संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू की फाइल फोटो
हैदराबाद:
केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने का सुझाव विहिप या बजरंग दल की ओर से नहीं, बल्कि पाकिस्तान में पैदा हुए एक मुस्लिम पत्रकार ने दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें अब अपना पता देने में 'झेप' नहीं लगती।
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि पहले जब कभी उन्हें अपने दिल्ली आवास का पता 30, औरंगजेब रोड के रूप में देना होता था तो उन्हें झेप लगती थी। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में एक सड़क का नाम रामेश्वरम के एक प्रेरणास्रोत व्यक्ति, एक महान सपूत... एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। इतना हंगामा और इतनी आलोचना जैसे किसी विदेशी व्यक्ति के नाम पर नाम रख दिया गया हो।'
वह वेदवीर आर्या द्वारा लिखी गई एक किताब 'दि क्रोनोलोजी आफ एंसिऐंट इंडिया' के लोकार्पण के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'लेकिन आप जानकर चौंक जाएंगे, सच्चाई का पता होना चाहिए कि दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर अब्दुल कलाम मार्ग रखने का सुझाव किसी हिन्दू, या किसी भारतीय ने नहीं और न ही विहिप या बजरंग दल ने दिया था। बल्कि एक गैर-भारतीय...। वह मुस्लिम हैं... तारिक फतह, पाकिस्तान में पैदा हुए और कनाडा में बस गए हैं तथा पत्रकार हैं।'
नायडु ने कहा, 'जब वह (तारिक फतह) पहली बार 2013 में भारत आए, तो वह भारत की राजधानी की मुख्य सड़कों में से एक का नाम औरंगजेब के नाम पर देखकर चकित रह गए। यह वही थे, जिन्होंने औरंगजेब रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड करने के लिए भारतीय मुस्लिमों से पहले करने की अपील की थी। दारा शिकोह, औरंगजेब के भाई थे।'
नायडू ने कहा, '...मुझे भी थोड़ी झेप लगती थी जब मुझे अपना पता देना होता था...। मुझे कहना पड़ता था कि मैं 30 औरंगजेब रोड में रहता हूं, लेकिन अब मैं खुश हूं क्योंकि अब मैं 30 अब्दुल कलाम रोड में रह रहा हूं।' उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम या हिंदू का सवाल नहीं है। 'कई मुस्लिम शासक हुए हैं जिन्होंने देश का भला किया। इतिहास इस बारे में काफी स्पष्ट है। सभी मुस्लिम जिन्होंने पाकिस्तान नहीं जाने और भारत में रहने का फैसला किया.. वे सब भारतीय हैं और वे समान नागरिक हैं और उन्हें समान अधिकार हैं।'
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि पहले जब कभी उन्हें अपने दिल्ली आवास का पता 30, औरंगजेब रोड के रूप में देना होता था तो उन्हें झेप लगती थी। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में एक सड़क का नाम रामेश्वरम के एक प्रेरणास्रोत व्यक्ति, एक महान सपूत... एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। इतना हंगामा और इतनी आलोचना जैसे किसी विदेशी व्यक्ति के नाम पर नाम रख दिया गया हो।'
वह वेदवीर आर्या द्वारा लिखी गई एक किताब 'दि क्रोनोलोजी आफ एंसिऐंट इंडिया' के लोकार्पण के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'लेकिन आप जानकर चौंक जाएंगे, सच्चाई का पता होना चाहिए कि दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर अब्दुल कलाम मार्ग रखने का सुझाव किसी हिन्दू, या किसी भारतीय ने नहीं और न ही विहिप या बजरंग दल ने दिया था। बल्कि एक गैर-भारतीय...। वह मुस्लिम हैं... तारिक फतह, पाकिस्तान में पैदा हुए और कनाडा में बस गए हैं तथा पत्रकार हैं।'
नायडु ने कहा, 'जब वह (तारिक फतह) पहली बार 2013 में भारत आए, तो वह भारत की राजधानी की मुख्य सड़कों में से एक का नाम औरंगजेब के नाम पर देखकर चकित रह गए। यह वही थे, जिन्होंने औरंगजेब रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड करने के लिए भारतीय मुस्लिमों से पहले करने की अपील की थी। दारा शिकोह, औरंगजेब के भाई थे।'
नायडू ने कहा, '...मुझे भी थोड़ी झेप लगती थी जब मुझे अपना पता देना होता था...। मुझे कहना पड़ता था कि मैं 30 औरंगजेब रोड में रहता हूं, लेकिन अब मैं खुश हूं क्योंकि अब मैं 30 अब्दुल कलाम रोड में रह रहा हूं।' उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम या हिंदू का सवाल नहीं है। 'कई मुस्लिम शासक हुए हैं जिन्होंने देश का भला किया। इतिहास इस बारे में काफी स्पष्ट है। सभी मुस्लिम जिन्होंने पाकिस्तान नहीं जाने और भारत में रहने का फैसला किया.. वे सब भारतीय हैं और वे समान नागरिक हैं और उन्हें समान अधिकार हैं।'
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