भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने न्यायपालिका में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी की सिफारिश की है. मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट से लेकर अधीनस्थ अदालतों में महिला जजों की संख्या बहुत ही कम है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमने कई चुनौतियों पर काबू पाया है. इसमें कोई शक नहीं है कि जब हम आजाद हुए, तो शिक्षा के स्तर के मामले में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी. आज देश ने वास्तव में तरक्की की है. कानूनी क्षेत्र में भी तरक्की हुई है. अब न्यायपालिका भी महिलाएं प्रमुख भूमिका में हैं. कानून की पढ़ाई को लड़कियां चुन रही हैं. ये सामाजिक परिवर्तन का संकेत है. लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है"
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ये बातें कही. CJI ने कहा, "बेशक न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. आर्म्ड फोर्स में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का मामला ही लीजिए. ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिस्सा था. कुछ राज्यों की जिला अदालतों में हाल की भर्तियों में 50% महिलाएं ही थीं. कुछ मामलों में 60-70% महिला स्टाफ की भर्तियां हुईं. यह उभरते राष्ट्र का संकेत है."
कानूनी पेशे में महिलाओं का आना सामाजिक परिवर्तन का संकेत
CJI ने कहा, "एक बार शिक्षा का प्रसार होने के बाद ज्यादा से ज्यादा महिलाएं शिक्षित हो रही हैं. वो वर्कप्लेस में आ रही हैं. हमारे पास जो कुछ है, उसे कैसे आगे बढ़ाएं और कैसे मजबूत करे, ये सुनिश्चित करना एक चुनौती है. हाल ही में हमने 12 महिलाओं को सीनियर एडवोकेट के तौर पर नॉमिनेट किया है. इस साल फरवरी में हमने करीब 13 महिलाओं को सीनियर काउंसिल में भेजा. इसलिए हमारे पास उतनी ही संख्या में महिलाएं आगे आ रही हैं. युवा महिला वकील भी मुख्यधारा में कानूनी पेशे को चुन रही हैं. यह सामाजिक परिवर्तन का संकेत है, जिस पर हमें गर्व होना चाहिए."
चीफ जस्टिस ने कहा, "हमने महिलाओं के लिए काम करने के लिए सुरक्षित माहौल बनाया है. हमने महिलाओं को देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर सुप्रीम कोर्ट में काम करने के लिए तैयार किया है. इससे सुप्रीम कोर्ट को उनका अनुभव मिलता है. जिसका असर पॉलिसी डिजाइनिंग और न्याय देने में भी दिखता है."
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