मसर्रत मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय घिरता जा रहा है। अब ये पता लगाया जा रहा है कि जब मसर्रत की रिहाई को लेकर राज्य के होम डिपार्टमेंट ने चिठ्ठी लिखी थी तब इंटेलिजेंस ब्यूरो ने इसकी जानकारी मंत्रालय को क्यों नहीं दी। जानकारी के मुताबिक ये सवाल गृह मंत्री के दफ्तर ने आईबी से पूछा है।
अलगावादियों की हरकतों पर नज़र रखना आईबी का काम है। जो अलगावादी नेता जेल में, खासकर जिन पर पीएसए लगा हुआ उनकी सूची भी विभाग के पास होती है। पूर्व गृह सचिव और बीजेपी संसद आर.के. सिंह ने कहा, 'गृह मंत्री सदन को जानकारी देंगे लेकिन आईबी के पास जानकारी होनी चाहिए थी, उसका यही सब जानकारियां इकट्ठा करना ही काम है।
गृह मंत्रालय में एक कश्मीर डेस्क भी होता है, उससे भी जानकारी हासिल की जा रही है। गृह मंत्रालय ने दूसरी बार कुछ और जानकारियां राज्य से मांगी हैं। उधर मसर्रत के मामले को लेकर लोकसभा में फिर हंगामा हुआ। विपक्ष ने सवाल उठाया कि गृह मंत्रालय कैसे बेखबर रहा।
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, 'गृह मंत्रालय को मानना चाहिए कि उससे गलती हुई है। संसद में सरकार को जवाब देना होगा।' जिस पर बीजेपी के सांसद वेंकैया नायडू ने कहा कि गृह मंत्री जवाब देंगे। गृह मंत्री ने कश्मीर डेस्क के सभी अफसरों के साथ लम्बी मीटिंग की और अब माना जा रहा है कि गुरुवार को गृह मंत्री संसद में जवाब देंगे।
राज्य का गृह मंत्रालय अब इस पेचीदगी के ऊपर गौर कर रहा है कि किसी मामले में मसर्रत को दुबारा जेल भेजा जा सकता है कि नहीं। मसर्रत के मामले को केंद्र और राज्य दोनों ही सियासी चश्मा लगा कर देख रहे हैं जबकि गलतियां दोनों से प्रशासनिक स्तर पर हुई हैं। और हैरानी की बात है कि प्रशासनिक गलतियों को सुधारने की कोशिश भी नहीं की जा रही है।
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