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This Article is From Dec 23, 2020

ममता की कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे 4 मंत्री, वन मंत्री की अनुपस्थिति को लेकर उठने लगे सवाल

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मंगलवार को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक से चार चेहरे गायब थे, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल नेताओं की तरफ से पाले बदलने की संभावना को लेकर सरर्गमी तेज हो गयी है.

ममता की कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे 4 मंत्री, वन मंत्री की अनुपस्थिति को लेकर उठने लगे सवाल
ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मंगलवार को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक से चार चेहरे गायब थे, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल नेताओं की तरफ से पाले बदलने की संभावना को लेकर सरर्गमी तेज हो गयी है. पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि चार में से तीन अनुपस्थिति के कारण वास्तविक प्रतीत हो रहे हैं.हालांकि वन मंत्री राजीब बनर्जी का बैठक से अनुपस्थिति रहने के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी में "पक्षपात" का आरोप लगाते हुए उनके टीएमसी छोड़ने की अटकलें हैं.


गौरतलब है कि नवंबर में, कोलकाता में हुए सार्वजनिक बैठक में, उन्होंने पार्टी में भाई-भतीजावाद और चाटुकारिता की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि पार्टी में हां में हां मिलाने वालों की अहमियत बढ़ रही है जो निराशा की बात है. बनर्जी की टिप्पणी ने पार्टी के मजबूत नेता माने जाने वाले सुवेंदु अधिकारी की बातों को मजबूत किया था. पिछले महीने अधिकारी ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को पैराशूट वाला नेता कहा था. 


मंगलवार की बैठक से अनुपस्थित दो अन्य मंत्री - पर्यटन मंत्री गौतम देब और उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष शामिल थे. हालांकि घोष ने कहा कि वह सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में मदद करने के लिए सुश्री बनर्जी की बातों को जनता तक पहुंचाने में व्यस्त हैं. दार्जिलिंग जिले से आने वाले पर्यटन मंत्री गौतम देब अस्वस्थ हैं, और बीरभूम के चंद्रनाथ सिन्हा ने कहा कि अगले हफ्ते मुख्यमंत्री की यात्रा की तैयारी को लेकर वो अपने क्षेत्र में हैं.

बताते चले कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने चार महीने बाद होने वाले पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों  में कुल 294 सीटों में से 200 प्लस पर पार्टी की जीत का लक्ष्य रखा है. इसके लिए खुद अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. बीजेपी ने चुनावी रणनीति बनाते हुए राज्य को पांच चुनावी जोन में बांटा है और हर जोन के लिए एक संगठन महामंत्री को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों की फौज भी उतारी है. 

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