राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं में समानता का आह्वान किया। एक कार्यक्रम में लोगों को दिए इस संदेश में राजनीति के जानकारों को चुनावी एजेंडा दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि दो राज्यों (महाराष्ट्र और हरियाणा) में होने वाले चुनावों के मद्देनजर मोहन भागवत ने यह बात कही है।
मुंबई में रविवार को एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि अगले पांच सालों में हमें हिंदुओं के तमाम वर्गों में समानता लाने का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी हिंदुओं में एक ही स्थान पर पानी पीना, पूजा करना और यहां तक की मरने के बाद एक स्थान पर जलाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि आरएसएस को भाजपा का सैद्धांतिक गुरु माना जाता है और पार्टी के लिए ज़मीनी स्तर पर प्रचार करने का जिम्मा आरएसएस के कार्यकर्ता ही उठाते हैं।
भागवत की यह टिप्पणी तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले चुनाव में दलितों को जोड़ने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह वह वजह बताई जा रही है जिसके कारण उत्तर प्रदेश में भाजपा ने हाल में संपन्न आम चुनाव में शानदार जीत हासिल की। यूपी में लोकसभा की 80 सीटों में से 71 में भाजपा और दो में भाजपा का सहयोगी दल जीता है।
कहा जा रहा है कि मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद इन इलाकों में भाजपा की जीत, यह बता रही है कि इन इलाकों में जातियों की दीवार टूटी है और लोग भाजपा की ओर लामबंद हुए हैं। इस चुनाव से पहले भाजपा को अगड़ी जातियों की पार्टी ही समझा जाता था।
इसलिए राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि महाराष्ट्र और हरियाणा में मुजफ्फरनगर जैसी घटनाओं के न होने की वजह से भाजपा हिंदुओं में समानता के सिद्धांत पर चल रही है।
कई जानकारों की राय है कि आगामी चुनाव नरेंद्र मोदी सरकार के संबंध में एक जनमत भी हो सकते हैं। गौरतलब है कि मई 2014 में ही नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है। बता दें कि इसी मंच से मोहन भागवत ने एक विवादित बयान भी दिया कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है।
इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का कहना है कि केंद्र सरकार की मिली भगत की वजह से देश में धार्मिक आधार पर लोगों को लामबंद किया जा रहा है।
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