प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों पर गुरुवार को रोक लगा दी. अदालत ने नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया एक दिन के लिये बढ़ाने के अपने ही फैसले को राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) द्वारा रद्द करने पर नाखुशी जताते हुए यह आदेश दिया. राज्य में विपक्षी दलों ने उच्च न्यायालय के आदेश को ‘‘तानाशाही पर लोकतंत्र की जीत’’ करार दिया और नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा होने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफा मांगा. भाजपा की रिट याचिका विचारणीय नहीं होने की राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि एसईसी को चुनाव कराने की शक्ति है, लेकिन अगर कोई उल्लंघन होता है तो विधि के शासन के जरिये उसे ठीक किये जाने की आवश्यकता है. याचिका पर आदेश देते हुए न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने राज्य में चल रही पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी.
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उन्होंने कहा कि आयोग ने विभिन्न राजनैतिक दलों के साथ - साथ लोगों की तारीख बढ़ाने के संबंध में शिकायतों को स्वीकार किया था. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, आदेश को अचानक से वापस ले लिया गया.’’ राज्य में पंचायत चुनाव एक से पांच मई के बीच तीन चरणों में होने वाले थे और मतगणना आठ मई को होनी थी. नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख बढ़ाने का आदेश वापस लेने के एसईसी के फैसले के खिलाफ भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के बुधवार के आदेश का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति तालुकदार ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश का प्रभावी हिस्सा अधिसूचना रद्द किये जाने से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एसईसी को आज उसे सूचित करना चाहिये था कि उसने सभी दलों के लिये समान अवसर सुनिश्चित किया है.
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पंचायत चुनावों पर रोक लगाते हुए न्यायाधीश ने एसईसी से चुनाव प्रक्रिया पर सोमवार तक व्यापक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. उसमें अब तक दाखिल किये गए नामांकन पत्रों की संख्या, उनमें से कितने फीसदी खारिज किये गए समेत अन्य विवरण बताने को कहा गया है. अदालत ने कहा कि वह नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख बढ़ाने वाली नौ अप्रैल की अधिसूचना वापस लेने के एसईसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी. भाजपा ने नौ अप्रैल की अधिसूचना रद्द करने को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति तालुकदार ने भाजपा नेता प्रताप बनर्जी के आचरण पर भी नाखुशी जताई. उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया था कि इसी तरह की याचिका पार्टी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष भी दायर की है.
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वह अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए थे. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि, जनहित को देखते हुए यह अदालत एसईसी को दिये गए अपने निर्देशों को रद्द नहीं कर रही है.’’ (इनपुट भाषा से)
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उन्होंने कहा कि आयोग ने विभिन्न राजनैतिक दलों के साथ - साथ लोगों की तारीख बढ़ाने के संबंध में शिकायतों को स्वीकार किया था. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, आदेश को अचानक से वापस ले लिया गया.’’ राज्य में पंचायत चुनाव एक से पांच मई के बीच तीन चरणों में होने वाले थे और मतगणना आठ मई को होनी थी. नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख बढ़ाने का आदेश वापस लेने के एसईसी के फैसले के खिलाफ भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के बुधवार के आदेश का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति तालुकदार ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश का प्रभावी हिस्सा अधिसूचना रद्द किये जाने से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एसईसी को आज उसे सूचित करना चाहिये था कि उसने सभी दलों के लिये समान अवसर सुनिश्चित किया है.
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पंचायत चुनावों पर रोक लगाते हुए न्यायाधीश ने एसईसी से चुनाव प्रक्रिया पर सोमवार तक व्यापक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. उसमें अब तक दाखिल किये गए नामांकन पत्रों की संख्या, उनमें से कितने फीसदी खारिज किये गए समेत अन्य विवरण बताने को कहा गया है. अदालत ने कहा कि वह नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख बढ़ाने वाली नौ अप्रैल की अधिसूचना वापस लेने के एसईसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी. भाजपा ने नौ अप्रैल की अधिसूचना रद्द करने को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति तालुकदार ने भाजपा नेता प्रताप बनर्जी के आचरण पर भी नाखुशी जताई. उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया था कि इसी तरह की याचिका पार्टी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष भी दायर की है.
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वह अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए थे. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि, जनहित को देखते हुए यह अदालत एसईसी को दिये गए अपने निर्देशों को रद्द नहीं कर रही है.’’ (इनपुट भाषा से)
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