आंसू, गुस्सा और उदासीनता, इन तीनों लफ्जों का भाव शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की राजनीति में चल रहे नाटकीय ड्रामे में नजर आया. शुरुआत बंगाल के वन मंत्री राजिब बनर्जी (Bengal Forest Minister Rajib Banerjee) के इस्तीफे से हुई, जो अपना त्यागपत्र सौंपे जाने के बाद रो पड़े. मुख्यमंत्री के कार्यालय पर त्यागपत्र छोड़ने के बाद राजिब बनर्जी सीधे राजभवन गए और उन्हें पद छोड़ने का पत्र दिया. फिर मीडिया से बात की और सुबकते रहे.
राजिब ने कहा, मैंने हमेशा जनता के लिए काम किया और मैं पार्टी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे ये काम करने का अवसर दिया. टीएमसी की एक और विधायक और क्रिकेट प्रशासक जगमोहन डालमिया की बेटी बैशाली डालमिया ने राजिब बनर्जी के पार्टी छोड़ने पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि तृणमूल (Trinamool Congress) में दीमक ने एक अच्छे इंसान को बाहर का रास्ता दिखा दिया.हालांकि तृणमूल कांग्रेस इस सबसे बेपरवाह नजर आई.
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इस बीच तृणमूल ने हावड़ा जिले की बैली सीट से पहली बार विधायक से जवाब मांग लिया. बैशाली ने कहा, याद करिए मैंने आपसे कहा था कि पार्टी में खटमल हैं,अब वे ओवरटाइम कर रहे हैं. इसके तुरंत बाद तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष सामने आए और इसे पार्टी विरोध बयान ठहराया. घोष ने कहा कि यह सब सुनियोजित तरीके से हो रहा है ताकि पार्टी को बदनाम किया जाए, जिस पार्टी ने बैशाली और राजिब को बहुत कुछ दिया. टीएमसी के मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस समुद्र की तरह है, अगर इससे कुछ मग पानी निकाल लिया जाता है तो फर्क नहीं पड़ेगा. कुछ पत्तियां टूटकर गिर जाने से विशालकाय पेड़ पर फर्क नहीं पड़ता.
राजिब बनर्जी तीसरे मंत्री हैं, जिन्होंने पिछले 6 हफ्तों के दौरान पद से इस्तीफा दिया है. सुवेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. क्रिकेटर से मंत्री बने लक्ष्मी रतन शुक्ला ने भी राजिब की तरह इस्तीफा दे दिया है. लेकिन उन्होंने पार्टी या विधायकी नहीं छोड़ी है. 31 जनवरी को हावड़ा में बीजेपी नेता अमित शाह की बड़ी रैली होने वाली है, जहां टीएमसी के कई नेता पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
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