
सुशील कुमार शिंदे का फाइल फोटो
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केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को सभी मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर निर्दोष मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी न हो। यदि ऐसा कोई भी मामला प्रकाश में आए तो उस पर त्वरित कार्रवाई हो।
भाजपा ने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ करार देते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग की है। लेकिन, सत्तारूढ़ संप्रग का नेतृत्व कर रही कांग्रेस ने कहा कि शिंदे का पत्र अल्पसंख्यक समुदाय का तुष्टीकरण नहीं है।
मुख्यमंत्रियों को लिखे एक पत्र में शिंदे ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के किसी भी सदस्य को गलत ढंग से गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शीघ्र और कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गलत ढंग से गिरफ्तार एक व्यक्ति को न केवल तत्काल रिहा करना चाहिए वरन उसे पर्याप्त मुआवजा और मुख्य धारा में शामिल होने के लिए उसका पुनर्वास भी होना चाहिए।
शिंदे ने कहा कि केंद्र सरकार को निर्दोष मुस्लिम युवकों के उत्पीड़न की कई शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों के बीच यह भावना है कि उनको जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
शिंदे ने राज्य सरकारों से आतंकवाद से जुड़े मामलों के लिए विशेष अदालतें बनाने को और अन्य लंबित मामलों के ऊपर आतंकवाद से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देने को कहा।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान उन कांग्रेसी नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने आतंकवादी मामलों में मुस्लिम युवाओं की गलत गिरफ्तारी के बारे में चिंता प्रकट की थी।
भाजपा के नेता एम. वैंकेया नायडू ने मांग की कि शिंदे को तत्काल इस पत्र को वापस लेना चाहिए और देश से क्षमा मांगनी चाहिए। यह लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।
भाजपा के नेता राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि शिंदे को बर्खास्त कर देना चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने बहरहाल किसी प्रकार के तुष्टीकरण से इनकार किया।
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