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This Article is From Mar 27, 2024

कैसे अभिषेक सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ED को सवालों के घेरे में खड़ा किया

प्रवर्तन निदेशालय ने अंतरिम राहत के लिए अरविंद केजरीवाल के अनुरोध पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है.

कैसे अभिषेक सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ED को सवालों के घेरे में खड़ा किया
दिल्ली की शराब नीति से जुड़े केस में ईडी ने अरविंद केजरीवाल को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया था.
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की ओर से आज वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुए. उन्होंने दिल्ली की शराब नीति से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के केस पर कड़े सवाल उठाए. दिल्ली सरकार की शराब नीति के इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन वरिष्ठ नेता जेल में हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट में आज इस मामले में कई तर्क सामने आए और जवाब में भी तर्क दिए गए. बहस के कुछ खास अंश यहां दिए जा रहे हैं- 

केजरीवाल की गिरफ्तारी का समय :  अभिषेक सिंघवी ने कहा- एक मौजूदा मुख्यमंत्री को चुनाव के समय गिरफ्तार किया जाता है. उन्होंने कहा कि, "लोकतंत्र का मुख्य तत्व एक समान अवसर देना है. इसका मतलब है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव. यदि आप समान स्तर के खेल के मैदान को असमान बनाने के लिए कुछ भी करते हैं तो आप बुनियादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं. चुनाव के मौके पर इस गिरफ्तारी का उद्देश्य है उस व्यक्ति को चुनाव प्रचार करने से रोकना और पार्टी को झटका देना, और तीसरी बात- आप पहला वोट पड़ने से पहले ही कुछ पॉइंट हासिल कर लेते हैं.'' उन्होंने कहा, ''बेशक, मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन सवाल समय का है."

ईडी की तीन सप्ताह के समय की याचिका : सिंघवी ने कहा कि यह अनुरोध पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण है. उन्होंने कहा कि, "यहां तक कि एक दिन की कैद भी मौलिक अधिकार का मुद्दा है. ईडी क्या जवाब दाखिल कर सकता है? यह गिरफ्तारी के आधार से अलग नहीं हो सकता."

मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम पर :  अभिषेक सिंघवी ने कहा कि, धारा 19 में तीन वाक्यांश हैं - "कब्जे में सामग्री", "भरोसा करने के कारण" और "दोषी." गिरफ्तारी के लिए यह अहम शर्तें हैं. किसी भी गिरफ्तारी से पहले यह शर्तें फाइलों और कागजात पर पूरी की जानी चाहिए. पीएमएलए (PMLA) की धारा 45 के तहत संबंधित प्रावधानों के कारण यह सीमा जानबूझकर ऊंची रखी गई है. यह जमानत की तय सीमा बहुत ऊंची रखती है. इसलिए प्रतिसंतुलन है." 

सिंघवी ने कहा कि, यह वाक्यांश गिरफ्तारी की जरूरत प्रदर्शन के मूल बिंदु की ओर साफ तौर पर जाते हैं. उन्होंने कहा, "आपके पास गिरफ्तार करने की ताकत है, लेकिन इसे धारा 19 के तहत जरूरी शर्तों से युक्त और संतुष्ट किया जाना चाहिए." उन्होंने कहा कि, "सवाल यह है कि आज मुझे गिरफ्तार करने की क्या जरूरत आन पड़ी?"

ईडी के असहयोग के मुद्दे पर : अभिषेक सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल की ओर से कहा कि, "वे कहते हैं कि मैंने सहयोग नहीं किया है. ईडी के सक्रिय होने के बाद से 'असहयोग' सबसे अधिक दुरुपयोग किए जाने वाले वाक्यांशों में से एक है." सिंघवी ने कहा कि, "क्या आप कह सकते हैं कि मैं आपको गिरफ्तार कर लूंगा क्योंकि मैं आत्म-दोषारोपण के खिलाफ अपने अधिकार का प्रयोग कर रहा हूं? यह संविधान के आर्टिकल 20 और 21 को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा. मान लीजिए मैं कहता हूं कि मुझे नहीं पता या मेरी याददाश्त बहुत कमजोर है. कानून कहता है कि मैं तुम्हें गिरफ्तार कर रहा हूं, क्योंकि तुम खुद को दोषी नहीं ठहरा रहे हो."

वरिष्ठ वकील ने कहा कि, ईडी की हिरासत में पूछताछ की याचिका असहयोग पर आधारित थी. उन्होंने कहा, "वे कहते हैं कि उनकी भूमिका के संबंध में उनसे पूछताछ करनी है. मैं कहता हूं, यदि आप चुनाव से दो महीने पहले मेरी भूमिका को लेकर जांच करना चाहते हैं, तो क्या यह सीधे तौर पर गिरफ्तार करने की जरूरत के खिलाफ नहीं है?"

बयानों और सह-आरोपियों पर : सिंघवी ने कहा कि ईडी चरण-दर-चरण प्रक्रिया का पालन कर रहा है. उन्होंने कहा- "मैं बयान दर्ज कराता हूं. उस कदम में मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं है. अक्सर कुछ और बयान दर्ज किए जाते हैं. संजय सिंह (के मामले में) के नौ बयान दर्ज किए गए थे और मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं था."

