हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) में गोहाना के लालू मातूराम की जलेबी की खूब चर्चा रही. परिणाम आने के पहले भी और परिणाम आने के बाद भी. इन परिणामों ने जहां बीजेपी के खेमे में मिठास घोल दी है, वहीं कांग्रेस के लिए हार के बाद हर स्वाद बेस्वाद सा है. बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ला गोहाना की मशहूर लाला मातूराम की जलेबी की दुकान पर पहुंचे, जहां पर उन्होंने लोगों से जानने की कोशिश की कि कांग्रेस के हाथ से जलेबी क्यों छिटक गई.
एक अक्तूबर को हरियाणा की राजनीति में गोहाना के मातूराम के जलेबी की इंट्री हुई थी. जलेबी का डिब्बा हाथ में लेकर राहुल गांधी ने कुछ ऐसी बात कहीं, जिसने सारी राजनीतिक चर्चाएं पीछे छूट गईं. उन्होंने कहा कि सोचिए कि जलेबी फैक्ट्री में बने, विदेश में जाए और ज्यादा लोगों को काम मिले. राहुल के इस भाषण के बाद जलेबी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी. हजारों लोगों ने मीम बनाए.
कांग्रेस ने बंटवा दी थी जलेबी
मंगलवार को वोटों की गिनती से पहले ही अति आत्मविश्वास से लबरेज कांग्रेस ने जलेबी तक बंटवा दी, लेकिन जलेबी की तरह ही भारत की सियासत भी उलझी है. दोपहर आते आते जलेबी कांग्रेस के लिए कड़वी साबित हुई.
गोहाना में दर्जनभर से ज्यादा दुकान आपको लाला मातूराम की मिलेंगी. हालांकि हम परशुराम चौक पर मातूराम के पोते नीरज गुप्ता की दुकान पर पहुंचे. नीरज गोहाना की जलेबी का स्वाद हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से लेकर परवेज मुशर्रफ तक को चखा चुके हैं. राहुल के बयान के बाद अब उनकी दुकान फिर से सुर्खियों में है.
राहुल गांधी के बयान पर नीरज गुप्ता ने कहा कि लोन तो मिल जाएगा, लेकिन जलेबी की इतनी खपत नहीं है कि इसे फैक्ट्री में बनाया जाए.
गंभीर राजनीतिक चर्चा में मिठास
लाला मातूराम की दुकान पर राहुल गांधी के बयान और बीजेपी की जीत को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. गोहाना की जलेबी को खाने दूर दूर से लोग आते हैं और आस्ट्रेलिया से लेकर कनाडा तक इसे लोग लेकर भी जाते हैं.
राहुल गांधी के फैक्ट्री में जलेबी बनाने के बयान पर चुटकी लेते हुए एक महिला ने कहा कि अब ये तो राहुल ही बता सकते हैं कि फैक्ट्री में कैसे जलेबी बनती है. वहीं एक शख्स ने कहा कि गोहाना की जलेबी की खासियत ये है कि जो राजनीतिक चर्चा बहुत गंभीर हो गई थी, उसमें जलेबी ने मिठास भर दी.
पोल गायब, बिजली बह रही : किसान
वहीं मातूराम की दुकान पर जलेबी खाते कुछ किसान मिले.उन्होंने बताया कि बीजेपी कैसे जीती. उन्होंने अपने अलग अंदाज में कहा कि सब एग्जिट पोल दिखावे सै. हम जान रे थे कि पोल गायब हो चुक्या है, बिजली फिर भी बह रही है.
उन्होंने कहा कि किसानों को सरकार ने बहुत कुछ दिया है. ट्यूबवेल लगा रहे हैं, फसलों की खरीद ठीक हो रही है. एक किसान ने कहा कि मैं धान बेचकर यहां आ रहा हूं.
कांग्रेस अब भी समझ नहीं पा रही है कि जीत की जलेबी उसके हाथ से फिसल कर कैसे बीजेपी के दफ्तर में बंट गई. सियासत में कोई भी बात सीधी नहीं कही जाती है, उसे भी जलेबी की तरह उलझाकर घुमाकर बताया जाता है, लेकिन सबक ये है कि सियासी रिश्ते हमेशा जलेबी की तरह मीठे होने चाहिए.
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