अन्नाद्रमुक नेता ई पलानीस्वामी को मद्रास उच्च न्यायालय ने एक बड़ा झटका दिया है. आज फैसला सुनाते हुए कहा कि पार्टी के महासचिव के रूप में उनकी नियुक्ति वैध नहीं है. पार्टी नेतृत्व के मुद्दे पर कोर्ट ने अब 23 जून तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.
पार्टी के नियंत्रण को लेकर पलानीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम के बीच चल रहे झगड़ों के बीच अदालत का फैसला आया है. पलानीस्वामी की नियुक्ति से पहले अन्नाद्रमुक पार्टी संयुक्त नेतृत्व के जरिए चला करती थी. उस व्यवस्था के तहत पन्नीरसेल्वम समन्वयक थे और पलानीस्वामी उनके डिप्टी थे.
पन्नीरसेल्वम ने अदालत में तर्क दिया था कि जुलाई में पार्टी की बैठक के दौरान पलानीस्वामी को महासचिव चुना जाना अवैध था.
गौरतलब है कि इसी साल जुलाई में अन्नाद्रमुक के दो शीर्ष नेता ओपीएस और ईपीएस के बीच पार्टी में सिंगल लीडरशीप लागू करने को लेकर जारी विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री ओपीएस को बड़ा झटका लगा था. कोर्ट ने ईपीएस द्वारा बैठक बुलाए जाने पर रोक लगाने की ओपीएस के मांग को खारिज करते हुए बैठक करने की अनुमति दी थी. इसी बैठक में ईपीसी को अंतरिम महासचिव चुना गया था. इतना ही नहीं, AIADMK जनरल काउंसिल की बैठक ने ओ पनीरसेल्वम को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और कोषाध्यक्ष के पद से निष्कासित कर दिया. पन्नीरसेल्वम के समर्थक भी निष्कासित किए गए.
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