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क्या आप जानते हैं बिजली गिरने से भारत में होती हैं कितनी मौतें, बिहार में कहां ज्यादा गिरती है बिजली

बिहार में बिजली गिरने से होने वाले नुकसान का पीक सीजन मई से सितंबर के बीच है.वहीं मौतों और लोगों के घायल होने की सबसे अधिक घटनाएं जून-जुलाई में दर्ज की गईं.इन दो महीने में ही कुल मौतों का 58.8 फीसद और घायल होने की 59.43 फीसदी घटनाएं दर्ज की गईं.

क्या आप जानते हैं बिजली गिरने से भारत में होती हैं कितनी मौतें, बिहार में कहां ज्यादा गिरती है बिजली
नई दिल्ली:

बिहार सरकार के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में भागलपुर, मुंगेर, जमुई, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण और अररिया जिलें में बिजली गिरने की घटनाओं में आठ लोगों की मौत हो गई. यह बिहार में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की एक बानगी भर है.ये मौतें साल दर साल बढ़ती ही जा रही हैं. हालांकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक बिजली गिरने से होने वाली मौतों के मामले में बिहार अभी
पीछे है.

बिजली गिरने से देश में कितनी मौतें होती हैं?

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं में आठ हजार 60 लोगों की मौतें हुईं. इनमें सबसे अधिक दो हजार 887 मौतें बिजली गिरने की घटनाओं में हुईं.ये मौतें प्राकृतिक आपदाओं में होने वाली मौतों का 35.8 फीसदी हैं.बिजली गिरने से सबसे अधिक 496 मौतें मध्य प्रदेश में हुईं.इस सूची में दूसरा नाम बिहार का है,जहां 329 मौतें दर्ज की गईं.वहीं महाराष्ट्र में 239 मौतें दर्ज की गईं.

रिपोर्ट बताती है कि प्राकृतिक आपदाओं में होने वाली मौतों में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है.आंकड़ों में देखें तो प्राकृतिक आपदा से तमिलनाडु में हुईं 93 मौतों में से 89 मौतें बिजली गिरने से हुई थीं.वहीं छत्तीसगढ़ में 248 में से 210 मौतें,पश्चिम बंगाल की 195 में से 161 और कर्नाटक की 140 में से 96 मौतें बिजली गिरने की घटनाओं में हुईं. 

किस घटना को कहते हैं बिजली गिरना?

मौसम वैज्ञानिकों और भौतिकविदों के मुताबिक बिजली गिरने की घटनाएं दो तरह की होती हैं. पहली बादल और जमीन क बीच और दूसरी बादलों के बीच.इस दौरान हाई वोल्टेज बिजली का प्रवाह होता है.इसके साथ एक तेज चमक या अक्सर गरज-कड़क के साथ बिजली गिरती है.दुनिया में बिजली गिरने का औसत प्रति सेकंड 50 का है.देश में आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें चिंता का कारण बनती जा रही हैं.विशेषज्ञ इस दिशा में कदम उठाने की अपील कर रहे हैं.

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बेंजामिन फ्रेंकलिन ने 1872 में बादलों के बीच बिजली चमकने की सही वजह बताई थी. उन्होंने बताया था कि बादलों में पानी के छोट-छोटे कण होते हैं,जो वायु की रगड़ की वजह से आवेशित हो जाते हैं. कुछ बादलों पर पॉजिटिव चार्ज हो जाता है तो कुछ पर निगेटिव. आसमान में जब दोनों तरह की चार्ज वाले बादल एक दूसरे से टकराते हैं तो लाखों वोल्ट की बिजली पैदा होती है. कभी-कभी इस तरह उत्पन्न होने वाली बिजली इतनी अधिक होती है कि धरती तक पहुंच जाती है. इस घटना को ही बिजली गिरना कहा जाता है.

बिजली गिरने से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण क्या है?

वैज्ञानिकों के मुताबिक में भारत में बिजली गिरने से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण समय है.वैज्ञानिकों के मुताबिक बिजली गिरने की सबसे अधिक घटनाएं उत्तर-पूर्व भारत में होती हैं. लेकिन बिजली गिरने से होने वाली सबसे अधिक मौतें मध्य भारत में दर्ज की जाती हैं.उनका मानना है कि ऐसा बिजली गिरने के समय की वजह से होता है. उत्तर-पूर्व में बिजली गिरने की अधिकांश घटनाएं सुबह के समय होती हैं, जबकि मध्य में ये घटनाएं दोपहर या उसके बाद के समय में होती हैं.दोपहर के समय में बहुत से लोग अपने खेतों में काम कर रहे होते हैं, ऐसे में उनके आकाशीय बिजली की चपेट में आने की आशंका अधिक रहती है. 

बिजली गिरने से बिहार में होने वाली मौतों को लेकर एनआईटी पटना के डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन के आनंद शंकर, भारतीय मौसम विभाग के पटना केंद्र के आशीष कुमार और विवेक सिन्हा ने एक अध्ययन किया है.यह अध्ययन जर्नल ऑफ अर्थ साइंस के अप्रैल 2024 अंक में प्रकाशित हुआ है.इस अध्ययन में बिहार सरकार के डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग से मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. ये आंकड़े 2017 से 2022 के बीच के हैं.इन आकंड़ों के मुताबिक इस दौरान बिहार में हर साल 271 मौतें और लोगों के घायल होने की करीब 58 घटनाएं हुईं. बिहार में हर साल 10 लाख लोगों में औसतन 2.65 लोगों की मौतें बिजली गिरने की घटनाओं में हुई.यह राष्ट्रीय औसत 2.55 मौतों से भी अधिक है. 

बिहार में बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें कब होती हैं?

अध्ययन के मुताबिक बिहार में बिजली गिरने से होने वाले नुकसान का पीक सीजन मई से सितंबर के बीच है.वहीं मौतों और लोगों के घायल होने की सबसे अधिक घटनाएं जून-जुलाई में दर्ज की गईं.इन दो महीने में ही कुल मौतों का 58.8 फीसद और घायल होने की 59.43 फीसदी घटनाएं दर्ज की गईं.इसमें भी खास बात यह रही कि मौत और घायल होने की 76.8 फीसदी घटनाएं दोपहर साढ़े 12 और शाम साढ़े छह बजे के बीच हुईं. 

बिहार में बिजली गिरने की सर्वाधिक घटनाएं दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में हुईं. अधिकांश घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुईं. बिहार में 11 से 15 साल के लड़के और 41 से 45 साल के पुरुष इसके सबसे बड़े शिकार हैं. इस अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए लोगों में और जागरूकता लाने की जरूरत है. 

कैसे कम की जा सकती हैं बिजली गिरने से होने वाली मौतें?

बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम करने कि दिशा में भारतीय मौसम विभाग और पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉली (आईआईटीएम) मिलकर काम कर रहे हैं. इसी दिशा में DAMINI ऐप का निर्माण किया गया है. यह आपको बिजली गिरने से पहले ही अलर्ट भेजता है.इस ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. यह आपके मोबाइल फोन के लोकेशन के आधार पर अलर्ट भेजता है. लेकिन विशेषज्ञ इससे बहुत संतुष्ट नहीं हैं.उनका मानना है कि ये अलर्ट सही समय पर जारी नहीं किए जाते हैं.विशेषज्ञ अधिक से अधिक लाइटनिंग रॉड लगाने और जन जागरूकता फैलाने पर जोर देते हैं. 

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