सुप्रीम कोर्ट के फटकार लगाने के बाद आखिरकार हरियाणा के अडिशनल होम सेक्रेटरी पीके महापात्रा कोर्ट में पेश हो गए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अंडरटेकिंग दी है कि भविष्य में हरियाणा के मामलों में पैरवी के लिए सरकारी वकील कोर्ट में पेश होंगे, ये सुनिश्चित किया जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर को एक केस में सरकारी वकील के पेश ना होने पर हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए होम सेकेट्री को पेश होने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अक्सर ऐसा होता है कि हरियाणा सरकार के वकील कोर्ट में पेश नहीं होते।
वकील की दलील- जाम में फंस गई थी...
हालांकि बाद में हरियाणा के वकील ने दलील दी कि वह ट्रैफिक जाम में फंस गई थीं, इसलिए वक्त पर पहुंच नहीं पाईं। वकील ने जस्टिस रंजन गोगोड़ और जस्टिस एनवी रमना से आदेश वापस लेने की अपील की लेकिन जस्टिस गोगोई ने कहा कि हम पहले ही होम सेकेट्री को पेश होने का नोटिस जारी कर चुके हैं। अब ये आदेश वापस नहीं करेंगे।
बुधवार को हरियाणा के अडिशनल होम सेक्रेटरी पीके महापात्रा सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और भरोसा दिलाया कि भविष्य में अब हरियाणा के सरकारी वकील सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए कोर्ट में मौजूद रहेंगे। इसे सुनिश्चित करने के लिए पूरी तैयारी की गई है और सरकार की और से वकीलों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर कोर्ट ने कहा- गंभीर मामला...
इधर राज्यों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच भी सुनवाई कर रही है और लगातार सवाल उठा रही है। कोर्ट ने कहा है कि ये गंभीर मामला है। सुनवाई के दौरान जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा था कि हमने अपने अनुभव से पाया है कि राज्य सरकारें उन लोगों को भी सरकारी वकील बना देती हैं, जो दूसरा काम भी करते है। राज्यों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति में पारदर्शिता की जरूरत है।
उन्होंने कहा, सरकारी वकीलों को पैसा जनता के टैक्स से जाता है। ऐसे में किसी को भी सरकारी वकील नहीं बनाया जा सकता। ऐसे वकीलों को नियुक्त करना चाहिए जिन पर कोई उंगली न उठा सके। सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए कोई तो नियम होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जितने कोर्ट हैं उससे ज्यादा सरकारी वकील हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि आपके यहां सरकारी वकील कैसे नियुक्त किए जाते हैं, यह 6 हफ्ते में बताएं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम इस मामले में जो भी आदेश जारी करें, उसे सभी राज्य सरकारों को मानना होगा।
वकील की दलील- जाम में फंस गई थी...
हालांकि बाद में हरियाणा के वकील ने दलील दी कि वह ट्रैफिक जाम में फंस गई थीं, इसलिए वक्त पर पहुंच नहीं पाईं। वकील ने जस्टिस रंजन गोगोड़ और जस्टिस एनवी रमना से आदेश वापस लेने की अपील की लेकिन जस्टिस गोगोई ने कहा कि हम पहले ही होम सेकेट्री को पेश होने का नोटिस जारी कर चुके हैं। अब ये आदेश वापस नहीं करेंगे।
बुधवार को हरियाणा के अडिशनल होम सेक्रेटरी पीके महापात्रा सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और भरोसा दिलाया कि भविष्य में अब हरियाणा के सरकारी वकील सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए कोर्ट में मौजूद रहेंगे। इसे सुनिश्चित करने के लिए पूरी तैयारी की गई है और सरकार की और से वकीलों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर कोर्ट ने कहा- गंभीर मामला...
इधर राज्यों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच भी सुनवाई कर रही है और लगातार सवाल उठा रही है। कोर्ट ने कहा है कि ये गंभीर मामला है। सुनवाई के दौरान जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा था कि हमने अपने अनुभव से पाया है कि राज्य सरकारें उन लोगों को भी सरकारी वकील बना देती हैं, जो दूसरा काम भी करते है। राज्यों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति में पारदर्शिता की जरूरत है।
उन्होंने कहा, सरकारी वकीलों को पैसा जनता के टैक्स से जाता है। ऐसे में किसी को भी सरकारी वकील नहीं बनाया जा सकता। ऐसे वकीलों को नियुक्त करना चाहिए जिन पर कोई उंगली न उठा सके। सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए कोई तो नियम होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जितने कोर्ट हैं उससे ज्यादा सरकारी वकील हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि आपके यहां सरकारी वकील कैसे नियुक्त किए जाते हैं, यह 6 हफ्ते में बताएं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम इस मामले में जो भी आदेश जारी करें, उसे सभी राज्य सरकारों को मानना होगा।
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