कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने कहा है कि अगर यूपीए-2 सरकार के दौरान प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) को प्रधानमंत्री और डॉ मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाता तो 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे अलग होते और कांग्रेस (Congress) को अपमानजनक हार का सामना नहीं करना पड़ता. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने समाचार एजेंसी पीटीआई से अपनी नई किताब 'ए मेवरिक इन पॉलिटिक्स' पर चर्चा की.
मणिशंकर अय्यर ने इस किताब में अपनी राजनीतिक यात्रा का ब्यौरा दिया है और उस यात्रा के दौरान राष्ट्रीय महत्व के घटनाक्रमों का भी जिक्र किया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन था, जिसमें उसे सिर्फ 44 सीटें मिली थीं. इस बारे में अय्यर ने कहा कि कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे एक प्रमुख कारण 2013 में "शासन का अभाव" था.
EXCLUSIVE | VIDEO: “…As I was walking out, I said Ma'am, Merry Christmas. And she says, ‘I'm not a Christian.' Naturally, I was completely taken aback. But I think she does not see herself as a Christian. Like I don't see myself as belonging to any particular religion. I am a… pic.twitter.com/NKqbyCFQ6O
— Press Trust of India (@PTI_News) December 15, 2024
कांग्रेस के 83 साल के नेता अय्यर ने कहा कि, "देखिए, 2012 में हमारे सामने दो आपदाएं आईं, सोनिया गांधी बहुत बीमार पड़ गईं और डॉ मनमोहन सिंह को छह बाईपास सर्जरी करानी पड़ीं. इस प्रकार हम सरकार और पार्टी के मुखिया को लेकर अपंग हो गए."
प्रणब मुखर्जी को पीएम बनाए जाने की उम्मीद थी
अय्यर ने कहा कि, "लेकिन एक व्यक्ति ऐसा था जो अभी भी ऊर्जा से भरा हुआ था, विचारों से भरा हुआ था, जिसमें एक निश्चित मात्रा में करिश्मा था, और जो पार्टी या सरकार या दोनों को चला सकता था. और वह थे प्रणब मुखर्जी. इसलिए प्रणब मुखर्जी ने अपनी जीवनी में कहा है, जैसा कि मैंने उस समय अनुमान लगाया था, कि वह उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें डॉ मनमोहन सिंह के स्थान पर प्रधानमंत्री बनाया जाएगा और डॉ मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति के रूप में उचित सम्मान दिया जाएगा, क्योंकि उन्होंने हमारे देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है."
उन्होंने कहा, "और अगर ऐसा हुआ होता, अगर डॉ मनमोहन सिंह राष्ट्रपति बन गए होते और प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बन गए होते, तो भी मुझे लगता है कि हम 2014 (लोकसभा चुनाव) हारते, लेकिन इस तरह की अपमानजनक हार नहीं मिलती, जैसी हमें मिली थी. हम 44 सीटों पर सिमट गए थे."
भाजपा के हमलों से नहीं बच सकी कांग्रेस
अय्यर की बेबाक टिप्पणियों से अक्सर राजनीतिक तूफान खड़े होते रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस के 2014 के प्रदर्शन की तुलना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के चुनावों में 414 सीटें हासिल करने के अपने सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से की. उन्होंने कहा कि 2012 में अपने शीर्ष नेताओं के बीमार होने के कारण सत्तारूढ़ कांग्रेस भाजपा के राजनीतिक हमलों से खुद का बचाव नहीं कर सकी.
उन्होंने कहा, "दिसंबर 1984 में 414 सीटों वाली पार्टी 2014 तक गिरकर 44 सीटों पर आ गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2013 में कोई शासन नहीं था, हर कोई बीमारी से उबर रहा था, हमारे खिलाफ कई आरोप लगाए गए जो कभी भी कानून की अदालत में साबित नहीं हुए. 2जी मामले में (डीएमके नेता) ए राजा और के कनिमोझी ने तिहाड़ जेल में एक साल हिरासत में बिताया, लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया."
सत्ता चली जाती, लेकिन इतनी शर्मनाक हार न होती
उन्होंने कहा, "सरकार संवाद को प्रभावित करने में सक्षम नहीं दिख रही थी. मुझे लगता है कि प्रणब (मुखर्जी) के हाथ में शासन होता तो भले ही वह सत्ता बचाने के लिए पर्याप्त न होता, लेकिन कम से कम हम 44 सीटों पर नहीं सिमटते, हम 140 सीटों पर सिमटते."
यह पूछे जाने पर कि प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनाया गया, अय्यर ने कहा, "उन्होंने कहा है और मैंने उन्हें उद्धृत किया है कि जब सोनिया (गांधी) कौशाम्बी हिल्स में स्वास्थ्य लाभ के लिए गई थीं, तो उन्होंने सुना था कि वह उन्हें प्रधानमंत्री बनाने पर विचार कर रही हैं. फिर उन्होंने यथास्थिति बनाए रखने का फैसला क्यों किया, मुझे नहीं पता. आपको उनसे पूछना होगा."
कांग्रेस के अनुभवी नेता और पार्टी के विशेषज्ञ रणनीतिकार रहे प्रणब मुखर्जी को पार्टी में चार दशक के करियर के बाद 2012 में राष्ट्रपति चुना गया था. उन्हें पार्टी लाइनों से परे सम्मान प्राप्त था. मुखर्जी ने केंद्र सरकार में वित्त, विदेश और रक्षा सहित प्रमुख विभाग संभाले थे. कोविड महामारी के दौरान उनके निधन से एक साल पहले 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
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