मुंबई:
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से का लातूर दौरा विवादों से घिर गया है। खड़से इस दौरे में जिस जगह पर हेलीकॉप्टर से उतरे, वहां का हेलीपैड बनाने के लिए कई हजार लीटर पानी का इस्तेमाल हुआ है। दावा किया जा रहा है कि करीब 10 हजार लीटर पानी इस हेलीपैड को बनाने के लिए खर्च हो गया।
एकनाथ खड़से महाराष्ट्र कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री हैं। वे जल आपूर्ति योजना का शुभारंभ करने के लिए लातूर से 40 किलोमीटर दूर बेलकुंड गए थे। इसलिए उन्होंने अपने गृह नगर मुक्ताई नगर से सीधे चॉपर की सवारी ली।
(पढ़ें- महाराष्ट्र के सूखे पर बोले नाना पाटेकर - अब चुप रहना अपराध होगा)
पानी के लिए तरसते लातूर में हेलीपैड के लिए पानी के इस तरह इस्तेमाल पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने खड़से से सवाल पूछा है कि जब लातूर शहर में एयरपोर्ट है तो अलग से हेलीपैड बनाने की क्या जरूरत थी? वे मुंबई में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
वैसे इस सवाल का जवाब तो सत्तापक्ष ने नहीं दिया, लेकिन इस दौरे में हेलीपैड बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पानी को लेकर अपनी सफाई दी है। समारोह के बाद लातूर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एकनाथ खड़से ने कहा कि जब उनका हेलीकॉप्टर उतर रहा था, तब बहुत धूल उड़ रही थी। ऐसे में उन्हें नहीं लगता कि इतना पानी इस्तेमाल हुआ होगा। मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा भी दिलाया है।
वैसे तर्क और दलील अपनी जगह हैं। सवाल बचता है संवेदनशीलता का। जब लातूर की प्यास बुझाने के लिए ट्रेन से पानी भेजा जा रहा है, तब उसी सरकार के मंत्री के हेलीपैड के लिए पानी जमीन पर उडेल देना कहां तक जायज है?
एकनाथ खड़से महाराष्ट्र कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री हैं। वे जल आपूर्ति योजना का शुभारंभ करने के लिए लातूर से 40 किलोमीटर दूर बेलकुंड गए थे। इसलिए उन्होंने अपने गृह नगर मुक्ताई नगर से सीधे चॉपर की सवारी ली।
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पानी के लिए तरसते लातूर में हेलीपैड के लिए पानी के इस तरह इस्तेमाल पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने खड़से से सवाल पूछा है कि जब लातूर शहर में एयरपोर्ट है तो अलग से हेलीपैड बनाने की क्या जरूरत थी? वे मुंबई में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
वैसे इस सवाल का जवाब तो सत्तापक्ष ने नहीं दिया, लेकिन इस दौरे में हेलीपैड बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पानी को लेकर अपनी सफाई दी है। समारोह के बाद लातूर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एकनाथ खड़से ने कहा कि जब उनका हेलीकॉप्टर उतर रहा था, तब बहुत धूल उड़ रही थी। ऐसे में उन्हें नहीं लगता कि इतना पानी इस्तेमाल हुआ होगा। मंत्री ने मामले की जांच का भरोसा भी दिलाया है।
वैसे तर्क और दलील अपनी जगह हैं। सवाल बचता है संवेदनशीलता का। जब लातूर की प्यास बुझाने के लिए ट्रेन से पानी भेजा जा रहा है, तब उसी सरकार के मंत्री के हेलीपैड के लिए पानी जमीन पर उडेल देना कहां तक जायज है?
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