नई दिल्ली:
मेड इन इंडोनेशिया की सिगरेट गुड़ांग-गरम पर भारत के हर गली-कूचे के पान की दुकान पर आपको मिल जाएगी। इंडोनेशिया से आने वाली ये सिगरेट उत्तरी-पूर्वी सीमा से तस्करी होकर भारत में आती है। और सिगरेट के बाजार का करीब 10 फीसदी हिस्सा ऐसे ही तस्करी की सिगरेट से भरा पड़ा है।
तस्करी की इन सिगरेट से भारत को टैक्स भी नहीं मिलता है और करीब 2500 लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। यही नहीं कई विदेशी ब्रांड के सिगरेट के पैकेट पर कोई वैधानिक चेतावनी भी नहीं होती है।
डायरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटेलीजेंस के डॉयरेक्टर जनरल नजीब शाह बताते हैं कि सिगरेट की अवैध तस्करी से जहां सरकार को टैक्स की चंपत लगती है, वहीं इसका पैसा आतंकवाद फैलाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। विदेशी सिगरेट की तस्करी का आलम ये है कि इस बार डीआरआई ने करीब 44 करोड़ रुपये की अवैध विदेशी सिगरेट पकड़ी है।
तस्करी की इन सिगरेट से भारत को टैक्स भी नहीं मिलता है और करीब 2500 लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। यही नहीं कई विदेशी ब्रांड के सिगरेट के पैकेट पर कोई वैधानिक चेतावनी भी नहीं होती है।
डायरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटेलीजेंस के डॉयरेक्टर जनरल नजीब शाह बताते हैं कि सिगरेट की अवैध तस्करी से जहां सरकार को टैक्स की चंपत लगती है, वहीं इसका पैसा आतंकवाद फैलाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। विदेशी सिगरेट की तस्करी का आलम ये है कि इस बार डीआरआई ने करीब 44 करोड़ रुपये की अवैध विदेशी सिगरेट पकड़ी है।
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