मणिपुर में सेना के काफिले पर उग्रवादी हमले की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
म्यांमार से एक उच्च-स्तरीय मिलेट्री डेलिगेशन दिल्ली आ रहा है। इसका मकसद है उग्रवादियों के खिलाफ साझा ऑपरेशन का खाका तैयार करना।
सूत्रों के मुताबिक ये दल इस बात पर चर्चा करेगा कि भारत-म्यांमार सीमा के साथ साथ सेजियांग इलाके में फैले उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई कैसे हो।
म्यांमार का ये डेलिगेशन सेना के उच्च अधिकारियों के अलावा विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करेगा। इसके बाद ये डेलीगेशन ईस्टर्न आर्मी कमांड हेडक्वार्टर, कोलकाता जाएगा, जहां उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन का रोड मैप तैयार होगा।
म्यांमार सरकार ने अपना मिलेट्री डेलिगेशन फैसला भेजने का फैसला तब किया, जब पिछले हफ्ते राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने म्यांमार में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की । डोभाल के साथ विदेश सचिव एस जयशंकर और ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएस राय भी थे।
म्यांमार के राष्ट्रपति थिन सेन सहित मौजूदा लीडरशीप ने भारत को भरोसा दिलाया है कि नार्थ ईस्ट में सक्रिय उग्रवादियों को म्यांमार भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा। वहीं भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने म्यांमार को कहा कि भारत से लगी सरहद पर म्यांमार सेना काफी कम तादाद में होने की वजह से उग्रवादियों की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाना संभव नहीं है।
म्यांमार सेना की व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए भारत ने कहा कि वो सरहद पर निगरानी और उग्रवादियों के बारे में खुफिया जानकारी साझा करने को तैयार है। म्यांमार, भारतीय सेना के साथ किए जाने वाले संयुक्त कार्रवाई के विरोध में नहीं है।
इस यात्रा के दौरान म्यांमार की टीम उग्रवादियों के खिलाफ किए जाने वाले ऑपरेशन का पूरा खाका तैयार करेगी, जिससे कि दोनों देशों के बीच एक बेहतर सामरिक तालमेल बन सके। पश्चिमी म्यांमार में एसएस खपलांग सहित कई उग्रवादियों के ग्रुप सक्रिय हैं। 9 जून को भारत के स्पेशल फोर्सेज ने म्यांमार में मौजूद दो उग्रवादी कैंपों को तबाह कर दिया था।
उधर, म्यांमार सरकार ने भारत को यकीन दिलाया है कि वो सीमा पर उग्रवादी संगठनों पर नजर रखेगा, साथ ही भारत से लगी सीमा पर ज्यादा से ज्यादा सेना की तैनाती भी करेगा। ईस्टर्न कमांड भी भारत-म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स की तैनाती और बढ़ाएगा।
सूत्रों के मुताबिक ये दल इस बात पर चर्चा करेगा कि भारत-म्यांमार सीमा के साथ साथ सेजियांग इलाके में फैले उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई कैसे हो।
म्यांमार का ये डेलिगेशन सेना के उच्च अधिकारियों के अलावा विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करेगा। इसके बाद ये डेलीगेशन ईस्टर्न आर्मी कमांड हेडक्वार्टर, कोलकाता जाएगा, जहां उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन का रोड मैप तैयार होगा।
म्यांमार सरकार ने अपना मिलेट्री डेलिगेशन फैसला भेजने का फैसला तब किया, जब पिछले हफ्ते राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने म्यांमार में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की । डोभाल के साथ विदेश सचिव एस जयशंकर और ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएस राय भी थे।
म्यांमार के राष्ट्रपति थिन सेन सहित मौजूदा लीडरशीप ने भारत को भरोसा दिलाया है कि नार्थ ईस्ट में सक्रिय उग्रवादियों को म्यांमार भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा। वहीं भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने म्यांमार को कहा कि भारत से लगी सरहद पर म्यांमार सेना काफी कम तादाद में होने की वजह से उग्रवादियों की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाना संभव नहीं है।
म्यांमार सेना की व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए भारत ने कहा कि वो सरहद पर निगरानी और उग्रवादियों के बारे में खुफिया जानकारी साझा करने को तैयार है। म्यांमार, भारतीय सेना के साथ किए जाने वाले संयुक्त कार्रवाई के विरोध में नहीं है।
इस यात्रा के दौरान म्यांमार की टीम उग्रवादियों के खिलाफ किए जाने वाले ऑपरेशन का पूरा खाका तैयार करेगी, जिससे कि दोनों देशों के बीच एक बेहतर सामरिक तालमेल बन सके। पश्चिमी म्यांमार में एसएस खपलांग सहित कई उग्रवादियों के ग्रुप सक्रिय हैं। 9 जून को भारत के स्पेशल फोर्सेज ने म्यांमार में मौजूद दो उग्रवादी कैंपों को तबाह कर दिया था।
उधर, म्यांमार सरकार ने भारत को यकीन दिलाया है कि वो सीमा पर उग्रवादी संगठनों पर नजर रखेगा, साथ ही भारत से लगी सीमा पर ज्यादा से ज्यादा सेना की तैनाती भी करेगा। ईस्टर्न कमांड भी भारत-म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स की तैनाती और बढ़ाएगा।
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