सिंघवी ने कहा कि, "अगला कदम व्यक्ति को गिरफ्तार करना है. वह जेल में पीड़ा सहता है और फिर उसे जमानत के लिए आवेदन करना पड़ता है. अगला कदम, एएसजी अदालत को बताते हैं कि हम जमानत के खिलाफ नहीं हैं. जमानत का कारण बताया गया है कि उसे पीठ में दर्द है. अगला कदम यह है कि वह बाहर आता है और मेरे खिलाफ बयान देता है. इसके बाद वह सरकारी गवाह बन जाता है और उसे माफ कर दिया जाता है.''

सिंघवी ने कहा कि, ''शराब नीति से जुड़े हर मामले में ऐसा हुआ है. इसमें संवैधानिक सुरक्षा उपायों की धज्जियां उड़ाई जी रही हैं.'' उन्होंने कहा कि इन बयानों की कोई पुष्टि नहीं है.

एप्रूवर्स पर : सिंघवी ने कहा कि सह-आरोपियों से बयान निकलवाना आसान है. उन्होंने कहा, ''उन्हें अपने बारे में चिंता है, इसलिए सह-आरोपियों के बयानों को कम महत्व दिया जाना चाहिए.''

उन्होंने कहा, "इस प्रजाति को अनुमोदक (Approver) कहा जाता है. हमारे इतिहास में, चाहे अच्छे उद्देश्यों के लिए या बुरे उद्देश्यों के लिए, अदालतें जयचंद और ट्रोजन हॉर्स जैसे वाक्यांशों से निपटती रही हैं. इतिहास इन जयचंदों और ट्रोजन हॉर्स को बहुत सख्ती से देखता है. उन्होंने दगा दिया." यह संदर्भ 12वीं शताब्दी के राजा जयचंद का था. पृथ्वीराज रासो के अनुसार, जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान की मदद करने से इनकार कर दिया और गोरी के हमलावर राजा मुहम्मद के साथ सेना में शामिल हो गया. पृथ्वीराज रासो इतिहासकारों के बीच विवादित है, लेकिन जयचंद नाम "गद्दार" शब्द का पर्याय बन गया है. अभिषेक सिंघवी ने कहा, एक अनुमोदक "सबसे अविश्वसनीय मित्र" होता है.

उन्होंने जोर दिया कि, "समय मांगने का कोई कारण नहीं है." उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा मामला है जहां लोकतंत्र ही शामिल है. बुनियादी ढांचा शामिल है. समान अवसर देना शामिल है. अगर गिरफ्तारी अवैध है तो एक दिन बहुत लंबा है. दिन-ब-दिन, ईडी समय मांगकर अपना उद्देश्य पूरा कर रहा है."

केंद्र ने क्या कहा?

ईडी की ओर से पेश होते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मुख्य मामले में जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा और यह भी कहा कि वह अंतरिम राहत के लिए केजरीवाल की याचिका का जवाब देना चाहते हैं.

उन्होंने केजरीवाल की ओर से कई वकीलों के पेश होने पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि, "यहां तक कि ईडी भी अनुरोध करेगा कि ईडी की ओर से पांच लोगों की बात सुनी जाए. आप एक समान अवसर चाहते हैं, मैं कह रहा हूं, यहां भी एक समान अवसर होना चाहिए." उन्होंने कहा, इस तरह के महत्वपूर्ण मामलों में लोग अक्सर गैलरी में खेलते हैं, इसलिए ब्रेक आउट होना ही चाहिए."

जब कोर्ट ने कहा कि वह मुख्य मामले में नोटिस जारी करेगा, तो राजू ने जवाब दिया, "अंतरिम राहत पर भी मुझे जवाब दाखिल करने का अधिकार है. अगर मैं जवाब दाखिल करने का हकदार नहीं हूं, तो मेरी बात सुनने की कोई जरूरत नहीं है. मुझे जवाब दाखिल करने के मेरे अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता." उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें केजरीवाल की याचिका की प्रति कल ही मिली है.

आम आदमी पार्टी के नेता की ओर से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि याचिका शनिवार को दायर की गई थी. उन्होंने कहा, "हमने आपत्तियों को दूर कर लिया और फिर ईडी के साथ याचिका शेयर की. हमने उन्हें सेवा दी और उनके पास पर्याप्त समय था. इस मामले में देरी हमारे लिए बहुत गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करती है."

इस पर राजू ने जवाब दिया, "हमने उन्हें 25 और 26 मार्च को ईमेल लिखकर प्रति मांगी थी. उन्होंने जानबूझकर हमें याचिका नहीं दी. वे आपत्तियों के साथ हमें प्रति दे सकते थे. इसका कारण यह है कि क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि हम तैयारी करें.'' 

हाईकोर्ट ने कहा है कि वह आज शाम 4 बजे तक अपना आदेश अपलोड कर देगा.

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