शिवराज सिंह चौहान भले ही अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ना हों लेकिन उन्हें अपने समर्थकों से मिलने वाले स्नेह और प्यार में किसी तरह की कोई कमी होती नहीं दिख रही है. खास तौर महिला समर्थकों में जो उन्हें अपना भाई और मामा कहकर बुलाती हैं. इसकी एक वजह से शिवराज सिंह चौहान और उनके समर्थकों के बीच का भावनात्मक जुड़ाव. इसका एक उदाहरण बीते दिनों विदिशा में उस वक्त देखने को मिला जब पूर्व मुख्यमंत्री यहां अपने समर्थकों से मिलने आए.
बीते दिनों जब शिवराज सिंह चौहान विदिशा आए तो यहां उन्हें समर्थकों ने घेर लिया. इन समर्थकों में खास तौर पर महिलाएं शामिल थीं. ये सभी शिवराज सिंह चौहान से मांग कर रही थीं कि वो फिर से सूबे की बागडोर संभालें. कई समर्थक तो शिवराज सिंह चौहान के लिए नारे तक लगा रही थीं.
कहा जाता है कि महिला समर्थकों के बीच शिवराज सिंह चौहान के इतने फेमश होने की सबसे बड़ी वजह है उनके शासन में महिलाओं के लिए चलाई गई जन कल्याणकारी योजनाएं.
विदिशा में उनके समर्थकों ने शिवराज सिंह चौहान के लिए ना सिर्फ नारे लगाए बल्कि उनसे मांग की कि वो फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बनें. समर्थकों का इतना प्यार देखकर शिवराज सिंह चौहान भी भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. मैं मध्य प्रदेश में ही हूं.
लगभग दो दशकों तक मध्य प्रदेश की राजनीति पर हावी रहने वाले शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव को अपना उत्तराधिकारी चुने जाने के बाद 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे एक युग का अंत हो गया.
शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में सीहोर जिले के बुधनी से एक लाख से अधिक मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की है. चुनाव से पहले भले ही सत्ता विरोधी लहर की बातें चल रही थीं, लेकिन उस समय के मुख्यमंत्री चौहान ने 'लाडली बहना' जैसी गेम-चेंजर योजना शुरू करके मध्य प्रदेश में भाजपा के पक्ष में स्थिति को मोड़ने की कोशिश की और वह सफल भी रहे. लेकिन बावजूद इसके उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उन्हें सीएम चेहरे के तौर पर पेश करने से परहेज किया था.
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