Uttarakhand tunnel rescue: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने रविवार को कहा कि अगर मलबे में ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन ठीक से काम करती रहती है, तो बचाव टीम अगले दो दिनों में उत्तराखंड की सुरंग के अंदर 170 घंटों से अधिक समय से फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंच सकती है.
नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सुरंग ढहने के स्थल का दौरा किया. वहां 41 लोगों की जान खतरे में है. उत्तरकाशी और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा पिछले रविवार को भूस्खलन के बाद ढह गया, जिससे मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए. यह सुरंग निर्माण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना के तहत हो रहा है.
पिछले सप्ताह क्षेत्र की टोपोग्राफी और चट्टानों की प्रकृति सहित कई चुनौतियों के कारण मजदूरों को बचाने की कोशिशें बार-बार विफल होती रहीं. मजदूरों तक भोजन, पानी और ऑक्सीजन निरंतर पहुंचाई जा रही है. बचाव दल उनको निकालने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं.
मीडिया से बात करते हुए गडकरी ने कहा कि प्राथमिकता मजदूरों का जीवन बचाना है. उन्होंने कहा कि, "अगर ऑगर मशीन ठीक से काम करती है, तो हम अगले दो से ढाई दिन में उन तक पहुंच पाएंगे. बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) द्वारा विशेष मशीनें लाने के लिए सड़कें बनाई जा रही हैं. कई मशीनें यहां आ चुकी हैं. फिलहाल दो ऑगर मशीनें बचाव के लिए काम कर रही हैं."
सभी की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता : पुष्कर सिंह धामीमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि उनकी सरकार बचाव एजेंसियों को मदद देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि, "सभी की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है. इसके लिए राज्य सरकार सभी एजेंसियों को हर संभव मदद देने के लिए तैयार है. मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि उन्हें जल्द से जल्द बचा लिया जाए, क्योंकि हर गुजरते दिन के साथ उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है."
इस चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान के लिए कई एजेंसियों की टीमें मौके पर मौजूद हैं. इनमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अधिकारी भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि हमें फंसे हुए मजदूरों तक जल्द से जल्द पहुंचने के लिए एक योजना पर काम करने के बजाय पांच योजनाओं पर एक साथ काम करना चाहिए."
खुल्बे ने कहा कि श्रमिकों को चार-पांच दिनों में बचा लिए जाने की आशा है. उन्होंने कहा, "लेकिन अगर ईश्वर दयालु की कृपा रही तो यह उससे पहले भी हो सकता है."
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