मुंबई की आरे कॉलोनी में भारी पुलिस बल की तैनाती, चार लोगों को हिरासत में लिया गया

मुंबई की ‘आरे कॉलोनी’ में आज भारी पुलिस बल की तैनाती रही. और पुलिस की मौजूदगी में कॉलोनी के अंदर कई जगहों पर पेड़ों की कटाई छँटाई होती रही. इतना ही नहीं, ‘आरे बचाओ’ मुहिम के लोगों को नोटिस दिया गया और कारशेड के पास जाने से रोका गया.

मुंबई:

मुंबई की ‘आरे कॉलोनी' (Arrey Colony) में आज भारी पुलिस बल की तैनाती रही. और पुलिस की मौजूदगी में कॉलोनी के अंदर कई जगहों पर पेड़ों की कटाई छँटाई होती रही. इतना ही नहीं, ‘आरे बचाओ' (Save Arrey) मुहिम के लोगों को नोटिस दिया गया और कारशेड के पास जाने से रोका गया. गौरतलब है कि, मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने सोमवार को आरे कॉलोनी क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी और आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत नोटिस जारी किये जाने के बावजूद वहां विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे लोगों में से चार को हिरासत में लिया.

वनराय पुलिस थाने के एक अधिकारी के मुताबिक पुलिस ने रविवार को तबरेज सैय्यद और जयेश भिसे को सीआरपीसी की धारा 149 के तहत नोटिस दिया था जिसके तहत उन्हें आरे में मेट्रो कार शेड के निर्माण का विरोध करने के लिए अवैध रूप से एकत्र होने से रोका गया था.

प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, आरे कॉलोनी इलाके में सिर्फ निवासियों को ही प्रवेश दिया जा रहा है और पुलिस बाहर से आने वाले लोगों को रोक रही है. सोशल मीडिया पर आरे में पेड़ों को गिराने और काटने का एक वीडियो प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रसारित किया जा रहा है.

आरे कॉलोनी को मुंबई का फेफड़ा ( Lunggs of Mumbai) कहा जाता है. 1800 एकड़ में फैले आरे क़ॉलोनी में आज सबेरे से ही सेव आरे मुहिम से जुड़े कुछ वॉलेंटीयर्स पहुंचने लगे थे. बहरहाल जब इस संवाददाता ने पुलिस से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने साफ मना कर दिया.  

हमारे संवाददाता के मुताबिक, कारशेड के भीतर जेसीबी की हरकत भी दिखी लेकिन पुलिस कैमरे पर कुछ भी रिकॉर्ड करने से रोकती रही. महाराष्ट्र में जब देवेन्द्र फडणवीस सरकार थी, तब इस इलाके में मेट्रो कारशेड बनाने के लिए क़रीब 2500 पेड़ काटे जाने की बात थी. आरे को लेकर कोर्ट में लम्बी लड़ाई लड़ रहे पर्यावरणविद दावा करते हैं कि फ़िलहाल क़रीब 200 पेड़ कटे हैं, कारशेड के निर्माण में क़रीब 2000 पेड़ और काटे जाएँगे.

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आरे के अंदर पत्रकारों को भी जाने नहीं दिया जा रहा था. NDTV संवाददाता को भी रोका गया लेकिन तीन घंटे की कोशिश के बाद वे अंदर तो पहुंच गए लेकिन 20-25 मिनट की शूटिंग के बाद उन्हें भी कॉलोनी से बाहर निकाल दिया गया. सवाल है, जब फड़नवीस सरकार ने जब सुप्रीम कोर्ट में ये कह दिया था की पेड़ कट चुके हैं और कारशेड के लिए और पेड़ नहीं काटे जाएँगे तब ये कटाई छँटाई क्यूँ हो रही है. बीएमसी (BMC) हर साल मॉन्सून के दौरान पेड़ों की छँटाई करती है, पर आजतक आरे जंगल के अंदर ऐसी छँटाई किसी मान्सून में नहीं दिखी.