हैदराबाद में कुत्तों के हमले में बच्चे की मौत के बाद हरकत में प्रशासन, 'नसबंदी' अभियान होगा तेज

हैदराबाद में रविवार को पांच साल के बच्चे को आवारा कुत्तों द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने के कुछ दिनों बाद ये कदम उठाया गया है. ये दर्दनाक घटना सीसीटीवी कैमरों में भी रिकॉर्ड हुई.

हैदराबाद में कुत्तों के हमले में बच्चे की मौत के बाद हरकत में प्रशासन, 'नसबंदी' अभियान होगा तेज

हैदराबाद में आवारा कुत्तों की समस्या बरकरार, समाधान के लिए हुई उच्च स्तरीय बैठक(प्रतीकात्‍मक फोटो)

हैदराबाद:

हैदराबाद में आवारा कुत्‍तों द्वारा बच्चों को निशाना बनाने की दो घटनाओं के बाद, शहर के अधिकारी अब  'कुत्‍तों की नसबंदी' के अभियान को तेज कर रहे हैं. इसके लिए अधिकारियों द्वारा आवारा कुत्तों की घनी आबादी वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है. हैदराबाद में रविवार को पांच साल के बच्चे को आवारा कुत्तों द्वारा नोच-नोच कर मार डाले जाने के कुछ दिनों बाद ये कदम उठाया गया है. ये दर्दनाक घटना सीसीटीवी कैमरों में भी रिकॉर्ड हुई. वहीं, बुधवार को घर के बाहर खेल रहे चार साल के एक और बच्चे का कुत्तों ने काट लिया.

हाई कोर्ट ने भी मामले का स्वतः संज्ञान लिया है और हैदराबाद के राज्यपाल ने कहा है कि प्रशासन को स्ट्रीट डॉग के मुद्दे का समाधान खोजने की आवश्यकता है. बुधवार को एक बैठक में, सरकार के विशेष मुख्य सचिव, अरविंद कुमार ने शहर के पशु चिकित्सा अधिकारियों और जोनल आयुक्तों को आवारा कुत्तों के खतरे से निपटने के लिए एक एक्‍शन प्‍लान पर जानकारी दी. कुमार ने कहा कि जिन क्षेत्रों में कुत्तों के हमले के सबसे अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए और पशु चिकित्सा टीमों को उन्हें रोकने के लिए उचित उपाय करने चाहिए.

शहर के नगरपालिका अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया कि वे होटल, रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल और मांस की दुकानों को अपने खाने के कचरे को सड़कों पर फेंकने से प्रतिबंधित करें, जो आवारा कुत्तों को आकर्षित कर सकते हैं. वर्तमान में, शहर की सीमा के भीतर रहने वाले 5.7 लाख आवारा कुत्तों में से 4 लाख आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है. निरंतर नसबंदी अभियान के कारण आवारा कुत्‍तों की संख्‍या घटी है, जो 2011 में 8.5 लाख थी. 

कुमार ने अधिकारियों को शहर में पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए एक अलग मोबाइल ऐप विकसित करने और उसके मालिक को एक पहचान पत्र जारी करने की भी सलाह दी. इसके अलावा, अधिकारियों को स्कूलों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के लिए पैम्फलेट और होर्डिंग तैयार करने और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश दिया. पशु चिकित्सकों का कहना है कि कुत्ते आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते हैं, लेकिन प्रजनन के मौसम में और गर्मियों में भोजन की कम उपलब्धता के कारण नर आक्रामक हो सकते हैं.

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आवारा कुत्तों की शिकायत इस नंबर पर दर्ज कराई जा सकती है: 040 - 21111111