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This Article is From Jul 30, 2022

भारत में तेजी से घट रहे हैं मानव तस्करी के मामले, जानिए फिर भी टीयर-2 श्रेणी में क्यों बना है देश

आज दुनिया भर में विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस (World Day against Trafficking in Persons) मनाया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र (united nations) हर साल 30 जुलाई को मानव तस्करी के प्रति लोगों को जागरूक करने और मानव तस्करी का शिकार हुए लोगों की मदद करने के लिए यह दिवस मानाता है.

भारत में तेजी से घट रहे हैं मानव तस्करी के मामले, जानिए फिर भी टीयर-2 श्रेणी में क्यों बना है देश
देश में 2016 में मानव तस्करी के मामले 8132 थे, जो 2020 में घटकर 1714  हो गए है.

World Day against Trafficking in Persons 2022 : दुनिया भर में लाखों बच्चे हर साल लापता हो जाते हैं और इनमें हजारों बच्चे लौटकर कभी अपने मां बाप के पास नहीं जाते, क्योंकि वो या तो मर चुके होते हैं या फिर मानव तस्करों के चंगुल में फंस चुके होते हैं, जहां से लौटना नामुकिन होता है. आज दुनिया भर में विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस मनाया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र हर साल 30 जुलाई को मानव तस्करी के प्रति लोगों को जागरूक करने और मानव तस्करी का शिकार हुए लोगों की मदद करने के लिए यह दिवस मानाता है.

कब से मनाया जाता है विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस

संयुक्त राष्ट्र ने साल 2013 में विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस मनाने की घोषणा की थी. पहली बार 30 जुलाई 2013 को विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस मनाया गया था. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को मानव तस्करी के बारे में जागरूक करना है.

क्या है 2022 में यूएन की थीम

संयुक्त राष्ट्र ने इस साल विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस की थीम “Use and abuse of technology” रखी है. बताया है कि मानव तस्करी में तकनीक का किस तरह से दुरुपयोग हो रहा है और मानव तस्करों को पकड़ने में यह तकनीक कितनी मददगार साबित हो रही है. मतलब कि आज की तकनीक अपराध को बढ़ावा देने और अपराध रोकने दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसलिए तकनीक का सही इस्तेमाल लोगों को करना चाहिए.

मानव तस्करी भारत के लिए बड़ी समस्या

मानव तस्करी दुनिया के साथ ही भारत में भी एक बड़ी समस्या है. यह बात अलग है कि पिछले चार पांच सालों में देश में मानव तस्करी के मामले कम हुए हैं, लेकिन अब भी खत्म नहीं हुए हैं. तभी तो अमेरिकी सरकार ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2022 में भारत को टीयर-2 श्रेणी में रखा है. टीयर-2 श्रेणी उन देशों के लिए है, जहां सरकारें मानव तस्करी को रोकने के लिए न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं कर पाती हैं. अमेरिका का कहना है कि भारत में मानव तस्करी को रोकने के लिए मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है.  

 भारत के संदर्भ में यह बात भी सही है कि देश में 2016 के मुकाबले मानव तस्करी के मामले घटकर 25 फीसदी ही रह गये हैं. लेकिन दूसरी ओर यह भी सही है कि देश में मानव तस्करी के मामले में कन्विक्शन रेट (सजा का अनुपात) भी घटा है. आइए आज हम दुनिया और भारत से जुड़े मानव तस्करी के कुछ फैक्टस के बारे में जानते हैं. सबसे पहले देखते हैं...

किस जेंडर को ज्यादा निशाना बनाते हैं मानव तस्कर

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) की रिपोर्ट 2020 के अनुसार दुनिया भर के ह्यूमन ट्रैफिकिंग के आंकड़े बताते हैं कि मानव तस्कर 20 फीसदी पुरुषों, 46 फीसदी महिलाओं को निशाना बनाते हैं. इसमें 15 फीसदी बच्चों और 19 फीसदी बच्चियों को निशाना बनाते हैं. UNODC  ने 135 देशों के 48,478 पीड़ितों का डेटा विश्लेषण के बाद यह आंकड़े बताएं हैं. 

मानव तस्करी के शिकार बच्चों से क्या काम कराया जाता है?

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) की रिपोर्ट 2020 के अनुसार मानव तस्करी के शिकार 50 फीसदी बच्चों का यौन उत्पीड़न होता है और उनको वेश्यावृत्ति में झोंक दिया जाता है. 38 फीसदी बच्चों से जबरन काम कराया जाता है. 6 फीसदी बच्चों को आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है. 1.5 फीसदी बच्चों से भीख मंगवाई जाती है. 1 फीसदी लड़कियों की जबरन शादी करा दी जाती है. इसके अलावा बचे हुए बच्चों के अंग निकाल कर बेचे जाते हैं. इसके अलावा कुछ अन्य काम भी हो सकते हैं.

भारत में मानव तस्करी के मामले और सजा का अनुपात दोनों घटा

भारत में मानव तस्करी के दर्ज मामलों और उनमें सजा के अनुपात को लेकर संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब 21 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में केंद्रीय राज्य गृह मंत्री अजय मिश्रा ने बताया कि पिछले पांच साल में देश में मानव तस्करी के मामलो में कमी आई है. देश में 2016 में मानव तस्करी के मामले 8132 थे, जो 2020 में घटकर 1714  हो गए है. करीब 75 फीसदी मामले घटे हैं. वहीं 2016 में मानव तस्करी के मामलों में सजा का अनुपात 27.8 फीसदी था, जो 2020 में 10.6 फीसदी हो गया है. 2016 से 2020 तक के मामलों को इस तरह से इस टेबल से समझ सकते हैं.  

भारत में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के केस और कन्विक्शन रेट 2016- 2020

भारत में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के केस और कन्विक्शन रेट 2016- 2020

Year

Reported case

Conviction rate

1

2016

8132

163 (27.8%)

2

2017

2854

164 (24.5%)

3

2018

2278

115 (19.4%)

4

2019

2208

161 (22.5%)

5

2020

1714

49 (10.6%)

21 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने बताया.

भारत में मानव तस्करी से निपटने के लिए कौन से कानून हैं

भारत में मानव तस्करी से निपटने के लिए देश में लगभग 330 से अधिक जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयां सक्रिय हैं, जो देश के अंदर तथा बाहरी मानव तस्करी पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय, केंद्रीय श्रम तथा रोज़गार मंत्रालय एवं केंद्रीय विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम करती हैं. मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने देशभर में ज़िला स्तर पर मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना हेतु निर्भया फंड से 100 करोड़ रुपए जारी किये गए थे. भारत में मानव तस्करी को रोकने के लिए कानूनी स्तर पर कई सख्त प्रावधान संविधान ने हमें दिए हैं. इसमें से कुछ इस तरह हैं.

  • ‘अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956' (Immoral Trafficking Prevention Act- ITPA) 
  • ‘आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013' के माध्यम से भारतीय दंड संहिता की धारा 370 और 370 (A) में मानव तस्करी से निपटने हेतु उपयुक्त प्रावधान किये गए हैं.
  • POCSO अधिनियम, 2012  
  • बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006
  • बंधुआ मज़दूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम [Bonded Labour System (Abolition) Act], 1976
  • बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून, 1986
  • मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (THOA), 1994
     

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