सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
हरियाणा सरकार का कहना है कि सरपंच गांव का आदर्श होता है, यदि सरपंच पढ़ा-लिखा होगा तो गांव के अन्य भी उससे सीख लेकर शिक्षा ग्रहण करेंगे। सरकार का कहना है कि सरपंच गांव में एक हीरो की तरह होता है। नेता लोगों के आदर्श होते हैं और लोग उनको फॉलो करते हैं इसलिए नेता का शिक्षित होना जरूरी है।
हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ये दलील दी है। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर नेता पढ़े लिखे नहीं होंगे तो कोई भी स्कूल नहीं जाना चाहेगा क्योंकि वो अपने नेता को फॉलो करते हैं। अगर नेता पढ़ा लिखा होगा तो वो लोगों को शिक्षित करने के लिए प्रयास करेगा और लोग शिक्षित होंगे।
उन्होंने कहा कि हम 1948 में नहीं हैं जहां 80 फ़ीसदी लोग निरक्षर थे। ये 2015 है और लोगों का शिक्षित होना समय की जरूरत है। अगर सरपंच शिक्षित नहीं होगा तो विकास नहीं हो पायेगा। उसी तरह अगर सरपंच के घर में टॉयलेट होगा। तो वो लोगों कह सकते हैं कि देखो हमारे घर के लोग बाहर नहीं जाते। सरपंच के कई काम होते हैं जैसे भूमि सुधार, विकास योजना और कई काम में उनकी भूमिका अहम् होती है इसलिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है। हो सकता है आगे चलकर मतदान के लिए 5वीं पास की योग्यता को अनिवार्य किया जा सकता है।
मंगलवार को हुई सुनवाई में हरियाणा सरकार ने कानून संशोधन से सबंधित अपना पक्ष रखा। इस दौरान संशोधन की एक-एक शर्त पर बहस हुई। इस तर्क पर याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि जिन गांवों में पीना का पानी तक नहीं है, वहां शौचालय होने का शपथपत्र देने की शर्त कैसे पूरी हो सकती है।
सरकार का कहना था कि पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अपराध मुक्त राजनीति और पढ़े-लिखे उम्मीदवारों को आगे लाने के लिए किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 7 व 8 अक्टूबर को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी। इसमें याचिकाकर्ता व सह याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। सरकार द्वारा 7 सितंबर को पंचायती राज संशोधन विधेयक-2015 पारित किए जाने को कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसमें शैक्षणिक योग्यता, सहकारी बैंक का कर्ज चुकाने, शौचालय होने का शपथ पत्र और जघन्य अपराध में चार्जशीट होने पर चुनाव नहीं लड़ पाने की शर्त पर बहस हो रही है। हरियाणा पंचायतीराज (संशोधन) कानून-2015 को चैलेंज करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार 14 अक्टूबर को भी जारी रहेगी।
हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ये दलील दी है। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर नेता पढ़े लिखे नहीं होंगे तो कोई भी स्कूल नहीं जाना चाहेगा क्योंकि वो अपने नेता को फॉलो करते हैं। अगर नेता पढ़ा लिखा होगा तो वो लोगों को शिक्षित करने के लिए प्रयास करेगा और लोग शिक्षित होंगे।
उन्होंने कहा कि हम 1948 में नहीं हैं जहां 80 फ़ीसदी लोग निरक्षर थे। ये 2015 है और लोगों का शिक्षित होना समय की जरूरत है। अगर सरपंच शिक्षित नहीं होगा तो विकास नहीं हो पायेगा। उसी तरह अगर सरपंच के घर में टॉयलेट होगा। तो वो लोगों कह सकते हैं कि देखो हमारे घर के लोग बाहर नहीं जाते। सरपंच के कई काम होते हैं जैसे भूमि सुधार, विकास योजना और कई काम में उनकी भूमिका अहम् होती है इसलिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है। हो सकता है आगे चलकर मतदान के लिए 5वीं पास की योग्यता को अनिवार्य किया जा सकता है।
मंगलवार को हुई सुनवाई में हरियाणा सरकार ने कानून संशोधन से सबंधित अपना पक्ष रखा। इस दौरान संशोधन की एक-एक शर्त पर बहस हुई। इस तर्क पर याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि जिन गांवों में पीना का पानी तक नहीं है, वहां शौचालय होने का शपथपत्र देने की शर्त कैसे पूरी हो सकती है।
सरकार का कहना था कि पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अपराध मुक्त राजनीति और पढ़े-लिखे उम्मीदवारों को आगे लाने के लिए किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 7 व 8 अक्टूबर को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी। इसमें याचिकाकर्ता व सह याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। सरकार द्वारा 7 सितंबर को पंचायती राज संशोधन विधेयक-2015 पारित किए जाने को कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसमें शैक्षणिक योग्यता, सहकारी बैंक का कर्ज चुकाने, शौचालय होने का शपथ पत्र और जघन्य अपराध में चार्जशीट होने पर चुनाव नहीं लड़ पाने की शर्त पर बहस हो रही है। हरियाणा पंचायतीराज (संशोधन) कानून-2015 को चैलेंज करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार 14 अक्टूबर को भी जारी रहेगी।
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