके खाते में जाती नहीं दिख रही हैं. शायद यहां की जनता को इंडिया गठबंधन पर बीजेपी से ज्यादा भरोसा नहीं है.

गुजरात में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

गुजरात की 26 सीटों में से बीजेपी के खाते में सभी 26 सीटें जाने का अनुमान चाणक्य ने जताया है. वहीं गुजरात में इंडिया गठबंधन का बहुत ही बुरा हाल होता नजर आ रहा है. एग्जिल पोल ने इंडिया गठबंधन को एक भी सीट मिलने का अनुमान नहीं जाताया है. पिछले चुनाव में भी कांग्रेस गुजरात में खाता तक नहीं खोल सकी थी. कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दों, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर बीजेपी को घेरने की काफी कोशिश की लेकिन पीएम मोदी के करिश्मे के आगे वह कोई कमाल नहीं कर सकी. बीजेपी की रणनीति इंडिया गठबंधन पर भारी रही है.

हिमाचल प्रदेश में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

हिमाचल प्रदेश की 4 सीटों में से कांग्रेस के खाते में एक भी सीट जाती नहीं दिख रही है. सभी चारों सीटों को बीजेपी के खाते में जाने का अनुमान चाणक्य ने जताया है. कांग्रेस के सफाये की बड़ी वजह पार्टी के नेताओं में अंदरूनी कहल और कांग्रेस के प्रति बढ़ता असंतोष भी माना जा रहा है. चुनाव से पहले हिमाचल में कांग्रेस नेताओं ने खूब बगावत की थी. सुक्खू सरकार खतरे में थी. जैसे-तैसे सरकार बच पाई. लेकिन इसका असर अब लोकसभा चुनाव में साफ देखा जा सकता है. 

असम में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

बात अगर असम के एग्जिट पोल की करें तो चाणक्य के मुताबिक यहां की 14 सीटों में से इंडिया गठबंधन के खाते में महज 1 सीट जाती दिख रही है. वहीं एनडीए के लिए 12 सीटें जीतने का अनुमान है. असम में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की करारी हार की वजह बीजेपी का उन पर भारी पड़ना माना जा रहा है. असम के सीएम हेमंता बिस्बा सरमा हर रैली में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर हमलावर रहे. उनके सख्त तेवरों के आगे इंडिया गठबंधन कहीं टिक ही नहीं पाया, ये बात एग्जिट पोल के नतीजों से साफ नजर आ रही है. 

आंध्र प्रदेश में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

आंध्र प्रदेश की 25 सीटों में इंडिया गठबंधन का सूपड़ा साफ होता नजर आ रहा है. वहीं एनडीए के खाते में 22 और YSRC के खाते में 3 सीटें जाती एग्जिट पोल चाणक्य में नजर आ रही हैं. मोदी मैजिक के आगे विपक्षी गुट कोई कमाल यहां करता नहीं दिख रहा है. बीजेपी यहां टीडीपी संग गठबंधन में चुनावी मैदान में है. 

कर्नाटक में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

कर्नाटक की 28 सीटों में से कांग्रेस के खाते में महज 4 सीटें जा रही हैं, तो वहीं एनडीए को बंपर 24 सीटें मिलती चाणक्य एग्जिट पोल में दिख रही हैं. कर्नाटक में बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर रही है. जिसका नुकसान उसे चुनाव में उठाना पड़ा है. यहां के स्थआनीय मुद्दों के लेकर कांग्रेस जनता का भरोसा जीतने में कामयाब नहीं हो सकी. कांग्रेस को लगता है कि काले जादू से सिद्धारमैया सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है. शायद कांग्रेस की यही इनसिक्योरिटी उसे लोकसभा चुनाव में ले डूबी.

केरल में INDIA गठबंधन का क्या हाल?

बात अगर केरल की करें तो यहां की 20 सीटों में से इंडिया गठबंधन का राज्य में सूपड़ा साफ होता चाणक्य एग्जिट पोल में दिख रहा है. UDF को 15, LDF को 1 सीट मिलने का अनुमान है. केरल में CAA पर राहुल गांधी की चुप्पी को लेफ्ट ने खूब भुनाया. पिनराई विजयन ने कई रैलियों में इस मुद्दे को खूब उठाया, ये भी एक वजह इंडिया गठबंधन की हार की मानी जा रही है. इसका पूरा फायदा सीपीआई तो मिलता दिख रहा है.


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